मोबाइल और कंप्यूटर से गहरी दोस्ती किशोरियों को बना रही है बीमार
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की बढ़ रही समस्या, इलाज न कराने पर आगे चलकर मातृत्व सुख से भी हो सकती वंचित।
By AbhishekEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 02:54 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 04:52 PM (IST)
कानपुर (जागरण स्पेशल)। पर्यावरण प्रदूषण, कॅरियर बनाने का तनाव, आधुनिक खानपान, मोबाइल-कंप्यूटर पर दिनभर चिपके रहना और शारीरिक श्रम से दूरी किशोरियों को बीमार बना रहा है। उनमें तेजी से पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) की समस्या बढ़ रही है। चिकित्सकों का मानना है कि प्रत्येक 10 में से एक किशोरी इस समस्या से जूझ रही है। हार्मोंस में गड़बड़ी से अंडाशय अधिक मात्रा में एण्ड्रोजन बनाता है, जिससे अंडे का विकास प्रभावित होता है। ऐसे में अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। समय से इलाज न कराने पर आगे चलकर मातृत्व सुख से भी वंचित हो सकती हैं।
ये हैं लक्षण
-वजन बढऩा या मोटापा-गर्दन और अन्य क्षेत्रों पर धब्बे पडऩा
-मासिक धर्म या पीरियड में अनियमितता
-चेहरे एवं त्वचा पर अनचाहे बाल उगना
-बेचैनी, थकावट और अनिद्रा
-मुंहासे (पिंपल्स)
ये हैं कारण
-पीसीओएस के कई कारण हैं।
-आनुवांशिक कारक हो सकते हैं।
-रक्त में इंसुलिन का स्तर बढऩा।
-एण्ड्रोजन अधिक मात्रा में बनना।
-अंडे का विकास प्रभावित होना
प्रमुख जांचें
हार्मोन प्रोफाइल, ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफाइल, अल्ट्रासाउंड/टीवीएस
पीसीओएस के खतरे
बांझपन का खतरा, बार-बार गर्भपात तनाव (डिप्रेशन), मेटाबॉलिक सिंड्रोम।
ये है वजह
जंक फूड, तला मसालेदार भोजन, व्यायाम न करना, मोबाइल-कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल व पर्याप्त नींद न लेना और खेलकूद से बढ़ती दूरी
ऐसे करें बचाव
संतुलित आहार, भोजन में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट की मात्रा, हरी सब्जियां, व्यायाम, भरपूर नींद, तनाव रहित जीवन
आयुर्वेद में भी संभव इलाज
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय गीता नगर की चिकित्सा अधिकारी डॉ. अर्पिता सी राज के मुताबिक आयुर्वेद में अनियमित मासिकधर्म में अधिक रक्तस्राव, दर्द और सूजन में अशोक के प्रयोग से राहत मिलती है। हार्मोन में गड़बड़ी तथा अनियमित मासिक धर्म से पहले के घबराहट और तनाव में शतावरी का इस्तेमाल लाभदायक है। दशमूल लोध, मुस्तक, पिपली, गुडची, शतपुष्पा, मुंडी, शिवलिंगी, विजय सार, पथयादि क्वाथ, नष्ट पुष्पांतक रस, त्रिकटु, तथा मधुमेह में इस्तेमाल होने वाली औषधि इंसुलिन की मात्रा संतुलित करने के साथ वात और कफ का शमन करती हैं। अगर स्थिति गंभीर हो तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
ये हैं लक्षण
-वजन बढऩा या मोटापा-गर्दन और अन्य क्षेत्रों पर धब्बे पडऩा
-मासिक धर्म या पीरियड में अनियमितता
-चेहरे एवं त्वचा पर अनचाहे बाल उगना
-बेचैनी, थकावट और अनिद्रा
-मुंहासे (पिंपल्स)
ये हैं कारण
-पीसीओएस के कई कारण हैं।
-आनुवांशिक कारक हो सकते हैं।
-रक्त में इंसुलिन का स्तर बढऩा।
-एण्ड्रोजन अधिक मात्रा में बनना।
-अंडे का विकास प्रभावित होना
प्रमुख जांचें
हार्मोन प्रोफाइल, ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफाइल, अल्ट्रासाउंड/टीवीएस
पीसीओएस के खतरे
बांझपन का खतरा, बार-बार गर्भपात तनाव (डिप्रेशन), मेटाबॉलिक सिंड्रोम।
ये है वजह
जंक फूड, तला मसालेदार भोजन, व्यायाम न करना, मोबाइल-कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल व पर्याप्त नींद न लेना और खेलकूद से बढ़ती दूरी
ऐसे करें बचाव
संतुलित आहार, भोजन में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट की मात्रा, हरी सब्जियां, व्यायाम, भरपूर नींद, तनाव रहित जीवन
आयुर्वेद में भी संभव इलाज
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय गीता नगर की चिकित्सा अधिकारी डॉ. अर्पिता सी राज के मुताबिक आयुर्वेद में अनियमित मासिकधर्म में अधिक रक्तस्राव, दर्द और सूजन में अशोक के प्रयोग से राहत मिलती है। हार्मोन में गड़बड़ी तथा अनियमित मासिक धर्म से पहले के घबराहट और तनाव में शतावरी का इस्तेमाल लाभदायक है। दशमूल लोध, मुस्तक, पिपली, गुडची, शतपुष्पा, मुंडी, शिवलिंगी, विजय सार, पथयादि क्वाथ, नष्ट पुष्पांतक रस, त्रिकटु, तथा मधुमेह में इस्तेमाल होने वाली औषधि इंसुलिन की मात्रा संतुलित करने के साथ वात और कफ का शमन करती हैं। अगर स्थिति गंभीर हो तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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