आतंकियों की पनाहगाह बना कानपुर, पकड़े जा चुके कई आतंकवादी
बुधवार रात एक और आंतकी की गिरफ्तारी ने साफ हुआ कि शहर पर मंडरा रहे दहशत और खतरे के बादल
जागरण संवाददाता, कानपुर : बारूद के ढेर पर बैठा शहर आतंकियों की पनाहगाह बन गया है। बारूद के ढेर पर इसलिए कहा क्योंकि यहां पहले भी कई आतंकी पकड़े जा चुके हैं। यहां खुरासान मॉड्यूल की सक्रियता से पहले पाकिस्तानी एजेंट पकड़े गए। इसके बाद नक्सली और स्लीपिंग मॉड्यूल की गिरफ्तारी हुई, इसके साथ ही पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठनों के लिए फंड जुटाने वाले मॉड्यूल के सरगना रमेश शाह की जड़ें भी कानपुर परिक्षेत्र में होने के पर्याप्त सुबूत मिले। किस्मत ही रही कि आतंकी अब तक किसी भयावह वारदात को अंजाम नहीं दे पाए। इसी बीच बुधवार रात एक और आंतकी की गिरफ्तारी ने साफ कर दिया है कि दहशत और खतरे के बादल शहर पर मंडरा रहे हैं।
आयुध निर्माणियों के साथ ही प्रौद्योगिकी संस्थान, एयरपोर्ट और गैस प्लांट सरीखे अहम संस्थानों और औद्योगिक घरानों की वजह से कानपुर काफी संवेदनशील है। शहर स्लीपिंग माड्यूल्स की सक्रियता का केंद्र बना है। एटीएस सूत्रों के मुताबिक शहर में पाकिस्तानी एजेंट, स्लीपिंग मॉड्यूल्स की गतिविधियों और टेरर फंडिंग के पुख्ता सुबूत के बाद एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) टीम की गतिविधियां बढ़ा दी गई हैं। सात मार्च 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में जबड़ी रेलवे स्टेशन के पास हुए विस्फोट का मास्टर माइंड गौस मोहम्मद, मो. दानिश व आतिफ जाजमऊ के रहने वाले हैं। मुठभेड़ में मारा गया सैफुल्लाह भी इसी इलाके का था। इनके साथियों में सैयद मीर हुसैन कन्नौज का है।
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शहर में पकड़े गए दहशतगर्द
- 11 सितंबर 2009 को आइएसआइ एजेंट इम्तियाज सचेंडी से गिरफ्तार।
-27 सितंबर 2009 को बिठूर से आइएसआइ एजेंट वकास की गिरफ्तारी।
-18 सितंबर 2011 को रांची निवासी आइएसआइ एजेंट फैसल रहमान उर्फ गुड्डू को एटीएस ने गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान भेजने के आरोप में रेलबाजार से किया गिरफ्तार।
- जुलाई 2012 में सेंट्रल स्टेशन से फिरोज नाम के संदिग्ध की गिरफ्तारी।
- अप्रैल 2014 को पटना में विस्फोट करने वाले एक संदिग्ध को पनकी स्टेशन के पास से एटीएस ने पकड़ा।
- मार्च 2017 में भोपाल में ट्रेन में ब्लास्ट करने वाले आतंकी गिरोह खुरासान मॉड्यूल के तीन आतंकी गिरफ्तार।
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आंतकी के साथियों का शहर में कनेक्शन तलाश रही एटीएस
एटीएस टीम संदिग्ध के शहर में ही होने की आ रही जानकारी को नजरअंदाज न करते हुए लगातार सर्च अभियान जारी रखे है। हालांकि इस बार सब कुछ गोपनीय तरीके से हो रहा है। इसके साथ पुलिस ने भी होटल, लॉज और मिश्रित आबादी क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी है। संदिग्ध की पैठ शहर में क्या है और कहां से मदद मिल सकती है, इसके लिए टीम ने जाजमऊ, चमनगंज, कल्याणपुर, सचेंडी और बिठूर के लॉज व फार्म हाउस के साथ मुर्गी फार्म और बंद पड़ी शहर व गंगा पार की टेनरी पर नजरें गड़ा दी हैं। बताते हैं कि उसे शहर से आर्थिक और वैचारिक सपोर्ट मिल रहा था। उसका ही फायदा उठाकर वह सुरक्षा एजेंसियों को चकमा दे रहे हैं।
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'आतंकियों की पाठशाला' जाने वालों की फिर होगी काउंसिलिंग
एटीएस उन पर भी नजर रखे हैं, जहां से मार्च 2017 में पकड़े गए संदिग्ध आतंकी गौस मोहम्मद के ग्रुप से जुड़े लोगों को मदद मिली थी। लखनऊ में मुठभेड़ में मारा गया सैफुल्लाह का पड़ोसी गौस शहर में आतंकियों की पाठशाला चलाता था जिसमें शहर व आसपास के करीब 75 लोग शामिल हो रहे थे। हालांकि एटीएस उन्हें मुख्यधारा में वापस ले आई। इसके बाद से एटीएस शहर के मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों व सूनसान स्थानों पर बने धार्मिक स्थलों पर नजर बनाए है। सूत्रों के मुताबिक आतंकी गतिविधियां बढ़ने से एटीएस दोबारा उनकी काउंसलिंग करने जा रही है।
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विस्फोट बयां करते हैं यहां की संवेदनशीलता
1995 में घंटाघर चौराहे पर साइकिल पर लदे बमों में विस्फोट व 2001 में आर्य नगर चौराहे पर एक मकान में कुकर बम फटने के बाद शहर में आतंकी संगठनों के होने के संकेत मिले थे। 2006 में रोशन नगर में हुए बम ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत हो गई। एटीएस ने बिठूर, सचेंडी और बाबूपुरवा से सात लोगों को गिरफ्तार किया। इसी बीच 2008 में राजीव नगर विस्फोट में दो लोगों की मौत और बजरंग दल के पूर्व संयोजक भूपेंद्र सिंह का नाम आया। नजीराबाद में 2009 में विस्फोट में बच्ची की मौत और 2010 में कल्याणपुर के बारासिरोही में 5 लोगों के बाद भी पुलिस ने सतर्कता बरतने के बजाय इन्हें अवैध पटाखा बनाने के दौरान हुआ हादसा करार दिया। 4 मई 2011 में रावतपुर से किदवई नगर जाने वाले टेंपो में टिफिन बम मिला। इस मामले में घातक विस्फोट की पुष्टि हुई पर जांच अंजाम तक नहीं पहुंची।
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एटीएस के रडार पर आंतकियों की फ्रेंड लिस्ट
शहर में संदिग्ध आतंकियों की फ्रेंड लिस्ट की एटीएस बारीकी से जांच कर रही है। इसके पीछे उनके साथियों का एक ग्रुप का सक्रिय होने की आशंका बताई जा रही है जिन्होंने फिर से शहर में पांव पसारना शुरू कर दिया है।
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नक्सली-आतंकियों को सप्लाई होते शस्त्र-कारतूस
शहर से नक्सली व आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों को शस्त्र से लेकर कारतूस तक एजेंटों के माध्यम से मुहैया कराए जा रहे हैं। एटीएस ने पिछले दिनों शहर में चार शस्त्र विक्रेताओं के नक्सली व आंतकियों के गठजोड़ का खुलासा किया था। यह लोग नकली लाइसेंस बनाने के साथ कागजों में हेरफेर कर उन्हें शस्त्र व कारतूस भेज रहे थे। एटीएस सूत्रों के मुताबिक आतंकी सैफुल्लाह को शस्त्र व कारतूस सप्लाई करने वाले राघवेंद्र से इसकी लीड मिली। इन लोगों ने 2014 से 2016 तक मुंगेर का राजकिशोर राय को 29 शस्त्र और हजारों कारतूस बेचे थे।