'काल कोठरी' से निकले गोवंश देख भर आया दिल, हड्डियों के ढांचे में तब्दील शरीर, जगह-जगह जख्म
जिला पंचायत के सचेंडी कांजी हाउस से पहली खेप में 11 मवेशी लाए गए।
कानपुर, शैलेन्द्र त्रिपाठी। जेल में बंद कैदियों की हालत भी शायद ऐसी नहीं होती जो हाल सचेंडी कांजी हाउस से सरसौल गोशाला लाए गए पशुओं का था। हड्डियों के ढांचे में तब्दील शरीर, जगह-जगह जख्म। मानो इन्हें आज काल कोठरी से मुक्ति मिली हो। साफ दिखता था कि इन्हें लंबे अर्से से पेटभर चारा नहीं मिला। उनकी यह दीन दशा देख गोशाला के पास जुटे लोगों का दिल भर आया। सोमवार को सरसौल रामपुर मार्ग पर बना वृहद गो संरक्षण शुरू किया गया। शाम को जिला पंचायत के सचेंडी कांजी हाउस से पहली खेप में 11 मवेशी लाए गए। इनमें अधिकतर की हालत बेहद खराब थी। तीन गोवंश तो डीसीएम में ही मरणासन्न हालत में पड़े थे। किसी तरह उन्हें घसीटकर नीचे उतारा गया तो उनके जख्म ताजे हो गए। दर्द से कराह रहे गोवंश घंटों बेसुध पड़े रहे। एक तो इतना कमजोर था कि कांप रहा था। कई मवेशी सही ढंग से चल भी नहीं पा रहे थे। नाजुक हालत देख पशु चिकित्सक डॉ. विवेक ¨सह के नेतृत्व में टीम ने मवेशियों का उपचार किया। कुछ जिम्मेदार लोगों ने पांच किलो गुड़ मंगाकर खिलाया।
कांजी हाउस में एक पशु पर 82 रुपये खर्च
अन्ना मवेशियों के भरण-पोषण में दोहरी व्यवस्था से जिम्मेदारों में असंतोष है। कांजी हाउस में प्रति जानवर 82 रुपये प्रतिदिन और ग्राम पंचायतों में 30 रुपये ही भुगतान मिलता है। बहरहाल कांजी हाउस से आए मवेशियों को देखकर कहीं से नहीं लगता था कि इन पर 20 रुपये भी रोज खर्च होते रहे होंगे।
-संचेडी कांजी हाउस से आए तीन मवेशियों की हालत ¨चताजनक है। तीनों का उपचार चल रहा है। मवेशी पहले से बेहतर हैं। -महेन्द्र प्रसाद शुक्ला, बीडीओ सरसौल
जागरण ने उठाया था मुद्दा
सरसौल रामपुर मार्ग में नवोदय स्कूल के बगल में 1.20 करोड़ रुपये की लागत से बने जिस वृहद गो संरक्षण केंद्र की शुरुआत सोमवार से हुई, वह मुख्यमंत्री के लोकापर्ण के बाद भी दो महीने चालू नहीं हुआ था। दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया तब सीडीओ के निर्देश पर इसे शुरू कराया गया। सोमवार देर शाम तक यहां सचेंडी कांजी हाउस से 21 पशु लाए गए। इस मौके पर प्रधान रज्जन शुक्ला, सचिव ओमकार, एडीओ संतोष दोहरे मौजूद रहे।