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कानपुर में तीन की मौत: सेप्टिक टैंक में बनती है कौन सी गैस और कैसे चली जाती जान, इन बातों का जरूर रखें ध्यान

Kanpur Septic Tank Case बर्रा के मालवीय नगर में निर्माणाधीन मकान के सेप्टिक टैंक में उतरे तीन मजदूरों की जहरीली गैस की चपेट के चलते दम घुटने से मौत हो गई। सेप्टिक टैंक में उतरते समय खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 19 Sep 2022 03:24 PM (IST)Updated: Mon, 19 Sep 2022 03:24 PM (IST)
कानपुर में तीन की मौत: सेप्टिक टैंक में बनती है कौन सी गैस और कैसे चली जाती जान, इन बातों का जरूर रखें ध्यान
कानपुर में सेप्टिक टैंक में उतरने से हुई तीन मजदूरों की मौत।

कानपुर, जागरण संवाददाता। Kanpur  Septic Tank Case : बर्रा के मालवीय विहार में निर्माणाधीन मकान में सेप्टिक (सीवर) टैंक में उतरे तीन मजदूर जहरीली गैस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे। तीन परिवारों का सहारा छिन गया और अपनों को जीवन भर का गम दे गए। स्मार्ट सिटी कानपुर के ज्यादातर इलाकों में सीवर लाइन नहीं होने से सेप्टिक टैंक में ही सीवर गिराया जा रहा है। लेकिन, क्या जानते हैं सेप्टिक टैंक में कौन सी गैस बनती है और किस तरह जानलेवा हो जाती है। आइए बताते हैं कि तीन मजदूरों की मौत सेप्टिक टैंक में कैसे हुई होगी और सेप्टिक टैंक में उतरते समय क्या सावधानी रखनी चाहिये।

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सेप्टिक टैंक से निकलती है मीथेन

जीएसवीएम मेडिकल कालेज में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर प्रो. विशाल गुप्ता बताते हैं कि सेप्टिक टैंक के कचरे व सीवरेज में बनने वाली गैस का प्रमुख घटक मीथेन (Methane) है, जो उच्च सांद्रता में अत्यंत विषैला हो सकता है। गंदे पानी के कारण भी ऐसी गैस बन सकती है।

मीथेन गैस के संपर्क में आने से आंखों में जलन, गले में खराश, सांस की तकलीफ और खांसी और अधिकता से तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) प्रभावित हो सकता है। घुटन, सिरदर्द और चक्कर के साथ गैस की अधिकता फेफड़े और मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है, जो मृत्यु कारण बन जाता है।

सेप्टिक टैंक में कैसे हो जाती है मौत

विशेषज्ञों की मानें तो सेप्टिक टैंक बंद रहता है, ऐसे में सीवेज और गंदे पानी की वजह से टैंक में मीथेन गैस की अधिकता हो जाती है। जब कभी कोई व्यक्ति सेप्टिक टैंक में उतरता है तो मीथेन गैस की गंध की तीव्रता सांस लेते ही सीधे मस्तिष्क तक प्राहर करती है। इसके असर से व्यक्ति अचेत हो जाता है। वहीं कई दिनों तक टैंक में हवा पास न होने की वजह से ऑक्सीजन की कमी रहती है। ऐसे में अचेत अवस्था में भरपूर ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाती है, जिसका सीधा असर फेफड़ों और हार्ट पर पड़ता है। यहीं मृत्यु की वजह बन जाती है। 

रहें सावधान और इन बातों का रखें ध्यान

  • सेप्टिक टैंक की मैनुअल तरीके से सफाई या किसी अन्य कारण से खोलने पर आधा घंटा तक ढक्कन हटाकर इंतजार करना चाहिए। इसके बाद ही नीचे उतरें।
  • जहरीली गैस है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए माचिस की जलती हुई तीली डालकर देखना चाहिए। अगर आग लग जाए तो समझ लें गैस है।
  • मैनहोल को खुला छोड़ने के बाद उसमें पानी का छिड़काव करना चाहिए।
  • सफाई के लिए उतरे कर्मचारी मुंह पर आक्सीजन मास्क और सेफ्टी बेल्ट जरूर लगाएं। कमर में रस्सी जरूर बांधें, ताकि आपात स्थिति में ऊपर खड़ा साथी उन्हें फौरन बाहर निकाल सके।
  • टैंक में उतरते समय टार्च जरूर लेकर जाना चाहिए।

कानपुर के बर्रा के मालवीय नगर में मजदूर सुरक्षा उपाय के बगैर सीधे ही सेप्टिक टैंक में उतर गए थे, जिसकी वहज से उन्हें जान गंवानी पड़ी। एसीपी गोविंदनगर विकास कुमार पांडेय भी कहते हैं कि सेप्टिक टैंक में उतरे तीन मजदूरों की मौत में प्रथमदृष्टया जहरीली गैस की चपेट में आने की बात सामने आई है।

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