मधुमेह के लिए चीनी नहीं जिम्मेदार, इसकी अति नुकसानदायक
चीनी के प्रति बदलती मानसिकता से बाजार में बदलाव होने लगा है। उपभोक्ता हर खाने पीने की वस्तु, दवा, हेल्थ ड्रिंक में शुगर फ्री की खोज करने लगा है।
कानपुर (जेएनएन)। शक्कर (चीनी) मीठा जहर नहीं है। हां, इसकी अति जरूर नुकसानदायक हो सकती है। अक्सर मधुमेह, मोटापे, दांत खराब होने के पीछे चीनी का ही दोष दिया जाता है, जो कि बिलकुल गलत है।
आज दुनिया भर में लोग मधुमेह से डर कर मीठे से परहेज कर रहे हैं, जिससे उनके शरीर को आवश्यक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं। इसकी जानकारी इंटरनेशनल शुगर आर्गेनाइजेशन (आइएसओ) लंदन के वरिष्ठ विश्लेषक पीटर डी क्लार्क ने दी। वह कल नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआइ) में 'चीनी और चीनी उत्पादों के प्रति उपभोक्ताओं की बदलती वरीयता' विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में शोध पत्र पढ़ रहे थे। यह महत्वपूर्ण रिसर्च आइएसओ ने 126 देशों में किया है।
उन्होंने बताया कि चीनी के प्रति बदलती मानसिकता से बाजार में बदलाव होने लगा है। उपभोक्ता हर खाने पीने की वस्तु, दवा, हेल्थ ड्रिंक में शुगर फ्री की खोज करने लगा है। मिठाइयां, केक, आइसक्रीम में शुगर फ्री की कई किस्में हैं लेकिन उनके दाम अधिक रहते हैं। इस सेमिनार में अमेरिका, इंग्लैंड, युगांडा, श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल आदि देशों के करीब 300 विशेषज्ञ और चीनी उद्योग से जुड़े लोग शामिल हुए और भविष्य की संभावनाओं पर मंथन किया। इससे पहले पीटर डी क्लार्क व एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
इंडोनेशिया से आए सोटो जो रानो ने उत्पादकता व दक्षता बढ़ाने के लिए अपने देश के चीनी मिल मॉडल की रूपरेखा प्रस्तुत की। युगांडा के प्रतिनिधि फरहान नाखुदा ने बताया कि युगांडा में एक लाख 40 हजार मीट्रिक टन प्रतिवर्ष चीनी का उत्पादन होता है, जिससे घरेलू मांग भी पूरी होती है और निर्यात भी की जाती है। थाईलैंड के डॉ. विराट वरिक श्रीरत्ना ने गन्ना एवं चीनी उत्पादन के क्षेत्र में अनुसंधान के बारे में चर्चा की। कांफ्रेंस के दूसरे सत्र में पैनल डिस्कसन हुआ। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक एससी मिश्रा ने चीनी की क्वालिटी स्टैंडर्ड, उसकी पैकिंग, लेबलिंग के बारे में बताया।
विभिन्न प्रकार की चीनी बनाएं
निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन के मुताबिक चीनी का उत्पादन खपत से अधिक होने पर प्लानिंग की जरूरत है। एक ही तरह की चीनी न बनाकर विभिन्न प्रकार की बनाई जाए। कांफ्रेंस का उद्देश्य भारतीय चीनी उद्योग के लिए एक दिशा तय करना है।
स्पेशल शुगर की बढ़ी मांग
नई दिल्ली से आए अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि दुनिया भर में बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ स्पेशल शुगर की मांग में वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि मॉरीशस ने वैश्विक बाजार की मांग को देखते हुए चीनी के कई उत्पाद तैयार कर लिये हैं। इसमें फार्मा शुगर, रॉक कैंडी शुगर, डेमरारा शुगर, लाइट एंड डार्कब्राउन शुगर, काफी क्रिस्टल शुगर, ब्रेकफास्ट शुगर आदि हैं। इन्हीं के चलते 50 से अधिक देशों को चीनी निर्यात कर रहा है।