ट्रांसजेंडर कंचन सेंदरे ने कहा, विधानसभा चुनाव तो नहीं जीता लेकिन लोगों का दिल जीत लिया
फेसबुक लाइव शो में ट्रांसजेंडर कंचन सेंदरे ने सरकार से अपने समाज के लिए आरक्षण की मांग उठाई।
कानपुर, जेएनएन। विकास प्रकाशन कानपुर और वाङ्गमय पत्रिका के तत्वावधान में फेसबुक लाइव शो में ट्रांसजेंडर कंचन सेंदरे ने अपनी दर्द भरी दास्तां बयां की और सरकार से आरक्षण की मांग रखी। कहा, वर्तमान परिस्थितियों में देखा जाए तो ट्रांसजेंडर सामाजिक तौर पर सबसे ज्यादा पिछड़े है लेकिन उनको न तो शिक्षा में कोई स्थान है और न ही सरकारी या गैर सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलता है। बल्कि समाज उन्हें हेय दृष्टि से देखता है अजीब अजीब तरह से पुकारा जाता है।
उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि बचपन में परिवार द्वारा छोड़ दिया जाता है और उनको कोई देखने वाला नहीं था। ऐसी स्थिति में जीवन गुजारने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। किशोरावस्था में परिवार द्वारा त्यागने की पीड़ा को समझा जा सकता है। दूसरी तरफ जेंडर के कारण समाज भी नकार देता है, जिसका दर्द वो भलीभांति समझते हैं, जो इन दिक्कतों का सामना करते है। कहा, जब परिवार ने मुझे किशोरावस्था में त्यागा था तब बड़ी मुश्किलों से गुज़ारना पड़ा। इधर उधर ठोकरे खाई, किन्नर समाज ने मुझे जीने का अधिकार दिया।
उन्होंने कहा कि मैंने अपने समाज की लड़ाई को लड़ने के लिए शिक्षा ग्रहण की और किसी को यह एहसास नहीं होने दिया कि मैं ट्रांसजेंडर हूं। मेहनत से पढ़ाई करके मैंने समाज के सामाजिक कार्यों को तवज्जो दी और विधानसभा का चुनाव लड़ा। चुनाव में जीत तो हासिल नहीं कर सकी लेकिन लोगों के दिलों को जीता। निर्दलीय लड़ने पर मेरा तीसरे स्थान पर रहना यह साबित कर गया कि लोगों का सपोर्ट मेरे साथ है। अगर किसी ट्रांसजेंडर को विकास करना है, राजनीति में आना है तो समाज से खुद को जोड़ना होगा ताकि हम समाज के और स्वयं के अधिकार ग्रहण कर सकें।