बिना तामझाम के निकाह करने वालों का है कहना- कोरोना काे हरा लें फिर देंगे दावत-ए-वलीमा
कोरोना के भय और लॉकडाउन का असर सहालग पर 12 से ज्यादा निकाह बिना शोर शराबे के हुए।
कानपुर, जेएनएन। न बैंडबाजा, न बरात...न ही सड़क पर खुशी में चहकते-झूमते नाते-रिश्तेदार और न ही डीजे-साउंड का शोर। रमजान के पहले के दो अरबी महीने, रजब और शाबान (मार्च-अप्रैल) में जब मुस्लिमों में झूम कर शादियां होती हैं, तब इतना सन्नाटा। तो क्या शादियां नहीं हुईं। शादियां हुईं लेकिन मैरिज हाल में नहीं। बस चंद लोग और काजी साहब घर में आए, निकाह पढ़ाने की रस्म निभाई गई, सभी को पैगाम दिया गया, पहले कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ लें, फिर दावत-ए-वलीमा देंगे।
मार्च और अप्रैल में तय 600 शादियों की तारीख बढ़ाई गई
सब लॉक होने से निकाह की संख्या डाउन रही, छोटे-बड़े सभी मैरिज हॉल में निरस्त हुई 600 से अधिक बुकिंग यही बता रही है। लॉकडाउन के दौर में शहर में कई जोड़े बिना भीड़ जुटाए विवाह बंधन में बंध गए। कोरोना के भय और इससे बचने के उपायों के मद्देनजर यही एक रास्ता था और उन्होंने वही चुना। दूर-दराज या करीब के रिश्तेदार छोडि़ए, पड़ोसियों को भी नहीं बुलाया ताकि कोरोना संक्रमण का खतरा न हो। कहा, पहले कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ लें फिर दावत-ए-वलीमा देंगे।
केस एक : जाजमऊ के तौसीफ का निकाह 28 मार्च को फहीमाबाद में होना था। लॉकडाउन के बाद गेस्ट हाउस की बुकिंग निरस्त कर बिना किसी भीड़ के लड़की वालों के घर पहुंचे और निकाह किया।
केस दो : सैय्यद वहीद अहमद की बेटी का निकाह 22 मार्च को था, लेकिन लॉकडाउन के कारण मैरिज हॉल की बुकिंग रद करानी पड़ी। रिश्तेदारों से भीड़ न लगाने का अनुरोध कर घर पर ही बेटी का निकाह कराया।
इनका ये है कहना
- इस महीने मुझे 16 निकाह पढ़ाने थे, लॉकडाउन के कारण सभी निरस्त हो गए। कोरोना से बचना जरूरी है। हम लॉकडाउन का पालन कर ले गए तो महामारी से बच जाएंगे। -शहरकाजी मौलाना आलम रजा नूरी
- इस महीने 22 निकाह पढ़ाने थे, सभी स्थगित कर दिए हैं। जो तीन निकाह पढ़ाए भी, वहां भी भीड़ जुटाने से परहेज किया गया। यह अच्छी बात रही। दावत न मिलने से कोई नाराज नहीं हो रहा है। -शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती
- अंजुमन यतीमखाना की ओर से संचालित मैरिज हाल में 22 मार्च से 16 अप्रैल तक 15 शादियों की बुकिंग थी, सभी स्थगित हो गई हैं। -शाहिद कामरान खान, फाइनेंस सेक्रेटरी अंजुमन यतीमखाना