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योजनाओं का 'प्रवाह', फिर भी गंगधारा मैली

गंगा के मौजूदा हाल को देख भला कौन कह सकेगा कि 29 वर्षो से इसकी सफाई का संकल्प लेकर न जाने कितनी सरकारों ने एक के बाद एक अभियानों-योजनाओं की झड़ी लगा दी। अरबों रुपये खर्च किए गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 01:43 AM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 10:43 AM (IST)
योजनाओं का 'प्रवाह', फिर भी गंगधारा मैली
योजनाओं का 'प्रवाह', फिर भी गंगधारा मैली

जागरण संवाददाता, कानपुर :

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गंगा के मौजूदा हाल को देख भला कौन कह सकेगा कि 29 वर्षो से इसकी सफाई का संकल्प लेकर न जाने कितनी सरकारों ने एक के बाद एक अभियानों-योजनाओं की झड़ी लगा दी। अरबों रुपये खर्च किए गए। गंगा एक्शन प्लान, जेएनएनयूआरएम, अमृत योजना से लेकर नमामि गंगे तक। पावनी से जुड़ी जन आस्था को देखकर सरकारें गंगा के मुद्दे पर हमेशा से अपनी संवेदनशीलता और गंभीरता जाहिर करती आई हैं, भले राजनीतिक स्वार्थ वश से ही सही। हालांकि, जिस ईमानदारी के साथ भागीरथी को दुर्दशा से उबारने के लिए भगीरथ प्रयास होने चाहिए थे, वह नहीं हुए। तमाम अभियान केवल सरकारों के लिए वाहवाही लूटने के साधन बनकर रह गए। गंगा साफ नहीं हुई, उल्टे इसमें गिर रहा सीवर का पानी बढ़ता ही गया। शहर में 412 एमएलडी में सिर्फ 170 एमएलडी पानी ट्रीट हो रहा है बाकि गंगा में गिर रहा है।

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योजनाओं की चाल और हाल

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गंगा एक्शन प्लान : वर्ष 1989 से गंगा एक्शन प्लान के साथ गंगा सफाई का सफर शहर में शुरू हुआ। गंगा में गिर रहे दूषित पानी को रोकने के लिए जाजमऊ में तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कराया गया। योजना दो फेस में चलाई गई। दस साल में खत्म होने वाली योजना वर्ष 2006 तक चली। इन 17 वर्षो में तमाम जगह पंपिंग स्टेशन बनकर खड़े ही रहे, लाइनों को जोड़ा नहीं गया। बनाए गए प्लांटों के उचित रखरखाव की व्यवस्था भी नहीं की गई जिससे प्लांट जर्जर हो गए। गंगा में प्रदूषित पानी का प्रवाह जस का तस रहा।

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जेएनएनयूआरएम : गंगा एक्शन प्लान पूरा भी नहीं हुआ कि वर्ष 2006 में जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयूआरएम)योजना शुरू हो गई। इसमें अब तक साढ़े छह सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, मगर अभी तक एक भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से नहीं चला है। इससे गंगा एक्शन प्लान के पुराने प्रोजेक्ट को नहीं जोड़ा गया है। जेएनएनयूआरएम के दो फेज धन न मिलने के कारण रुके पड़े हैं। फेज एक 104 करोड़ और फेज तीन 51 करोड़ रुपये के चलते रुका पड़ा है। केंद्र सरकार ने अब यह योजना समाप्त कर दी है और बकाया धन देने से मना कर दिया है।

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अमृत योजना : जेएनएनयूआरएम के बाद नेशनल गंगा रिवर बेसिन प्राधिकरण योजना शुरू की गई लेकिन, यह धरातल पर आ ही नहीं सकी। नई सरकार ने वर्ष 2015 में इसका नाम बदलकर अमृत योजना चालू कर दी। इसमें कल्याणपुर क्षेत्र और फेज तीन की सीवर लाइन को घरेलू कनेक्शन से जोड़ने की 112 और 70 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है। इसमें टेंडर भी हो गया है, काम शुरू कराया जा रहा है। लेकिन, बिना जेएनएनयूआरएम योजना के चालू हुए अमृत योजना में चल रहे काम फंस जाएंगे।

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नमामि गंगे : अमृत योजना के साथ ही अब नमामि गंगे के तहत भी कार्य चल रहे हैं। इसमें सीसामऊ समेत छह नालों को बंद किया जाना है लेकिन, बाकी 15 नालों को बंद करने का अभी तक कोई खाका नहीं तैयार हुआ है।

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क्या कहते हैं जिम्मेदार

जेएनएनयूआरएम योजना का बकाया धन पिछले दो साल से मांग रहे हैं। अमृत योजना शुरू होने जा रही है। ऐसे में पुरानी योजना पूरी नहीं होगी तो योजनाएं आपस में नहीं जुड़ेंगी और उचित लाभ नहीं मिलेगा। बकाया धन का मामला केंद्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री डा. सत्यपाल सिंह और शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्र के पास भी पहुंच चुका है।

- आरके अग्रवाल, महाप्रबंधक जल निगम

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योजनाओं का हाल

योजना लागत

गंगा एक्शन प्लान 166 करोड़

जेएनएनयूआरएम 750 करोड़

अमृत योजना - 182 करोड़

नमामि गंगे - 63 करोड़


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