जो बेटे रखने को नहीं थे तैयार, वही पैर छूकर बोले 'सॉरी डैडी घर चलिए' Kanpur News
पिता ने बेटों से मांगा था गुजारा कोर्ट में था मुकदमामध्यस्थता कर रहे अधिवक्ता ने अहम भूमिका निभा कराया समझौता।
कानपुर, जेएनएन। अदालत में कुछ मामले जिरह से नहीं सुलह से ही निपट जाते हैैं जो कई बार काफी सुखद होते हैैं। ऐसे ही पिता-पुत्रों के बीच पनपा विवाद कोर्ट से मध्यस्थता केंद्र पहुंचा तो डेढ़ घंटे की कवायद में बेटों को अपनी गलती का एहसास हो गया। बेटों ने पिता के पैर छुए और बोले सॉरी डैडी घर चलिए।
क्या था मामला
किदवई नगर निवासी एक पिता ने अपने चार बेटों से गुजारा भत्ता की मांग करते हुए प्रमुख पारिवारिक न्यायालय में वादपत्र दाखिल किया। करीब तीन महीने पहले दाखिल इस वाद को सुलह समझौता से हल करने के लिए प्रधान न्यायाधीश ने मध्यस्थता केंद्र भेज दिया। 24 अगस्त को इस मामले में पहली सुनवाई हुई। मध्यस्थता केंद्र में सुनवाई का नंबर आया तो आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। मध्यस्थता केंद्र के सदस्य प्रकाश मिश्र और अधिवक्ता विवेक कुमार मिश्र ने पिता-पुत्रों को समझाना शुरू किया। डेढ़ घंटे की कवायद के बाद अहमदाबाद के एक बैंक में कार्यरत बड़े बेटे ने पिता की सभी मांगों को स्वेच्छा से स्वीकार कर लिया। दूसरे सभी बेटे भी बड़े भाई की बात काटना नहीं चाहते थे।
समझौता पत्र से दूर हुई पिता की चिंता
-प्रत्येक माह की 10 तारीख को आरटीजीएस के जरिये दस हजार रुपये देंगे
-पिता के चिकित्सा में होने वाले खर्च का समान रूप से वहन करेंगे
-पैतृक दुकान, मकान, किरायेदारी, बिजली व अन्य टैक्स की भरपाई और आमदनी बेटों की जिम्मेदारी होगी
-एसडीएम कोर्ट में चल रहे मुकदमे को पिता नॉट प्रेस (बलहीन) कर देंगे