ट्रैक-ट्रेनों की निगरानी के लिए ड्रोन का सहारा
उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) बेहतर मानीट¨रग, भीड़ नियंत्रण और ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए ड्रोन की मदद लेने पर विचार कर रहा है।
जागरण संवाददाता, कानपुर :
उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) बेहतर मानीट¨रग, भीड़ नियंत्रण और ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए ड्रोन की मदद लेने पर विचार कर रहा है। एनसीआर के अधिकारियों और ड्रोन विशेषज्ञों के बीच हुई एक बैठक के बाद इस संबंध में एक कमेटी बनाकर निर्णय लेने की बात तय हुई है। माना जा रहा है कि रेलवे जल्द प्रयोग के तौर पर अपने प्रमुख स्टेशनों पर ड्रोन का प्रयोग कर सकता है।
रेलवे की संपत्तियों की निगरानी हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है। ट्रेन संचालन पर भी नजर रखने की कोई तकनीक रेलवे के पास नहीं है। इन आवश्यकताओं के लिए रेलवे अब ड्रोन का सहारा लेने की सोच रहा है। एनसीआर के जनसंपर्क अधिकारी अमित मालवीय ने बताया कि महाप्रबंधक एमसी चौहान की मानव रहित एरियल विमानों के विशेषज्ञों के साथ एक बैठक हुई है। बैठक में फिक्स्ड विंग यूएवी (जिसे बोलचाल में एयरोप्लेन केरूप में जाना जाता है) और रोटरी विंग विमान (जिसे मल्टीकाप्टर के रूप में जाना जाता है) दोनों के संभावित प्रयोगों पर चर्चा हुई। ड्रोन विशेषज्ञ सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर वीएस श्रीनिवास ने सलाह दी कि दोनों फ्लाइंग बेहतर हैं। फिक्स्ड-विंग यूएवी लंबी अवधि, बेहतर स्थिरता, हवा का प्रतिरोध और लंबी सहनशक्ति की आवश्यकता के मानक पर बेहतर विकल्प है। बताया गया कि 15 मिनट तक तीन किमी दूरी के साथ ही छह घंटे तक 50 किमी दूरी पर जाकर निगरानी करने वाले ड्रोन मौजूद हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले ड्रोन कम वजन के हैं और इनमें उच्च ऊर्जा घनत्व प्रदान करने वाली लिथियम पॉलिमर रिचार्जेबल बैट्री का उपयोग होता है।
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ड्रोन से होने वाले संभावित लाभ
- ट्रैक, सिग्नल, ओएचई इत्यादि जैसी संपत्तियों पर नजर।
- ऊंचाई से देखकर पूरी प्रणाली की निरंतर निगरानी करने की सुविधा।
- ट्रैक पर किसी भी अवाछित गतिविधि/बाधा का पता लगाने की क्षमता और तुरंत वायरलेस ट्रासमिशन के माध्यम से नियंत्रण कक्ष को जानकारी देना।
- विभिन्न कार्यो की आवश्यकतानुसार विभिन्न सेंसर/कैमरों के फिट होने की क्षमता।
- दिन-रात काम करने की क्षमता।
- भीड़ प्रबंधन के लिए ड्रोन बहुत ही उपयोगी है। आपदा की स्थिति में बचाव और बवाल की स्थिति में असमाजिक तत्वों पर नजर रखी जा सकती है।
- 45 किमी प्रति घटा तक की हवा की गति का सामना करने की क्षमता।