संसाधनों के अभाव में एथलीट्स के लिए सपना बना सिंथेटिक ट्रैक, फर्राटा भरने को अन्य शहरों पर निर्भर खिलाड़ी
प्रतियोगिता से कुछ दिन पहले एथलीट दूसरे शहर में करते अभ्यास शहर में सिंथेटिक ट्रैक नहीं होने के कारण एथलीट प्रतियोगिता में चयन के बाद अभ्यास रोड या अन्य मैदानों में करते हैं। बेहतर ग्रिपिंग के लिए एथलीट कुछ दिन पहले दूसरे जिलों में जाकर अभ्यास करते हैं।
कानुपर, जेएनएन। खेल और खिलाडिय़ों के लिए हमेशा चॢचत रहने वाला शहर वर्तमान में संसाधन की कमी ओर अधूरे वादों से जूझ रहा है। जिसके कारण प्रतिभावान खिलाडिय़ों को दूसरे शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है। जहां एक ओर ओलिंपिक में खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। वहीं, शहर के राष्ट्रीय व प्रदेशस्तरीय खिलाडिय़ों को संसाधन की कमी के चलते भटकना पड़ता है। एथलेटिक्स कानपुर के सचिव डा. देवेश दुबे ने बताया कि शहर के एथलीटों को लंबे समय से संसाधन की कमी से जूझना पड़ रहा है।
जिसका असर उनका प्रदर्शन पर देखने को मिलता है। प्रदेश के प्रमुख शहरों में शुमार कानपुर में एक भी सिंथेटिक ट्रैक नहीं हैं। जिसके कारण प्रतिभावान खिलाड़ी राष्ट्रीय मंच तक का सफर तो तय कर लेते हैं परंतु उसमें जीत के लिए उनके प्रदर्शन अन्य प्रतिभागियों से सिर्फ संसाधन की कमी के कारण पिछड़ जाता है। उन्होंने बताया कि कई बार ग्रीनपार्क में एथलीटों के लिए सिंथेटिक व सेंड ट्रैक बनाने की योजना बनी। परंतु हर बार सिर्फ वो कागजों में सिमटकर रह गई।
प्रतियोगिता से कुछ दिन पहले एथलीट दूसरे शहर में करते अभ्यास शहर में सिंथेटिक ट्रैक नहीं होने के कारण एथलीट प्रतियोगिता में चयन के बाद अभ्यास रोड या अन्य मैदानों में करते हैं। बेहतर ग्रिपिंग के लिए एथलीट कुछ दिन पहले दूसरे जिलों में जाकर अभ्यास करते हैं। इस दौरान खिलाडिय़ों को अतिरिक्त रुपये खर्च करने पड़ते हैं। कागजों में सिमटा ग्रीनपार्क का सेंड ट्रैक दो वर्ष पहले ग्रीनपार्क स्टेडियम में 100 और 300 मीटर के सेंड ट्रैक निर्माण की योजना बनाई गई थी। जिसका काम अभी तक शुरू नहीं हो सका। शहर में सिंथेटिक ट्रैक व सेंड ट्रैक के अभाव के चलते एथलीट की प्रतियोगिताओं का अभाव रहता है। हालांकि शहर से मीनू, नेहा, संजय, आदित्य, अंकित सहित दर्जनों खिलाड़ी हैं। जिन्होंने कई प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर शहर का मान बढ़ाया।