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लक्ष्य से बहुत दूर है जीएसटी पंजीयन की 'दिल्ली', डेडलाइन में महज डेढ़ महीना ही बाकी Kanpur News

शासन से तय 65 हजार के लक्ष्य से इर्द-गिर्द भी वाणिज्य कर विभाग नहीं दिख रहा है।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 10:08 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 10:08 AM (IST)
लक्ष्य से बहुत दूर है जीएसटी पंजीयन की 'दिल्ली', डेडलाइन में महज डेढ़ महीना ही बाकी Kanpur News
लक्ष्य से बहुत दूर है जीएसटी पंजीयन की 'दिल्ली', डेडलाइन में महज डेढ़ महीना ही बाकी Kanpur News

कानपुर, [श्रीनारायण मिश्र]। जीएसटी पंजीयन के मामले में शासन ने जो लक्ष्य दिया है, उसे हासिल करना असंभव दिख रहा है। वाणिज्य कर विभाग (एसजीएसटी) के अफसरों ने सारी ताकत लगा रखी है, बावजूद इसके अभी तक पांच फीसद लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाए हैं, जबकि तय की गई डेडलाइन में महज डेढ़ महीना ही बाकी है।

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वाणिज्य कर विभाग के कानपुर क्षेत्र में कानपुर नगर, कानपुर देहात और उन्नाव जिले आते हैं। जहां करीब 62 हजार जीएसटी पंजीकृत व्यापारी हैं। शासन ने 31 मार्च तक यहां 65 हजार नए व्यापारी पंजीकृत करने का लक्ष्य दिया है। विभाग ने 30 उपायुक्तों समेत अफसरों की भारी भरकम टीम लगा रखी है, जो रोज जागरुकता शिविर लगा रही है।

फिर भी परिणाम निराशाजनक हैं। 31 मार्च में सिर्फ डेढ़ महीने बचे हैं और लक्ष्य पांच फीसद भी हासिल नहीं हुआ। ऐसे में दस से 15 फीसद लक्ष्य हासिल करना भी कठिन दिख रहा है। इसके पीछे व्यापारियों की अनिच्छा और विभाग की कमजोरी सामने आ रही है। सबसे नकारात्मक पहलू यह है कि अधिकारी शुरू से ही लक्ष्य असंभव मान रहे थे और वे व्यापारियों से सहमत दिखते हैं।

निराश कर रहे जनवरी के आंकड़े

जनवरी में जोन एक में एसजीएसटी के 405 और सीजीएसटी के 523 पंजीयन हुए हैं। जोन दो में 366 और 428 पंजीयन हुए हैं। कुल 1762 पंजीयन हो पाए हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार अब तक कुल पांच फीसद यानी कुल 3250 पंजीयन भी नहीं हो पाए।

पंजीयन के विरोध में व्यापारियों के तर्क

अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री ज्ञानेश मिश्र कहते हैं कि 40 लाख के नीचे टर्नओवर वाले व्यापारी पेंशन योजना में नहीं आएंगे। पंजीयन कराने पर 40 लाख से कम टर्नओवर वाले व्यापारी को भी त्रैमासिक और वार्षिक रिर्टन भरना पड़ेगा। हर बिक्री का बिल बनाना पड़ेगा और 50 हजार से अधिक के एक बिल पर ई वे बिल भी डाउनलोड करना पड़ेगा। इसमें एक व्यापारी का 24 से 60 हजार रुपये वार्षिक खर्च आएगा, इसलिए व्यापारी कतरा रहे हैं।

-पंजीयन के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं, परिणाम अच्छे आएंगे। जहां तक आंकड़ों की बात है तो वह सूचना अधिकार अधिनियम के तहत ही बताए जा सकते हैं।-अशफाक अहमद, अपर आयुक्त, ग्रेड वन


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