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गंगा बैराज मार्ग से गुजरने वालों के ठिठक गए कदम, कुछ ऐसा पड़ा था जो खोल रहा था पोल

सरकारी स्कूलो में नहीं बांटी गई दवा और एक्सपायरी होने पर फेंक दी गई, अफसरों ने पड़ताल शुरू की है।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 04:49 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 04:49 PM (IST)
गंगा बैराज मार्ग से गुजरने वालों के ठिठक गए कदम, कुछ ऐसा पड़ा था जो खोल रहा था पोल
गंगा बैराज मार्ग से गुजरने वालों के ठिठक गए कदम, कुछ ऐसा पड़ा था जो खोल रहा था पोल

कानपुर, जेएनएन। मंधना-गंगा बैराज मार्ग पर बुधवार की सुबह जो भी गुजरा उसके कदम ठिठक गए। सड़क किनारे पड़ी दवाओं का जखीरा स्वास्थ्य विभाग के किसी अभियान की हकीकत बयां कर रहा था। सूचना पर आए अफसरों ने दवाओं को देखा तो सामने आया कि ये दवाएं सरकारी स्कूलों में बच्चों को बांटी जानी थी। दवाओं पर डेट एक्सपायर हो चुकी थी, संभवत: इसी वजह से किसी ने सन्नाटा देखकर दवाओं को फेंक दिया। स्वास्थ्य अफसर भी प्रकरण की पड़ताल में जुट गए हैं कि आखिर दवाएं कहां के लिए भेजी गई थीं और फिर बांटी क्यों नहीं गईं।

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200 मीटर दूरी तक फैली पड़ी थीं दवाएं

मंधना-गंगा बैराज मार्ग पर सुबह लोग निकले तो सूनसान स्थान पर दवाओं का जखीरा पड़ा देखकर रुक गए। देखते ही देखते आसपास के गांवों से लोग एकत्र हो गए। यहां करीब 200 मीटर दूरी तक दवाओं के सैकड़ों डिब्बे फैले पड़े थे। ग्रामीणों की सूचना पर आए सीएचसी प्रभारी ने दवाओं को देखा। उन्होंने बताया कि बैच नंबर के हिसाब से स्टॉक का मिलान करा लिया है, ये दवाएं सीएचसी की नहीं हैं। इस बाबत सीएमओ को जानकारी दी गई है।

पड़ताल में सामने आया ये सच

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को आयरन और फ्लोइक एसिड गोलियां दी जाती हैं। इसके साथ स्वास्थ्य विभाग के अभियान के तहत घरों में भी वितरण कराया जाता है। बैराज मार्ग पर बैकुंठपुर गांव के सामने जो दवाएं पड़ी मिलीं, वे सभी पैकेट आयरन और फॉलिक एसिड की गोलियों के थे, जिन्हें अभियान के तहत बांटा जाना था। ये वितरण ब्लाक स्तर पर गठित होने वाली टीमें करती हैं। जांच के बाद कल्याणपुर सुबोध कुमार शर्मा और फार्मासिस्ट ऐके शाहू के मुताबिक इन दवाओं पर 2016 और 2018 की डेट पड़ी है, जो एक्सपायर हो चुकी है।

कहां से आया दवाओं का जखीरा

लोगों के बीच सवाल उठता रहा कि आखिर दवाओं का जखीरा आया कहां से है। आयरन और फॉलिक एसिड यानि कृमि नाशक दवा का जखीरा मिलने से एक बात तो साफ है कि स्वास्थ्य विभाग के अभियान में लापरवाही हुई है। ये दवाएं निश्चित ही वितरण के लिए आई थीं, जिन्हें समय पर लोगों में वितरित नहीं किया गया। अब जब एक्सपायर हो गई तो उन्हें सूनसान स्थान पर फेंक दिया गया। इससे सरकारी धन की बर्बादी ही हुई है।  


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