विदेश में खेती का पाठ पढऩे जाएंगे CSA Agriculture University के छात्र Kanpur News
सीएसए कृषि विश्वविद्यालय ने वैगनिंगन यूनिवर्सिटी नीदरलैंड व विश्व सब्जी केंद्र को प्रस्ताव भेजा है।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। खेती किसानी के बदलते तरीकों को सीखने के लिए कृषि शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र अब विदेश जाकर भी प्रशिक्षण ले सकेंगे। वहां अनाज, सब्जी, दलहनी फसलों के अलावा मशरूम, ब्रोकली और रंग-बिरंगी शिमला मिर्च उगाने के ऐसे तरीकों का अध्ययन करेंगे जो किसी भी मौसम में अधिक पैदावार दें। संयुक्त शोध व आधुनिक तकनीक के बारे में जानने के लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) ने वैगनिंगन यूनिवर्सिटी नीदरलैंड व विश्व सब्जी केंद्र ताइवान के पास इसका प्रस्ताव भेजा है।
दोनों संस्थानों के साथ सीएसए ने प्रोफेसर व छात्रों के शैक्षणिक आदान प्रदान के लिए करार करने का प्रस्ताव भेजा है। इन विदेशी संस्थानों में जाकर वे खेती किसानी की नई विधियां सीखने के साथ वहां के खेतों में उनका प्रयोगात्मक अध्ययन कर सकेंगे। वैगनिंगन यूनिवर्सिटी व विश्व सब्जी केंद्र के अलावा वह ताइवान व थाईलैंड के कुछ अन्य कृषि संस्थानों व शोध केंद्रों पर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इसके लिए भी योजना बनाई जा रही है।
निदेशक शोध प्रो. एचजी प्रकाश कृषि के आधुनिक यंत्रों व खेती की नई तकनीक जानने के लिए पीएचडी व स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के छात्रों को इन संस्थानों में भेजा जाएगा। कृषि की बढ़ती चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, एकीकृत खेती के बारे में वह विदेश से ज्ञान प्राप्त करके अपने देश में उसे लागू करेंगे।
पॉलीहाउस में लगेगी माइक्रो इरीगेशन यूनिट
सीएसए के पॉलीहाउस में अब सब्जियों की सिंचाई टपकन विधि से की जाएगी। इसके लिए यहां पर माइक्रो इरीगेशन यूनिट लगाए जाने की रूपरेखा बना ली गई है। संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डीपी सिंह ने बताया कि ताइवान स्थित विश्व सब्जी केंद्र में जाकर इसका मॉडल देखा गया है। वहां पर माइक्रो इरीगेशन के जरिए टमाटर, बैगन, हरी मिर्च, थाईलैंड लौकी, कद्दू, खीरा, करेला की खेती करके पानी का पूरा इस्तेमाल किया जाता है। यह सिंचाई की ऐसी तकनीक है जिसमें पानी सीधे जड़ों में पहुंचता है। सीएसए में भी खीरा, लौकी, टमाटर कद्दू, शिमला मिर्च व ब्रोकली समेत सब्जियों की खेती इसी विधि से किए जाने के साथ छात्रों को भी उसका पाठ पढ़ाया जाएगा।