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गांवों में डॉक्टरों की लेटलतीफी से चरमरा रहा स्वास्थ्य ढांचा

गांवों में अस्पताल भी हैं और पर्याप्त चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी भी। बस इन्हें सजग होने की जरूरत है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 01:59 AM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 01:59 AM (IST)
गांवों में डॉक्टरों की लेटलतीफी से चरमरा रहा स्वास्थ्य ढांचा
गांवों में डॉक्टरों की लेटलतीफी से चरमरा रहा स्वास्थ्य ढांचा

जागरण संवाददाता, कानपुर : गांवों में अस्पताल भी हैं और पर्याप्त चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी भी। बस जरूरत है वहां तैनात चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के समय से आने व सजग होने की। अगर ये समय से अस्पताल आएंगे तो ग्रामीणों को झोलाछाप के चक्कर में पड़ कर जान नहीं गवाना पड़ेगा। गांवों में पंचायत चुनाव के बाद खूब मौतें हुई हैं। कुछ गांव तो ऐसे भी थे जहां तीन से चार दर्जन लोग बुखार से पीड़ित हुए और फिर उनकी मौत हो गई। इसके लिए बहुत हद तक स्वास्थ्य विभाग भी जिम्मेदार है, क्योंकि गांवों में करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की समय से उपस्थिति सुनिश्चित ही नहीं की गई।

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ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लाक मुख्यालयों पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं। इन केंद्रों पर 30 से 35 बेड की व्यवस्था है और विशेषज्ञ चिकित्सक भी तैनात हैं। इन्हीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अंडर में ही गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी संचालित होते हैं। यहां चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे है।

बिल्हौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के दायरे में पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आते हैं। इसके अरौल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक को कोविड ड्यूटी में लगाया गया है। यही हाल नानामऊ केंद्र का है। ककवन क्षेत्र के औरोताहरपुर और विषधन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की निगरानी नहीं होती है। भीतरगांव क्षेत्र में कुड़नी, बरईगढ़, अमौर, कैंथा में भी एक-एक चिकित्सक, फार्मासिस्ट और वार्ड ब्वाय तैनात हैं।

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रेउना अस्पताल के डॉक्टर जिले में तैनात

घाटमपुर क्षेत्र में पांच बीबीपुर, बरीपाल, कुटरा, रेउना और कोरियां गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। गांवों में मौत का मातम है, लेकिन रेउना केंद्र के चिकित्सक को जिले से संबद्ध रखा गया है। इसी तरह कोरियां केंद्र पर तैनात चिकित्सक अवकाश पर चल रहीं हैं। उनके स्थान पर किसी की तैनाती ही नहीं की गई।

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स्योढ़ारी में डॉक्टर नहीं और गिरसी में दो की तैनाती

पतारा क्षेत्र में तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आते हैं। यहां के स्योढ़ारी गांव के अस्पताल में चिकित्सक का पद रिक्त हैं तो गिरसी गांव के अस्पताल में दो चिकित्सक तैनात हैं। एक की तैनाती स्योढ़ारी में की जा सकती है पर किसी को ध्यान ही नहीं है। इटर्रा गांव के अस्पताल में भी पर्याप्त स्टाफ है, लेकिन लेटलतीफी की वजह से यहां के ग्रामीण भी परेशान हैं।

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कोरोना से संबंधित ड्यूटी पर कई केंद्रों के चिकित्सक

बिधनू ब्लाक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कठारा के चिकित्सक कोरोना से जुड़ी ड्यूटी कर रहे हैं तो मझावन में , मेहरवान सिंह का पुरवा और गुजैनी रविदासपुराम में एक-एक चिकित्सक तैनात हैं। शिवराजपुर ब्लाक का बीरामऊ अस्पताल भी समय से नहीं खुलता। चौबेपुर के राजारामपुर और बंसठी अस्पताल के डॉक्टर भी कोरोना ड्यूटी कर रहे हैं। तरी पाठकपुर गांव का अस्पताल कभी खुलता है कभी नहीं। बिठूर स्थित अस्पताल के चिकित्सक भी कोरोना ड्यूटी में तैनात हैं।

सरसौल क्षेत्र के नर्वल, हाथीपुर, पुरवामीर और पाली गांव के अस्पताल में दो-दो और ऐमा गांव के अस्पताल में एक चिकित्सक हैं। कल्याणपुर क्षेत्र के टिकरा, रामनगर आदि गांवों में खूब मौतें हुई हैं। मंधना, सुरार , पनकी , भौंती व सचेंडी में भी चिकित्सक हैं, लेकिन व्यवस्था रामभरोसे है।

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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। अगर कोई लापरवाही करेगा तो उस पर कार्रवाई होगी।

- आलोक तिवारी, डीएम


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