अच्छी जिंदगी की तलाश में गए थे पाकिस्तान, शुरू हाे गए बुरे दिन- अब बीवी बच्चों का भी पता नहीं
कानपुर के रहने वाले शमसुद्दीन 28 साल पहले वतन छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे जहां पर नागरिकता मिलने के बाद भी उन्हें भारतीय जासूस होने का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया अबतो बीवी-बच्चों का भी कोई पता नहीं है।
कानपुर, जेएनएन। अच्छी जिंदगी की तलाश में पाकिस्तान गए शमसुद्दीन को जेल में रहना पड़ा। उन्हें जरा सा भी इसका अनुमान होता कि गैर मुल्क में वर्षों तक कैदी बनकर रहना पड़ेगा तो वह अपने वतन से शायद ही वहां जाते, भले ही अपने देश में गरीबी की जिंदगी गुजर-बसर करनी पड़ती। कानपुर में रहने वाले फहीमुद्दीन ने पाकिस्तान से 28 साल बाद लौट रहे शमसुद्दीन की दर्दभरी दास्तां बयां की तो सुनने वालों का भी दिल भर आया।
पहले दी नागरिकता फिर जासूस बता सलाखों के पीछे धकेला
फहीम बताते हैं कि पाकिस्तान जाते ही उनके खराब दिन शुरू हो गए थे। वतन छूटने के साथ ही बीवी का साथ भी नहीं रहा। पाकिस्तानी नागरिकता मिलने के बाद भी उन्हें भारतीय जासूस बताकर जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया। ऐसे मुल्क से कोई संबंध रखने से क्या फायदा। शमसुद्दीन पाकिस्तान जाने से पहले जूते के अपर बनाकर खुद, अपनी बीवी व बच्चों के साथ परिवार के सदस्यों की गुजर-बसर में सहायक थे।
कंघी मोहाल में स्वजन के साथ रहने के दौरान ही पड़ोसी के घर पाकिस्तान से आए उनके दामाद और बेटी के निमंत्रण पर पाकिस्तान जाने पर बुरे दिन शुरू हो गए। फहीम के मुताबिक, अपने देश व शहर से बेहतर कुछ नहीं है। भाई पाकिस्तान जाने के कारण ही जेल में यातनाएं झेलते रहे। वर्ना शहर में बेहतर ढंग से परिवार के साथ रहते।
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बीवी का कुछ पता नहीं
शमसुद्दीन पाकिस्तान गए, तब उनकी बीवी और बच्चे भी साथ में ही रहे। परेशानियों के दिन शुरू होने पर बीवी दोनों बेटियों के साथ कानपुर लौट आईं। इसी बीच दोनों के बीच तलाक भी हो गया। कानपुर आने पर शमसुद्दीन की बीवी पहले इफ्तिखाराबाद में रहीं। बताते हैं, इसके बाद वे जाजमऊ चली गईं। वर्तमान में वह कहां हैं, ये शमसुद्दीन या उनके परिवार के किसी सदस्य को पता नहीं है। वह पाकिस्तान में बिताए खराब दिनों की जानकारी बेहतर ढंग से दे सकती हैं।