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HBTU का सफल शोध, अब मिट्टी से साफ होगा दूषित जल और सिंचाई से बढ़ाएगा उर्वरा शक्ति

डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड में बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने कामयाबी मिट्टी से दूषित पानी का साफ करने में सफलता हासिल की है। इसमें मिट्टी के लैकेज एंजाइम की मदद से पानी को प्रदूषण रहित करके सिंचाई-धुलाई में इस्तेमाल योग्य बनाया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 07:51 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 07:51 AM (IST)
HBTU का सफल शोध, अब मिट्टी से साफ होगा दूषित जल और सिंचाई से बढ़ाएगा उर्वरा शक्ति
कानपुर में एचबीटीयू के विशेषज्ञ का शोध।

कानपुर, जेएनएन। मिट्टी हमारे लिए सिर्फ अन्न का इंतजाम ही नहीं करती बल्कि ये पानी की सेहत सुधारने में भी मददगार है। डॉ.आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड के बायोटेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष मनीष सिंह राजपूत ने मिट्टी के लैकेज एंजाइम की मदद से उद्योगों से निकला प्रदूषित पानी शोधित करने में कामयाबी पाई है। इस पानी को सिंचाई-धुलाई आदि के कामों में उनके इस शोध को इंडियन जर्नल ऑफ एक्सपेरीमेंटल बायोलॉजी व यूके के बायोकैटालिसिस एंड एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च जर्नल में भी प्रकाशित किया गया है।

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मिट्टी से प्राप्त किया लैकेज एंजाइम

हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के पूर्व निदेशक प्रो. एसके अवस्थी व एक अन्य गाइड प्रो. विनय द्विवेदी के निर्देशन में शोध कार्य करने वाले मनीष सिंह राजपूत ने बताया कि मिट्टी के बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाकर उससे लैकेज एंजाइम प्राप्त कर उससे औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कैंसर कारक हानिकारक केमिकल पायरेडीन को पानी से अलग करने में उन्होंने सफलता प्राप्त की है।

इस तरह साफ किया पानी

पायरेडीन का बायोडिग्रेडेशन करके उन्होंने जब इसकी जांच की तो यह तथ्य सामने आया कि पानी में पायरेडीन खत्म हो चुका है जबकि पर्यावरण मित्र तत्व उसमें शामिल हो चुके हैं। इन तत्वों से न केवल पर्यावरण संरक्षित जा सकता है बल्कि खाद्यान्न, अनाज व साग सब्जी की सिंचाई के लिए इंडस्ट्री से निकलने वाले जल का शोधन करके उसका इस्तेमाल भी किया जा सकता है। यह जैविक शोधन किसानों को बंपर पैदावार दिलाने के साथ उनकी मिट्टी को उर्वरक क्षमता भी प्रदान करेगा।

दूषित जल से अलग किया पायरेडीन

उन्होंने बताया कि इस शोध में आॢटफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का इस्तेमाल किया है। प्रयोगशाला में प्रथम चरण में आए सबसे बेहतरीन 20 परिणामों को एआइ की मदद से परखा गया। इस तकनीक ने बताया कि यह सभी परिणाम किस हद तक पायरेडीन को दूषित जल से अलग करने में कारगर हैं।

दूषित जल दोबारा कर सकते इस्तेमाल

उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री में निकलने वाले दूषित जल को लैकेज एंजाइम एप्लीकेशन से साफ करके दोबारा इस्तेमाल लायक बनाया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि नदियों, पोखरों व तालाबों में अक्सर औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला केमिकल घुलकर उसे दूषित बना देता है। इस प्रक्रिया से पानी का शोधन कर उसे प्रदूषणरहित किया जा सकता है।

  • बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट ऐसी विधि है जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। पानी के शोधन में केमिकल इस्तेमाल नहीं होता है। इस विधि के तहत बड़े-बड़े प्लांट बनाएं तो पानी में घुलित केमिकल की समस्या न केवल दूर होगी बल्कि खेती व रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने को भी भरपूर पानी मिलेगा। -प्रो. एसके अवस्थी, शोध गाइड

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