इन्हें पता है हर बूंद की कीमत, इनसे सीख लेकर आप भी रोक सकते पानी की बर्बादी Kanpur News
सेवानिवृत्त होने के बाद सेंट्रल स्टेशन पर पानी बचाने की मुहिम चला रहे गजराज जैन अपने पैसों से बदलते नलों की टूटी टोंटी।
कानपुर, [गौरव दीक्षित]। जल ही जीवन है, यह स्लोगन जानते सब लोग हैं लेकिन मानते कुछ ही लोग हैं। सुनने में अजीब लगेगा लेकिन कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर एक शख्स काजू, किशमिश और टोंटी से मिशन जल-जीवन में जी-जान से लगे हैं। यह हैं गजराज जैन। आठ सालों से सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर बिजली पानी बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं। अपने पैसों से नलों की टूटी टोंटी बदलते हैं। बिजली बचाने के लिए ट्रेनों के अंदर लाइट और पंखे बंद करते हैं। किसी के घर में टंकी से पानी बहता देखते हैं तो उसे अलार्म मशीन गिफ्ट करते हैं। प्राइवेट जॉब से सेवानिवृत्त होने और बच्चों के अपने पैरों पर खड़ा हो जाने के बाद उनके जीवन का ध्येय ही बिजली पानी बचाना है। जो लोग उन्हें जानते हैं, सलाम करते हैं और जो नहीं जानते वह कुछ भी कहकर निकल जाते हैं। कोई विरोध करता है तो काजू और किशमिश खिलाकर पानी का महत्व बताते हैं।
साकेत नगर में रहने वाले 61 वर्षीय गजराज जैन रोज सुबह साढ़े आठ बजे कंधे पर काला बैग, जिसमें प्लास, पेचकस, ङ्क्षरच, आरी, प्लास्टिक की टोंटी और खाने का एक टिफिन होता है, लेकर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं। राह में कोई किसी नल से बहता पानी या टूटी टोंटी दिख जाए तो बंद करते हैं या खुद ही बदल देते हैं। यही काम रेलवे स्टेशन पर भी करते हैं। किसी घर से टंकी ओवरफ्लो होती दिखे तो दरवाजा खटखटाकर गृह स्वामी को वाटर अलार्म गिफ्ट देते हैं। गजराज कहते हैं, टोटी और अलार्म मशीन पर हर महीने 9-10 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। परिवार में पत्नी अंजना जैन और दो बेटे ऋषभ और रविराज जैन हैं। ऋषभ कानपुर में ही व्यापार करते हैं, जबकि रविराज का हैदराबाद में हल्दी का कारोबार है। गजराज पहले दाल मिल चलाते थे, शेयर ट्रेडर भी रहे हैं और हॉटमिक्स सड़क बनाने का ठेका भी लेते रहे। अब फाइनेंस का काम करते हैं और यही उनकी जीविका का साधन है।
बिजली बचाने में भी जुटे
रात को चलने वाली ज्यादातर ट्रेनों में सुबह विद्युत उपकरण ऑन रहते हैं। गजराज खुद हर कोच में जाकर उन्हें बंद करते हैं। जितनी भी अंतिम स्टेशन की ट्रेन है, सबमें वह यही करते हैं और रोज प्लेटफार्म पर दर्जनों बार चक्कर काटते हैं। अधिकारी विहीन कार्यालय का बिजली-पंखा और एसी बंद करने में भी नहीं हिचकते हैं। यह क्रम रात 11 बजे तक चलता है।
समाज के लिए काम कर रहे पिता
बेटे ऋषभ का कहना है कि पिताजी समाज के लिए पानी का मोल समझते हैं। इसलिए बंूद-बंूद पानी बचाने में जुटे हैं। अगर उन्हें किसी घर में तकनीकी खराबी के कारण पानी बर्बादी का पता चलता है तो खुद ही प्लंबर और जरूरी सामान लेकर उनके घर पहुंच जाते हैं और निश्शुल्क सेवा देते हैं।
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