सोशल साइट्स और इंटरनेट का अधिक इस्तेमाल बना रहा बीमार, शरीर से लेकर दिल तक हो रहा असर
मोबाइल फोन इंटरनेट सोशल साइट्स और ऑनलाइन गेमिंग की लत मनोरोगी बना रही है सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और मांसपेशियों में हो रही ऐंठन।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। मोबाइल फोन और इंटरनेट का बेजा इस्तेमाल अब बीमार बनाने लगा है। इससे जहां बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है वहीं युवा और वयस्कों की कार्य क्षमता पर असर पड़ रहा है। इसके खतरे से अभी सब अंजान हैं। मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल फोन, इंटरनेट, सोशल साइट्स और ऑनलाइन गेमिंग की लत मनोरोगी बना रही है। इसका शरीर से लेकर दिमाग पर असर पड़ रहा है। घंटों एक स्थिति में गर्दन रखने से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और मांसपेशियों में ऐंठन हो रही है। ऐसी समस्या लेकर पीडि़त अस्पताल आ रहे हैं।
बार-बार फेसबुक देखने की इच्छा
एलएलआर अस्पताल (हैलट) के मनोरोग विभाग की ओपीडी में ऐसी समस्याएं लेकर लोग पहुंचने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बार-बार फेसबुक देखने की इच्छा होने लगे तो समझ लीजिए बीमारी की चपेट में आने लगे हैं। फेसबुक प्रोफाइल बार-बार चेक करने वाले सतर्क हो जाएं। यह आदत आपके दिल-दिमाग पर असर करने लगी है। यह आपको अवसाद में पहुंचा देगी।
व्यायाम से जरूरी हो गई चैटिंग
सुबह बिस्तर छोडऩे के बाद सबसे पहले व्यायाम और योग-प्राणायाम किया जाता था। बदलते समय में व्यायाम की जगह चैटिंग ने ले ली है। अब सुबह उठते ही हाथ पर मोबाइल होता है। सबसे पहले सोशल नेटवर्किंग साइट चेक करते हैं। रात में खाने के बाद घंटों इन साइट्स पर चैटिंग में व्यतीत करते हैं।
घंटों समय कर रहे बर्बाद
विशेषज्ञों का अध्ययन बताता है कि फेसबुक, वाट्सएप एवं ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर औसतन नियमित 3-4 घंटे गुजारते हैं। इसलिए यह दिलोदिमाग पर हावी हो रही है।
ये हैं दुष्प्रभाव
- सोशल साइट्स पर घंटों समय गुजारने से व्यक्तित्व प्रभावित होता है।
-व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार और चिड़चिड़ा हो जाता है।
-दिमाग पर भी असर पड़ता है।
-फेसबुक के नकारात्मक कमेंट व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं।
-सोशल मीडिया व सामाजिक जीवन में टकराव होता है।
-इसका प्रभाव आपसी संबंधों पर भी पड़ता है।
ये समस्याएं आम
- मोबाइल पर इंटरनेट का अत्याधिक इस्तेमाल से अंगुलियों के जोड़ों में दर्द, अर्थराइटिस तथा सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की दिक्कत।
- एक ही स्थिति में लंबे समय तक बार-बार रहने पर जोड़ों के लिगामेंट और टेंडन में सूजन।
- मैसेज टाइप करते समय कलाई पर अधिक दबाव पडऩे से हाथों में खिंचाव।
- एक ही स्थिति पर लगातार रहने पर मांसपेशियां कमजोर होना।
इसका रखें ध्यान
-30 मिनट तक बच्चे कर सकते हैं इस्तेमाल
- 45 मिनट से 1 घंटे तक वयस्क करें इस्तेमाल
-हर व्यक्ति को जवाब देना जरूरी नहीं
- 7-8 घंटे की नींद जरूरी।
एक्सपर्ट कमेंट
इंटरनेट या सोशल साइट पर 24 घंटे में 30 मिनट से एक घंटा की ही अनुमति दें। इससे अधिक देने पर मोबाइल की नीली रोशनी से मेलाटॉनिन हार्मोंस प्रभावित हो रहा है, जो नींद में खलल डाल रहा है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। वयस्क हैं तो कार्य क्षमता पर असर पड़ता है। स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो रहा है। माता पिता शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं। यह इंटरनेट एडिक्शन की चपेट में आने के लक्षण हैं।
-डॉ. धनंजय चौधरी, विभागाध्यक्ष मनोरोग जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।