सरकारी अस्पतालों में अगर ये फॉर्मूला लगा दिया गया तो मिनटों में दूर हो जाएंगी सारी समस्याएं
सरकारी अस्पताल के खाली वार्डों को कोविड का लेवल वन में परिवर्तित किया जाना चाहिए। इससे उन्हेंं भर्ती भी किया जा सकेगा जबकि ऑक्सीजन की किल्लत भी कम होगी। नर्सिंगहोम को लेवल टू और थ्री की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना के बढ़ते मामले और उसकी वजह से बेड की समस्या और ऑक्सीजन की किल्लत पर मंथन शुरू हो गया है। जहां नए नॄसगहोम को कोविड अस्पताल के लिए अधिग्रहीत करने की तैयारी चल रही है, वहीं ऑक्सीजन के बैकअप के लिए भी ठोस रणनीति बनाने पर काम चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारी लगातार बैठकें कर रहे हैं। इस बीच डॉक्टरों की ओर से भी सुझाव आने शुरू हो गए हैं। उनके नजरिए से संक्रमित संक्रमण के असर से भयभीत ज्यादा हैं। इसके लिए जिन्हेंं जरूरत भी नहीं है, वह भर्ती हो रहे हैं। उस स्थिति में अत्याधिक गंभीर रोगियों को बेड नहीं मिल पा रहा है। वह एक अस्पताल से दूसरे में चक्कर काट रहे हैं। सरकारी अस्पताल के खाली वार्डों को कोविड का लेवल वन में परिवर्तित किया जाना चाहिए। इससे उन्हेंं भर्ती भी किया जा सकेगा, जबकि ऑक्सीजन की किल्लत भी कम होगी। नर्सिंगहोम को लेवल टू और थ्री की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
इनका ये है कहना
- सरकारी अस्पतालों को लेवल वन में बनाने से सामान्य संक्रमितों को राहत मिलेगी। उनमें आत्मविश्वास आएगा। अभी तबियत बिगडऩे के डर से लोग आइसीयू, एचडीयू के लिए परेशान हैं। बिना जरूरत के ऑक्सीजन के सिलिंडर स्टोर कर रहे हैं।
डॉ. विकास शुक्ला, वरिष्ठ न्यूरो सर्जन
- कोविड अस्पताल में भर्ती होने से बेहतर घर में आइसोलेट होना है। इसमें घरवालों की देखरेख में मरीज जल्दी ठीक हो रहे हैं। ऑक्सीजन लेवल एकदम से नीचे गिरने या अत्यधिक गंभीर स्थिति में पहुंचने पर भर्ती होना आवश्यक है।
डॉ. नीलम मिश्रा, अध्यक्ष आइएमए