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कुंभ के दौरान बंद करा दिया गया था नालों का गिरना, फिर से शुरू हुआ दुर्गति का दौर

कानपुर के वे तमाम औद्योगिक-शहरी नाले जिन्हें गंगा में गिरने से रोक दिया गया था अब बेझिझक गंगा में गिरते देखे जा सकते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 12:57 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 12:57 PM (IST)
कुंभ के दौरान बंद करा दिया गया था नालों का गिरना, फिर से शुरू हुआ दुर्गति का दौर
कुंभ के दौरान बंद करा दिया गया था नालों का गिरना, फिर से शुरू हुआ दुर्गति का दौर

राहुल शुक्ल, कानपुर। कुंभ खत्म होते ही गंगा की दुर्गति का दौर शुरू हो गया है। साधु-संतों के दबाव के बीच कुंभ के दौरान गंगा में नालों का गिरना बंद कर दिया गया था। अब यह फिर शुरू हो गया है। तीन दिन से गंगा में नालों की गंदगी सीधे गिर रही है। कानपुर के वे तमाम औद्योगिक-शहरी नाले जिन्हें गंगा में गिरने से रोक दिया गया था, अब बेझिझक गंगा में गिरते देखे जा सकते हैं।

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राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, एनजीटी), केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सतत निगरानी में सभी विभाग जिस तरह की गंगा को मैला न होने देने की कवायद कर रहे थे, कुंभ खत्म होने के बाद सभी ने मानो आंखें मूंद लीं। बाबा घाट पंपिंग स्टेशन से हर रोज 65 लाख लीटर सीवर गंगा को बोझिल कर रहा है। इसे रोकने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं चोर नालों से करीब दो करोड़ लीटर सीवर सीधे गिर रहा है। कुंभ के दौरान किए गए काम अब केवल कागजों पर शोभायमान हैं।

कुंभ के मद्देनजर एनजीटी, केंद्र और राज्य सरकार की सतत निगरानी के बीच गंगा में गिरने वाले नाले रोकने के लिए सरकारी मशीनरी ने दिन-रात एक कर दिया। न केवल सबसे भीषण सीसामऊ नाला बल्कि चार अन्य नाले भी बंद कर दिए गए। चार अन्य नालों का दूषित उत्प्रहाव बायोरेमेडिएशन विधि से ट्रीट कर गंगा में जाने दिया गया। पंपिंग स्टेशनों में अतिरिक्त मोटरें रखी गई थी और अफसर लगातार निगरानी बनाए थे। कुंभ खत्म होते ही ये कवायदें भी बंद हो गईं। जलकल तीन दिन से बाबा घाट पंपिंग स्टेशन की फुंकी मोटर नहीं बदल पाया है। म्योर मिल नाले का 65 लाख लीटर दूषित उत्प्रवाह बाबा घाट पर सीधे गंगा में गिर रहा है।

यही हाल बायोरेमिडेशन विधि से साफ हो रहे नालों का है। इस विधि से भी नाला साफ करने के नाम पर केवल खानापूरी हो रही है। बायोरेमेडिएशन विधि से सत्ती चौरा, डबका नाला, गोलाघाट और रानीघाट पर दूषित पानी ट्रीट हो रहा है, लेकिन यहीं पर गंगा के किनारे काला पानी साफ देखा जा सकता है। रानी घाट नाले से 50 मीटर दूर एक और नाला सीधे गंगा में गिर रहा है, जबकि इसे कुंभ के दौरान बंद करा दिया गया था। वहीं परमियापुरवा नाले से हर रोज करीब एक करोड़ लीटर दूषित पानी बिना बायोरेमिडेशन के सीधे गंगा में गिर रहा है। अफसर यहां तर्क दे रहे हैं कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाला उत्प्रवाह इस नाले में मिलता है और उसकी गंदगी कम कर देता है।

कुंभ से पहले 57 करोड़ रुपये से सीसामऊ, नवाबगंज, डबका और म्योर मिल नाला टैप किया गया। गुप्तार घाट और परमियापुरवा नाला बंद करने का काम अभी भी चल रहा है। इसे कुंभ के पहले बंद हो जाना चाहिए था। गंगा बैराज से सिद्धनाथ घाट तक बसी बस्तियों का दूषित दो करोड़ लीटर गंदा पानी सीधे गंगा में जा रहा है। इसके अलावा सत्तीचौरा, डबका नाला, वाजिदपुर नाला, गोलाघाट नाला बंद करने के लिए अभी तक कोई कार्ययोजना नहीं बनी है।

आंकड़े पर उलझ गए थे विभाग

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सरकार ने आइआइटीआर से शहर के नालों की मॉनीर्टंरग कराई। इनमें गोलाघाट, डबका नाला, भगवतदास, रानीघाट समेत अन्य नाले शामिल हैं। संस्था की रिपोर्ट ने कहा था, गंगा साफ हैं। जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने आंकड़े जारी कर कहा था गंगा में गंदगी है। यह रिपोर्ट विभागों ने जनवरी के अंतिम में जारी की थी।

नालों को बंद न करने को लेकर कंपनी पर जुर्माना लगाया गया है। बायोरेमिडेशन जून माह तक चलेगा। तीन नाले छावनी परिषद को बंद करने है। चोर नालों को बंद करने के लिए कार्ययोजना तैयार हो रही है।

- घनश्याम द्विवेदी, परियोजना प्रबंधक जल निगम


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