स्मार्ट बनने जा रहे शहर में आवारा जानवरों का आतंक
अरबों से बन रही ख्वाबों की स्मार्ट सिटी में जानवरों पर अंकुश लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। हालत यह है कि शहर चिड़ियाघर बन गया है, शायद ही कोई मोहल्ला ऐसा होगा जो जानवरों के आतंक से अछूता हो।
जागरण संवाददाता, कानपुर : अरबों से बन रही ख्वाबों की स्मार्ट सिटी में जानवरों पर अंकुश लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। हालत यह है कि शहर चिड़ियाघर बन गया है, शायद ही कोई मोहल्ला ऐसा होगा जो जानवरों के आतंक से अछूता हो। सड़क पर सांड़, गाय, कुत्ते, सूअर और छत पर बंदरों के आतंक के चलते लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है। पॉश इलाके तक अछूते नहीं हैं। नगर निगम का अमला आवारा जानवरों के आगे नतमस्तक है।
पॉश इलाके का छीना चैन
आवारा जानवरों की बढ़ती धमाचौकड़ी ने पॉश इलाकों में रहने वालों का भी चैन छीन लिया है। आवारा जानवरों को पकड़ने वाला नगर निगम का कैटिल कैचिंग दस्ता केवल दफ्तर में ही बैठा रहता है और पशु चिकित्साधिकारी संसाधनों के अभाव का रोना रोते रहते हैं। स्वरूप नगर थाने से पुरानी सेल्स टैक्स रोड स्वरूप नगर में जाने वाली सड़क पर दिन भर में आवारा जानवर दौड़ा करते हैं, लेकिन नगर निगम को नहीं दिखाई देता है। आर्यनगर, स्वरूप नगर, तिलक नगर, काकादेव, पांडुनगर समेत कई पॉश इलाकों में आवारा जानवरों का आतंक है।
मंदिरों व बाजारों में सांड़ की दहशत
मंदिरों व बाजारों में सांड़ की दहशत है। आनंदेश्वर मंदिर परमट के बाहर ही सांड़ घूमते मिल जाएंगे। सीसामऊ बाजार, रावतपुर, काकादेव, पीरोड, पुराना सीसामऊ बाजार, गोविन्द नगर में सांड़ अब तक कई लोगों को चुटहिल कर चुका है।
कुत्तों से परेशान इलाके
मरियमपुर, फजलगंज, दर्शनपुरवा, राजापुरवा, रामबाग, छपेड़ा पुलिया समेत कई इलाकों में रात में कुत्तों का झुंड सड़क पर घूमता रहता है। बाइक सवारों को देख अचानक यह झुंड हमला बोल देता है, जरा से चूके तो हाथ-पैर टूटना तय है।
बंध्याकरण का अभियान ठप
कुत्तों को पकड़ने और बंध्याकरण करने का अभियान दो साल से बंद पड़ा है।
सूअर पकड़ने का अभियान केवल दिखावा
पीएसी न मिलने के कारण सूअर पकड़ने का अभियान केवल दिखावा बनकर रह गया है। सुरक्षा न मिलने के कारण कर्मचारी सुअर पकड़ने नहीं जाते हैं। कई बार दस्ते पर हमला हो चुका है। लाल बंगला, रामबाग, जवाहर नगर, नेहरू नगर, श्यामनगर, ब्रह्मनगर समेत कई इलाकों में सूअर का आतंक है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
कुत्तों को पकड़ने और बंध्याकरण के लिए 24 को टेंडर खोले जाएंगे। इसके बाद तय होगा कि कौन कंपनी कुत्तों को पकड़ेगी। इसके अलावा सीमित संसाधनों के बावजूद रोजाना आवारा जानवर पकड़े जा रहे हैं और जानवरों को पकड़ने के लिए वाहन खरीदे जा रहे हैं। प्यौंदी जाजमऊ में एक हजार गाय रखने की व्यवस्था की जा रही है।
- डॉ एके सिंह, पशु चिकित्साधिकारी नगर निगम