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कानपुर : स्वास्थ्य सुविधाओं को चाहिए निवेश का छोटा सा 'डोज'

कानपुर के अस्‍पतालों पर 47 लाख की आबादी का भारी-भरकम बोझ है।

By Ashish MaharishiEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 02:11 AM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 08:01 PM (IST)
कानपुर : स्वास्थ्य सुविधाओं को चाहिए निवेश का छोटा सा 'डोज'

वक्त के साथ बीमारियों का 'विकास हुआ तो इलाज के इंतजाम बेहतर करने की मंशा भी कदमताल करती चली। अंग्रेजों ने चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने का जो खाका खींचा, उसे बढ़ाने के लिए कई अस्पताल शुरू किए गए। यहां लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट), उर्सला और मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल जैसे बड़े अस्पताल हैं, जहां कानपुर ही नहीं, बल्कि आसपास के भी लगभग दस जिलों के मरीज इलाज कराने आते हैं।

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यह बात तो हुई कि शहर के पास चिकित्सा संसाधनों के नाम पर क्या हासिल है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या इनका संचालन उस गंभीरता और गुणवत्ता के साथ हो रहा है कि गरीबों को सस्ता इलाज सुलभ हो सके, उन्हें महंगे निजी अस्पतालों का भारी-भरकम खर्च न उठाना पड़े।

इस लिहाज से देखते हैं तो ऐसी कमियां नजर आती हैं, जो थोड़े ही प्रयासों से सुधर सकती हैं। मसला चाहे डॉक्टरों के रिक्त पद भरने की हो, अस्पतालों में जांच आदि की सुविधाएं बेहतर करने की हो। नि:संदेह सरकार स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने को प्रयासरत है, लेकिन इन कदमों में कुछ तेजी की जरूरत है, क्योंकि इस शहर पर 47 लाख की आबादी का भारी-भरकम बोझ है।

प्रमुख अस्पताल और सुधार की जरूरत

उर्सला

स्वास्थ्य विभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है उर्सला। यहां 350 मरीजों को भर्ती किए जाने का इंतजाम है। मगर, यहां गंभीर मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की दरकार है। इस अस्पताल की इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) को अब तक सरकार की मान्यता नहीं है। इस वजह से आइसीयू के लिए बजट नहीं आता। लिहाजा, गंभीर मरीजों को यहां इलाज नहीं मिल पाता। सपा सरकार में यहां डायलिसिस यूनिट बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। इस पर भी ध्यान की जरूरत है।

कांशीराम ट्रॉमा सेंटर

हादसों में जख्मी लोगों के इलाज के लिए बसपा सरकार में कांशीराम ट्रॉमा सेंटर बनना शुरू हुआ। इमारत तो बन गई, लेकिन यह ट्रॉमा सेंटर नहीं बन सका। अब यह अस्पताल साधारण चिकित्सालय के रूप में ही संचालित हो रहा है। यदि ट्रॉमा सेंटर बन जाए तो हादसों में घायल होने के बाद मरने वालों की संख्या में काफी कमी आ सकती है।

एलएलआर अस्पताल (हैलट)

स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सक ही पूरे नहीं हैं, इसलिए मरीजों का सबसे अधिक भार चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संचालित गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक मेडिकल कॉलेज से संबद्ध लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट) पर आ जाता है। मगर, यहां अभी तक एमआरआई और सीटी स्कैन की सुविधा नहीं है। यहां भी सुपर स्पेशलिस्ट कम हैं। अस्पताल पर मरीजों के अतिभार को देखते हुए संसाधन बढ़ाने की ओर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।

मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल

टीबी रोगियों के लिए इलाज के लिए मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल है। यहां कानपुर सहित आसपास के आठ-दस जिलों के मरीज आते हैं, लेकिन यहां संसाधन की भारी कमी है। चिकित्सकों की कमी के साथ ही अस्पताल की इमारत भी बेहद जर्जर हो चुकी है। यहां तक कि आइसीयू नहीं है, लैब में उपकरण नहीं हैं। लिफ्ट खराब है, रैंप नहीं है। चिकित्सकों की भर्ती बड़ा मसला हो सकता है, लेकिन इंतजाम दुरुस्त करना सरकार के लिए कतई मुश्किल काम नहीं है। जनप्रतिनिधि भी थोड़ा सा ध्यान दें तो इमारत की मरम्मत, लिफ्ट आदि के काम आसानी से हो जाएं।

कर्मचारी बीमा अस्पताल को भी चाहिए डॉक्टर

कर्मचारी बीमा अस्पताल हजारों कर्मचारियों के इलाज का बड़ा केंद्र हैं। यहां भी सुधार की जरूरत है। 300 बेड के इस अस्पताल में केवल 10 डाक्टर हैं, जबकि जरूरत 50 की है।

चिकित्सा संसाधन

स्वास्थ्य विभाग

- नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र- 51 बेड

- उर्सला अस्पताल- 350 बेड

- डफरिन महिला अस्पताल- 235 बेड

- केपीएम अस्पताल- 65 बेड

- कांशीराम ट्रोमा सेंटर- 100 बेड

- दस विकासखंडों में एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

- 43 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

चिकित्सा शिक्षा विभाग

- लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट)- 1646 बेड

- अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल- 235 बेड

- बाल रोग अस्पताल- 120 बेड

- मुरारीलाल चेस्ट अस्पताल- 125 बेड

- संक्रामक रोग अस्पताल- 40 बेड

- लक्ष्मीपत सिंघानिया हृदय रोग संस्थान- 140 बेड

- राजकीय जेके कैंसर संस्थान- 110 बेड

आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा विभाग

- 35 अस्पताल एवं डिस्पेंसरी

कर्मचारी बीमा चिकित्सा

- किदवई नगर बीमा अस्पताल, जच्चा-बच्चा बीमा अस्पताल सर्वोदय नगर, पांडुनगर बीमा अस्पताल, टीबी एंड चेस्ट बीमा अस्पताल आजाद नगर, जाजमऊ बीमा अस्पताल और 23 डिस्पेंसरी

- केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना की नौ डिस्पेंसरी।

डॉक्टरों की हर अस्पताल में कमी

अस्पताल स्वीकृत पद उपलब्ध

उर्सला- 74 52 स्थायी और 10 संविदा

कांशीराम ट्रॉमा सेंटर- 37 29

एलएलआर- 225 चिकित्सा शिक्षक 150

मुरारीलाल चेस्ट अस्पताल- 12 6

डफरिन- 24 18


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