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तीन सगी बहनें बनेंगी साध्वी, मन में था डॉक्टर बनने का सपना फिर क्यों बढ़े वैराग्य की ओर कदम

इटावा की नेहा दीक्षा शिवानी अपनी सहेली राखी के साथ देवास मध्य प्रदेश में दीक्षा लेंगी।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 12:07 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 12:07 PM (IST)
तीन सगी बहनें बनेंगी साध्वी, मन में था डॉक्टर बनने का सपना फिर क्यों बढ़े वैराग्य की ओर कदम
तीन सगी बहनें बनेंगी साध्वी, मन में था डॉक्टर बनने का सपना फिर क्यों बढ़े वैराग्य की ओर कदम

इटावा, जेएनएन। शहर की युवा तीन सगी बहनों ने अपनी एक सहेली के वैराग्य की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। ऐसा कतई नहीं है कि ये युवतियां पढ़ी-लिखी नहीं है, इन बहनों में एक ने एमकॉम किया है तो बाकी दोनों ने बीएससी की डिग्री हासिल की है। दोनों के मन में डॉक्टर बनने का सपना था लेकिन अचानक साध्वी बनने का मन बना लिया। चारों अब पहली दिसंबर को पुष्पगिरि देवास (मध्य प्रदेश) में गुरू मुनि श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज से दीक्षा ग्रहण करेंगी।

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इटावा में निकली बिनौली यात्रा

इटावा शहर के बरहीपुरा मोहल्ले के व्यवसायी पिता सुभाष जैन व माता सुनीता जैन की तीन पुत्रियां नेहा (22), दीक्षा (20) एवं शिवानी (19) एवं व्यवसायी पिता संजय कुमार जैन व माता आशा जैन की पुत्री राखी जैन (23) साध्वी बनने जा रही हैं। बीते 2011 से धर्म साधना से जुड़ी यह बेटियां अब माता-पिता, परिजनों को छोड़कर वैराग्य लेंगी। चारों युवतियों के साध्वी बनने के लिए जाने से पहले रविवार रात इटावा शहर में जैन समाज ने उनकी दुल्हन रूपी बिनौली यात्रा शहर में निकाली गई। चारों को दुल्हन की तरह सजाया गया, नगर भ्रमण के दौरान समाज ने पुष्पवर्षा करके अपनी श्रद्धा प्रकट की। संभवत: यह पहला मामला होगा जब एक मां की तीन बेटियां अपनी सहेली के साथ साध्वी बनेंगी।

एक परिवार छोड़ेंगे, एक हजार मिलेंगे

22 वर्षीय नेहा जैन ने प्रथम श्रेणी के साथ एमकॉम किया है। छोटी बहन 20 वर्षीय दीक्षा तथा 19 वर्षीय शिवानी जीव विज्ञान से बीएससी हैं, दोनों का मन डॉक्टर बनने का था लेकिन वर्ष 2011 से प्रमुख सागर के सानिध्य में आने के बाद तीनों बहनों का मन बदल गया और धर्म के रास्ते पर चल पड़ीं। वे कहती हैं कि संसार में सुख नहीं था इसलिए भगवान ने भी घर त्याग किया। उन्हें भी माता-पिता व परिजनों में आसक्ति नहीं है। वे प्रमुख सागर जी महाराज के बताए रास्ते पर चलकर अपना जीवन सार्थक करेंगी। माता-पिता, तीन बहनों और एक भाई को छोडऩे पर हजारों माता पिता और भाई-बहन तथा हजारों घरों का स्नेह मिलेगा। गृहस्थ जीवन से अच्छा संत जीवन है, उसी राह पर चलना है।

जैन धर्म को करना है मजबूत

बीए पास 23 वर्षीय राखी अब सब कुछ अपने गुरु प्रमुख सागर को मानती है। पिता संजय कुमार जैन व माता आशा जैन की दुलारी राखी का कहना है कि उन्हें धर्म की राह पर चलकर धर्म को मजबूत करना है, घर छोडऩे का कोई दुख नहीं है। राखी की सबसे बड़ी बहन कंचन और कोमल है जबकि सबसे छोटी बहन स्वीटी है। तीनों का विवाह हो चुका है लेकिन राखी ने गृहस्थ आश्रम को छोड़कर वैराग्य और धर्म साधना की राह चुनी।

माता पिता का मन भी पक्का

नेहा, दीक्षा एवं शिवानी को जन्म देने वाली मां सुनीता जैन का कहना है कि अंदर से कष्ट है लेकिन वह खुश भी बहुत हैं कि उनकी बेटियां धर्म की राह पर चलकर इटावा का नाम रोशन करेंगी। पिता सुभाष जैन का कहना है कि बेटियों के जाने का दुख हर मां बाप को होता है लेकिन गर्व इस बात का है कि वह साध्वी बनकर जैन धर्म की ध्वजा आगे ले जा रही हैं। जियो और जीने दो के सिद्धांत को जन-जन तक पहुंचाएंगी।


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