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खर्च दर खर्च, मच्छर बने लाइलाज मर्ज

मच्छर मारने में स्वास्थ्य विभाग हर साल लाखों रुपये खर्च करता है। फिर भी मच्छरों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 09:45 AM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 09:45 AM (IST)
खर्च दर खर्च, मच्छर बने लाइलाज मर्ज
खर्च दर खर्च, मच्छर बने लाइलाज मर्ज

जागरण संवाददाता, कानपुर : मच्छर मारने में स्वास्थ्य विभाग हर साल लाखों रुपये खर्च करता है। फिर भी थमने के बजाय मच्छरों का कहर बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों की ओपीडी में इलाज को पहुंचते मरीज स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोल रहे हैं। इनके इलाज पर भी सरकार हर वर्ष लाखों रुपये खर्च करती है। इसके बावजूद अफसर बचाव एवं रोकथाम की कारगर प्लानिंग नहीं कर पा रहे हैं। हद तो यह है कि महकमे के हुक्मरानों ने बुधवार को मलेरिया दिवस पर एसी दफ्तर से निकलने की जहमत नहीं उठाई और दिवस औपचारिकता की भेंट चढ़ गया।

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वेक्टर जनित रोगों की मानीट¨रग स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने स्तर से कर रहे हैं। फिर भी महकमे के अफसर हीलाहवाली बरत रहे हैं। जिले के बड़े अफसरों के बंगलों के आसपास ही छिड़काव कराते हैं। जब बीमारी फैलती है तो अफसर झुठलाने के लिए कागजी आंकड़ेबाजी में जुट जाते हैं। गत वर्ष तो शासन ने स्वीकारा था कि जिलों से गलत सूचनाएं भेजी जाती हैं।

शहर में फौज, देहात में सन्नाटा

शहरी मलेरिया इकाई में कर्मचारियों की लंबी फौज है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में गिनती के कर्मचारी। शहरी मलेरिया इकाई में अर्बन मलेरिया अधिकारी 1, मलेरिया निरीक्षक 14, कीट संग्राहक 8, एसएफडब्ल्यू 59, आइएफडब्ल्यू 209, चालक 1 हैं। दूसरी तरफ ग्रामीण में जिला मलेरिया अधिकारी 1, सहायक मलेरिया अधिकारी 2, मलेरिया निरीक्षक 2, एसएफडब्ल्यू 2, फील्ड वर्कर 1, चालक 3 एवं चपरासी 1 है।

लाखों खर्च फिर भी अनियंत्रित

मलेरिया रोकथाम को हर साल 10-12 लाख रुपये मिलते हैं लेकिन इनका कोई लाभ होते नहीं दिखता।

ये मच्छर फैला रहे महामारी

मलेरिया : मादा एनाफिलीज मच्छर गंदे पानी में पैदा होते है। रात में काटते हैं। लक्षण : 24 घंटे में एक निश्चित समय पर बुखार आता है।

''हमारे पास वर्तमान में बजट की कोई व्यवस्था नहीं है। सीएमओ के आदेश पर डिप्टी सीएमओ को चार्ज दिया है। उनके स्तर से बजट मुहैया होने पर रोकथाम का कार्य कराया जाएगा। मलेरिया दिवस पर ग्वालटोली स्थित कार्यालय में बचाव व जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। - अजब सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी। ''मलेरिया दिवस के लिए अलग से कोई बजट नहीं मिलता है। दैनिक दवा छिड़काव के अलावा जागरूकता व बचाव की जानकारी दी गई।- डॉ. आरएन सिंह, डिप्टी सीएमओ एवं अर्बन मलेरिया अधिकारी।


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