गंगाजल में लेड और कैडमियम, खतरे में जीवन
अलग-अलग नौ स्थानों पर पानी के नमूने एकत्र कर परीक्षण कराने में सामने आई हकीकत
समीर दीक्षित,कानपुर : गंगाजल अब जीवनदायी नहीं रहा, ये हम नहीं बल्कि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर का शोध कह रहा है। विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने कन्नौज से वाजिदपुर (जाजमऊ) तक अलग-अलग नौ स्थानों पर पानी के नमूने एकत्र कर परीक्षण कराया तो यह हकीकत सामने आई। गंगाजल में लेड और कैडमियम की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों से कहीं ज्यादा मिली है। इसकी वजह से इंसान और जलीय जीवों का जीवन खतरे में है। चिकित्सक इस पानी के सेवन से किडनी और पेट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बताकर आगाह कर रहे हैं। जांच टीम का मानना है कि औद्योगिक अपशिष्ट गंगा में जाने की वजह से यह दिक्कत बढ़ रही है और इसे सीधे गंगा में गिरने से रोकना बेहद जरूरी है।
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मुख्यमंत्री को दी जाएगी रिपोर्ट
विश्वविद्यालय कुलपति ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर एक रिपोर्ट दी थी। इसमें गंगाजल में क्रोमियम व आर्सेनिक की मात्रा होने की जानकारी दी गई थी। इसके साथ ही लेड और कैडमियम पर शोध की जानकारी दी थी। अब यह रिपोर्ट भी उन्हें भेजी जाएगी।
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गंगाजल में लेड और कैडमियम की मात्रा मानक से ज्यादा मिलना चिंताजनक है। इनके बढ़ने से रोकना होगा। जल्द समग्र रिपोर्ट गंगा से जुड़े मंत्रालयों को भी भेजेंगे।
- प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता, कुलपति, सीएसजेएमयू
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लेड और कैडमियम हैवी मेटल हैं। पानी के साथ थोड़ी मात्रा में जाने पर पेट में दर्द और मरोड़ की शिकायत होती है। लिवर पर भी असर पड़ता है। पानी के साथ अधिक मात्रा में शरीर में जाने से नसें कमजोर हो जाती हैं, जिससे पैरालिसिस हो सकता है। किडनी के लिए यह घातक हैं, संक्रमण से लेकर फेल्योर तक की स्थिति बन सकती है।
- डॉ. विशाल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।
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ये हैं हालात
स्थान मात्रा
मेहंदीघाट कन्नौज 0.819
नानामऊ 0.109
शिवराजपुर 0.613
बिठूर 0.624
गंगाबैराज 0.728
परमट 0.433
शुक्लागंज 0.634
जाजमऊ 0.644
ंवाजिदपुर 0.839
(यह लेड की मात्रा है, मानक- 0.01 मिग्रा.प्रतिलीटर होना चाहिए।)
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स्थान मात्रा
मेहंदीघाट कन्नौज .025
नानामऊ .014
शिवराजपुर .014
बिठूर .044
गंगा बैराज .066
परमट .046
शुक्लागंज .220
जाजमऊ .224
वाजिदपुर .424
(यह मात्रा कैडमियम की है, डब्लूएचओ के मानकों के मुताबिक मात्रा .003 मिग्रा प्रतिलीटर होनी चाहिए।)