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सपा नेता सोहैल अहमद के आते ही कांग्रेस में तेज हुए बगावती स्वर, कानपुर की सीसामऊ सीट में शुरू हुआ द्वंद

हाजी सुहैल अहमद ने बुधवार को कांग्रेस का हाथ थाम लिया। लखनऊ स्थित कांग्रेस के पार्टी कार्यालय में विधि विधान से उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलायी गई। प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू के साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Thu, 30 Dec 2021 11:36 AM (IST)Updated: Thu, 30 Dec 2021 11:36 AM (IST)
सपा नेता सोहैल अहमद के आते ही कांग्रेस में तेज हुए बगावती स्वर, कानपुर की सीसामऊ सीट में शुरू हुआ द्वंद
सपा नेता सोहैल अहमद के आते ही कांग्रेस में तेज हुए बगावती स्वर।

कानपुर, जागरण संवाददाता। सपा खेमे से कांग्रेस में नया चेहरा जुड़ने के बाद सीसामऊ में अंदरखाने द्वंद शुरू हो चुका है। कांग्रेस से जुड़े पुराने नेता इसका विरोध करने लगे हैं। सपा पार्षद दल के नेता का पुराना इतिहास खंगालने में जुट गए हैं।

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नगर निगम में सपा पार्षद दल के नेता हाजी सुहैल अहमद ने बुधवार को कांग्रेस का हाथ थाम लिया। लखनऊ स्थित कांग्रेस के पार्टी कार्यालय में विधि विधान से उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलायी गई। प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू के साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। सीसामऊ से कांग्रेस के पुराने पदाधिकारी और दावेदार इसे टिकट के चश्मे से देख रहे हैं। उनका मानना है कि टिकट की बात तय होने के बाद ही सुहैल ने कांग्रेस का हाथ थामा है। ऐसे में यहां से टिकट के दावेदार जहां निराश हो गए हैं वहीं हाजी सुहैल का पुराना इतिहास खंगालने में जुट गए हैं। रणनीति बनायी जा रही है कि पुराना इतिहास निकालकर आलाकमान तक पहुंचाया जाएगा। 

गौरतलब हो कि कानपुर की दस विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा दावेदार सीसामऊ विधानसभा से हैं। यहां से 11 दावेदार कांग्रेस से टिकट मांग रहे हैं। स्क्रीनिंग कमेटी और पर्यवेक्षकों के सामाने भी अपने काम का लेखाजोखा और जीत के आंकड़े प्रस्तुत कर चुके हैं। लिहाजा अब उन्हें लग रहा है कि दूसरी पार्टी से आकर कोई भी शामिल हो और आसानी से टिकट पा जाए तो ऐसा नहीं चलेगा। कुछ दावेदार तो यहां तक कह रहे हैं कि प्रदेश में अपराध के खिलाफ कांग्रेस झंडा बुलंद किए है बावजूद इसके जिसका दामन दागदार है, उसे ही टिकट देकर प्रदेश को क्या कांग्रेस क्या संदेश देना चाहती है। बहरहाल अंदरखाने विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। अब देखने वाली बात होगी कि पुराने कांग्रेसियों का विरोध पार्टी आलाकमान पर कितना असर करता है।


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