Tiddi Dal Attack In UP: कानपुर व आसपास जिलों में टिड्डी दल का खतरा, जानिए- कैसे करें बचाव
टिड्डी दल के हमले की आशंका के चलते कृषि निदेशालय ने फसलों को बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसे लेकर कृषि विभाग ने भी कमर कस ली है और पांच अलग-अलग टीमें बनाकर हमले वाले स्थान पर भेजी जाएंगी।
कानपुर, जेएनएन। टिड्डी दल से बचाव के लिए कृषि निदेशालय ने सलाह जारी कर दी है। उसकी सलाह पर कृषि विभाग पांच टीमें बनाएगा। यह टीमें किसानों के साथ ग्राम प्रधानों से मिलकर इसकी रोकथाम के लिए जागरूक करेंगी। अगले माह तक टिड्डी दल आ सकता है। मानसून में यह खेतों में अपना आतंक मचाते हैं। चूंकि इस बार मानसून से पहले ही चक्रवात के चलते बारिश हो रही है। इसलिए इनका झुंड खेतों में कभी भी घुसकर फसलें चट कर सकता है।
टिड्डी एक प्रवासी कीट है, जो हजारों किमी तक उड़ सकता है। अनुकूल मौसम में इनकी संख्या में एकाएक वृद्धि हो जाती है। उपनिदेशक कृषि धीरेंद्र ङ्क्षसह ने बताया, टिड्डियों के कई दल मानसून में अफ्रीका से पाकिस्तान होते हुए राजस्थान के रास्ते आते हैं। उनके झुंड फसलों व वनस्पतियों को खाकर भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह किसी भी खेत में घुसकर कुछ ही समय में फसल चट कर जाते हैं। केवल कीटनाशक दवा के प्रभाव से पूरी फसल को नहीं बचाया जा सकता।
वजन के बराबर फसल चट कर जाती है टिड्डी
एक टिड्डी का वजन लगभग दो ग्राम होता है। एक दिन में एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। जब लाखों की संख्या में टिड्डियां फसलों पर हमला करती हैं तो एक दाना भी नहीं बचता है।
ऐसे करें बचाव
-टिड्डी दलों के प्रकोप की सूचना किसान अपने प्रधान, लेखपाल, कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों, ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से कृषि विभाग व जिला प्रशासन तक तत्काल पहुंचाएं।
- एक साथ एकत्र होकर टीन के डिब्बों व थालियों को बजाते हुए शोर मचाएं। शोर से टिड्डी दल खेतों में बैठ नहीं पाएंगे, जिससे आक्रमण की आशंका नहीं रहेगी।
- बलुई मिट्टी में टिड्डी प्रजनन करती है और वहीं पर अंडे भी देती है। ऐसी मिट्टी वाले क्षेत्रों में जुताई करवाने के साथ जल का भराव करा दें।
- किसानों को चाहिए कि अपनी फसल में नीम के तेल को पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इससे टिड्डी दल से फसल के नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है।