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निपुण भारत मिशन के तहत बच्चों को मानसिक मजबूत करेंगे शिक्षक, विद्यालयों में संचालित होगा स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम

निपुण भारत मिशन के तहत होने वाली इस कवायद को लेकर अब हर परिषदीय विद्यालय में आगामी तीन माह तक शिक्षक बच्चों को मानसिक तौर पर मजबूत करेंगे। पढ़ाई के पुराने ढर्रे को पीछे छोड़ वह रोचक अंदाज में हिंदी भाषा व गणितीय दक्षताओं में उन्हें निपुण बनाएंगे।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 03:38 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 03:38 PM (IST)
निपुण भारत मिशन के तहत बच्चों को मानसिक मजबूत करेंगे शिक्षक, विद्यालयों में संचालित होगा स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम
निपुण भारत मिशन की खबर से संंबंधित सांकेतिक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी के दौरान परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई तो प्रभावित हुई, साथ ही उनके मानसिक स्तर पर भी असर पड़ा। हालांकि, जब से स्कूल खुले तो बच्चे पढ़ने आने लगे। अब, उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा में पहले की तरह कैसे जोड़ा जाए? इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल रे़डीनेस कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसका मकसद है, कि सभी बच्चे पढ़ाई कर सकें और रोजाना स्कूल आएं।

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निपुण भारत मिशन के तहत होने वाली इस कवायद को लेकर अब हर परिषदीय विद्यालय में आगामी तीन माह तक शिक्षक बच्चों को मानसिक तौर पर मजबूत करेंगे। पढ़ाई के पुराने ढर्रे को पीछे छोड़ वह रोचक व खेल-खेल के अंदाज में हिंदी भाषा व गणितीय दक्षताओं में उन्हें निपुण बनाएंगे। इसके लिए तीन अलग-अलग बैचों में कुल 97 संकुल प्रभारियों को प्रशिक्षित कर दिया गया है। जो सभी विकासखंडों में कक्षा एक में पढ़ाने वाले शिक्षकों को बीआरसी पर जाकर आफलाइन प्रशिक्षण देंगे। इस संबंध में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की प्राचार्य रेखा श्रीवास्तव ने सभी जिम्मेदारों संग बैठक कर कार्ययोजना तैयार कर ली है। बैठक में राज्यस्तरीय संदर्भदाता अजीर्जुरहमान, सोनिया मल्होत्रा, डा.प्रिया आनंद, शबाना परवीन, प्रबोध प्रताप सिंह ने भी अपने विचार रखे।

आनलाइन के साथ करानी होगी आफलाइन पढ़ाई: बीएसए डा.पवन तिवारी ने बताया कि शिक्षकों को बच्चों को आनलाइन व आफलाइन दोनों ही प्रारूपों पर पढ़ाना होगा। अगर बच्चे स्कूल आ रहे हैं तो स्कूल में और अगर घर पर हैं तो आनलाइन उन्हें विषयों की जानकारी देनी होगी। साथ ही, समय-समय पर उनसे संवाद करके उनके पढ़ाई का स्तर और मानसिक विकास का स्तर भी जानना होगा। हर विकासखंड में शिक्षकों द्वारा रिपोर्ट तैयार की जाएगी और उसकी मानीटरिंग खंड शिक्षाधिकारी करेंगे।


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