सावधान ! अब खतरा बने एसी वाले मच्छर, सामान्य से अधिक तेज है डंक
मच्छरों को अब पनपने के लिए पानी की भी जरूरत नहीं रह गई है। वातानुकूलित कमरे में भी पनप रहे हैं। चौंकाने वाला यह तथ्य स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में सामने आया है।
By AbhishekEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 11:51 AM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 08:06 AM (IST)
कानपुर [ऋषि दीक्षित]। डेंगू के मच्छर साफ पानी में और मलेरिया के मच्छर किसी भी तरह के जमे हुए पानी में पनपते हैं! अब तक हमें यही पता था। कूलर, गमले, बर्तन, टंकी और आस-पास के गड्ढे-डबरों में पानी जमा नहीं होने देना है... यह नारा था। लेकिन अब जो बात सामने आ रही है, वह होश उड़ा देने वाली है। मच्छरों को पनपने के लिए पानी की भी जरूरत नहीं रह गई है। जी हां, वातानुकूलित कमरे के कोनों में भी मच्छर पनप रहे हैं।
सर्वे में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
हम डाल-डाल तो मच्छर पात-पात। इनके पनपने के सिद्धांत यानी अधिक गर्मी या सामान्य से कम ठंडक में नहीं पनपते... को इस शैतान जीव ने धता बता दिया है। कानपुर, उप्र में स्वास्थ्य विभाग को हजारों वातानुकूलित (एसी) कमरों में मच्छर के लार्वा और अंडे मिले हैं। इन मच्छरों का आकार छोटा और रंग काला है। साथ ही इनका डंक सामान्य से अधिक तेज है। जिला महामारी विभाग, कानपुर ने वातानुकूलित दो लाख मकानों का निरीक्षण किया। इनमें से 12 हजार से अधिक घरों-दफ्तरों में मच्छरों के अंडे, प्यूपा और लार्वा मिले हैं। इसमें से करीब छह हजार मामले ऐसे घर और दफ्तरों के हैं, जो पूरी तरह वातानुकूलित हैं।
बेहद काले और बहुत छोटे आकार के हैं ये मच्छर
सामान्य तापमान एवं खुले में रहने वाले व्यक्तियों के मुकाबले बंद एसी कमरे में रहने के आदी व्यक्तियों का इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर माना जाता है। इसका असर मच्छरों पर भी दिखाई दे रहा है। एसी कमरों से मिले मच्छरों का साइज, सामान्य और खुले तापमान में मिलने वाले मच्छरों से करीब एक तिहाई कम है। हालांकि इनके डंक तेजी से चुभते हैं और लाल चकत्ते के साथ जलन पैदा करते हैं।
कम तापमान में मच्छरों के पनपने से विशेषज्ञों के होश उड़े
मच्छरों को पनपने के लिए 28 से 32 डिग्र्री सेल्सियस का तापमान और 90 फीसद से अधिक नमी का वातावरण ही मुफीद माना जाता था। इनकी उम्र 15-20 दिन भले हो, अंडा एक साल तक जीवित रह सकता है। लेकिन अब 20 डिग्री में भी मच्छरों के पनपने का मामला सामने आने पर विशेषज्ञों के भी होश उड़ गए हैं। इसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, दिल्ली (नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल, एनसीडीसी) की राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (नेशनल वेक्टर बॉर्न डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम, एनवीबीडीसीपी ) यूनिट को भेजी गई है।
20 डिग्र्री में कैसे पनपे, अब होगा शोध
वातानुकूलित कमरों का तापमान अमूमन 16 से 22 डिग्री सेल्सियस और आद्र्रता महज 40-60 फीसद होती है। फिर भी इन कमरों में मच्छर पैदा हो रहे हैं। ऐसा कैसे हुआ? यह अब शोध का विषय बन गया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस पर शोध किया जाएगा कि मच्छर बदले तापमान से कैसे साम्य बैठा रहे हैं। रिपोर्ट राष्ट्रीय एजेंसी को भेज दी गई है।
जलवायु परिवर्तन के अनुसार खुद को ढाल रहे मच्छर
जिला महामारी वैज्ञानिक डॉ. देव सिंह कहते हैं कि मच्छर जलवायु परिवर्तन के अनुसार अपने को ढाल रहे हैं। कम तापमान, शुष्क वातावरण और बंद कमरे में भी प्रजनन क्षमता विकसित हुई है। सेंट्रलाइज एसी ऑफिस व घरों में मच्छर, उनके अंडे, लार्वा एवं प्यूपा मिल रहे हैं। इसकी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य और राष्ट्रीय एजेंसी को भेजी गई है।
आफत वाली ठंडक
-कानपुर के 12 हजार घरों के वातानुकूलित कमरों में नए प्रकार के मच्छरों के अंडे, प्यूपा और लार्वा मिले।
-सामान्य मच्छरों की अपेक्षा छोटे लेकिन डंक तेज।
-पांच हजार नौ सौघर और ऑफिस एसी कमरे वाले।
-शहर में 850 से अधिक मामले सेंट्रलाइज एसी वाले कार्यालय और घरों के निकले।
सर्वे में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
हम डाल-डाल तो मच्छर पात-पात। इनके पनपने के सिद्धांत यानी अधिक गर्मी या सामान्य से कम ठंडक में नहीं पनपते... को इस शैतान जीव ने धता बता दिया है। कानपुर, उप्र में स्वास्थ्य विभाग को हजारों वातानुकूलित (एसी) कमरों में मच्छर के लार्वा और अंडे मिले हैं। इन मच्छरों का आकार छोटा और रंग काला है। साथ ही इनका डंक सामान्य से अधिक तेज है। जिला महामारी विभाग, कानपुर ने वातानुकूलित दो लाख मकानों का निरीक्षण किया। इनमें से 12 हजार से अधिक घरों-दफ्तरों में मच्छरों के अंडे, प्यूपा और लार्वा मिले हैं। इसमें से करीब छह हजार मामले ऐसे घर और दफ्तरों के हैं, जो पूरी तरह वातानुकूलित हैं।
बेहद काले और बहुत छोटे आकार के हैं ये मच्छर
सामान्य तापमान एवं खुले में रहने वाले व्यक्तियों के मुकाबले बंद एसी कमरे में रहने के आदी व्यक्तियों का इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर माना जाता है। इसका असर मच्छरों पर भी दिखाई दे रहा है। एसी कमरों से मिले मच्छरों का साइज, सामान्य और खुले तापमान में मिलने वाले मच्छरों से करीब एक तिहाई कम है। हालांकि इनके डंक तेजी से चुभते हैं और लाल चकत्ते के साथ जलन पैदा करते हैं।
कम तापमान में मच्छरों के पनपने से विशेषज्ञों के होश उड़े
मच्छरों को पनपने के लिए 28 से 32 डिग्र्री सेल्सियस का तापमान और 90 फीसद से अधिक नमी का वातावरण ही मुफीद माना जाता था। इनकी उम्र 15-20 दिन भले हो, अंडा एक साल तक जीवित रह सकता है। लेकिन अब 20 डिग्री में भी मच्छरों के पनपने का मामला सामने आने पर विशेषज्ञों के भी होश उड़ गए हैं। इसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, दिल्ली (नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल, एनसीडीसी) की राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (नेशनल वेक्टर बॉर्न डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम, एनवीबीडीसीपी ) यूनिट को भेजी गई है।
20 डिग्र्री में कैसे पनपे, अब होगा शोध
वातानुकूलित कमरों का तापमान अमूमन 16 से 22 डिग्री सेल्सियस और आद्र्रता महज 40-60 फीसद होती है। फिर भी इन कमरों में मच्छर पैदा हो रहे हैं। ऐसा कैसे हुआ? यह अब शोध का विषय बन गया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस पर शोध किया जाएगा कि मच्छर बदले तापमान से कैसे साम्य बैठा रहे हैं। रिपोर्ट राष्ट्रीय एजेंसी को भेज दी गई है।
जलवायु परिवर्तन के अनुसार खुद को ढाल रहे मच्छर
जिला महामारी वैज्ञानिक डॉ. देव सिंह कहते हैं कि मच्छर जलवायु परिवर्तन के अनुसार अपने को ढाल रहे हैं। कम तापमान, शुष्क वातावरण और बंद कमरे में भी प्रजनन क्षमता विकसित हुई है। सेंट्रलाइज एसी ऑफिस व घरों में मच्छर, उनके अंडे, लार्वा एवं प्यूपा मिल रहे हैं। इसकी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य और राष्ट्रीय एजेंसी को भेजी गई है।
आफत वाली ठंडक
-कानपुर के 12 हजार घरों के वातानुकूलित कमरों में नए प्रकार के मच्छरों के अंडे, प्यूपा और लार्वा मिले।
-सामान्य मच्छरों की अपेक्षा छोटे लेकिन डंक तेज।
-पांच हजार नौ सौघर और ऑफिस एसी कमरे वाले।
-शहर में 850 से अधिक मामले सेंट्रलाइज एसी वाले कार्यालय और घरों के निकले।
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