सीएसए में तकनीशियन और फार्मासिस्ट के भरोसे इलाज
स्वास्थ्य केंद्र में तीन साल से नहीं है कोई डॉक्टर, दवाओं का संकट, नर्सिगहोम में इलाज का सहारा
जागरण संवाददाता, कानपुर : सूबे के सबसे नामी कृषि विश्वविद्यालय में चिकित्सा सुविधाएं मुंह चिढ़ा रही हैं। यहां बने स्वास्थ्य केंद्र में तीन साल से किसी चिकित्सक की तैनाती नहीं हुई है। तकनीशियन और फार्मासिस्ट के भरोसे छात्र, फैकल्टी और स्टाफ की सेहत है।
चंद्रशेखर आजाद (सीएसए) कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में तकरीबन 2200 छात्र-छात्राएं हैं। 200 से अधिक फैकल्टी हैं। काफी संख्या में स्थाई और अस्थाई स्टाफ है। उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए परिसर में 1977 में स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था। शुरूआत में चिकित्सक, तकनीशियन और स्टाफ की नियुक्ति हुई, लेकिन समय के साथ सुविधाएं दम तोड़ती चली गई। इसमें तकनीशियन, खून की जांच, चोट लगने पर ड्रेसिंग, एंबुलेंस आदि की सुविधा थी।
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डॉक्टरों की हुई थी तैनाती
सन 1977 में स्वास्थ्य केंद्र में डॉ. आरबी सिंह की तैनाती हुई। उनके बाद फरवरी 1979 में डॉ. एमपी सिंह की नियुक्ति हुई। वह 2003 तक रहे। उनके सेवानिवृत होने के बाद 2008 तक अस्थाई तौर पर काम करते रहे। 2009 से 2013 तक डॉ. एसके सिंह और डॉ. अंजू पांडेय तैनात रहे। 2014-15 तक डा. सपना और डॉ. डीके वर्मा ने मरीजों के स्वास्थ्य की जांच की। 2015 से कोई डॉक्टर नहीं है।
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मौजूदा समय में स्टाफ
फार्मासिस्ट- 2
एंबुलेंस चालक-2
लैब टेक्निशियन-1
र्क्लक-1
वार्ड ब्वाय-1
ड्रेसर-1
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दवाओं का संकट
स्वास्थ्य केंद्र में दवाओं का संकट है। सर्दी, खांसी, उल्टी दस्त, पेट दर्द जैसी साधारण बीमारियों की ही दवाएं उपलब्ध हैं। जरा सी दिक्कत बढ़ने पर मरीज को तुरंत शिफ्ट करना पड़ता है।
------------------- शासन से फिजीशियन और स्त्री रोग विशेषज्ञ की स्थाई नियुक्ति की मांग की गई है। तब तक छह छह महीने के लिए डॉक्टरों को अनुबंध के तौर पर रखा जाएगा। '
- प्रो. मुनीष गंगवार, निदेशक प्रशासन, सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय