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Snake Bite : भारत में 70 फीसद सांप जहरीले नहीं फिर काटने से क्यों होती है इंसान की मौत, पढ़ें ये खास रिपोर्ट

बारिश के दिनों में बिलों में पानी जाने से सांप बाहर आ जाते हैं और सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में झाड़-फूंक में समय बर्बाद नहीं करके तत्काल अस्पताल में डॉक्टर से उपचार कराना चाहिये इससे जांच बचने की संभावना बढ़ जाती है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 01:58 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 01:58 PM (IST)
Snake Bite : भारत में 70 फीसद सांप जहरीले नहीं फिर काटने से क्यों होती है इंसान की मौत, पढ़ें ये खास रिपोर्ट
बारिश के दिनों में सांप बिल से बाहर आ जाते हैं।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। बरसात के मौसम में जलभराव होने पर सांप अपने बिलों से निकलकर सुरक्षित ठिकाने ढूंढ़ने लगते हैं। इस वजह से सांप काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में लोग घबरा जाते हैं लेकिन अधिकतर को यह पता नहीं होता कि भारत में मिलने वाले 70 प्रतिशत सांप जहरीले नहीं होते हैं।

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जरूरी है कि झाड़-फूंक के फेर में न पड़ें और पीड़ित को तत्काल अस्पताल पहुंचाएं। जहरीले सांप ने भी काटा होगा तो अस्पताल में एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन लगाकर उसकी जान आसानी से बचाई जा सकती है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल की इमरजेंसी में रोजाना आठ-10 मरीज आते हैं, जिसमें चार-पांच की स्थिति गंभीर होती है। 

घबरा जाते हैं मरीज, हार्ट पर पड़ता सीधा असर

गैस्ट्रोइंटोलाजी विभाग के डा. विनय सचान का कहना है कि सांप के काटते ही व्यक्ति बहुत ज्यादा घबरा जाता है। वह तेज-तेज सांस लेने लगता है, जिससे मांसपेशियों में कैल्शियम की कमी से पैरालिसिस हो जाता है। वहीं, घबराहट का सीधा असर हार्ट (हृदय) पर पड़ता है। ऐसे में सांप काटने से नहीं, बल्कि घबराहट से ही मरीज की मौत हो जाती है।

भूलकर भी न करें यह काम

  • अगर किसी व्यक्ति को सांप काट लेता है तो भूलकर भी प्रभावित अंग पर कसकर रस्सी न बांधें।
  • सांप काटने की जगह पर चीरा लगाकर खून निकालने का प्रयास भी न करें।
  • किसी से खून चूसकर बाहर निकालने का प्रयास न ही करें। इससे बैक्टीरियल इंफेक्शन (संक्रमण) के साथ टिटनेस का खतरा बढ़ जाता है।

बांधने से नेक्रोसिस का रहता खतरा, काटने पड़ते अंग

सांप कांटने पर अगर प्रभावित अंग को कसकर बांध दिया जाता है तो उस अंग में खून की आपूर्ति बाधित हो जाती है। खून की नसों में ब्लाकेज होने से नेक्रोसिस (परिगलन) का खतरा बढ़ जाता है। शरीर के किसी भाग में कोशिकाओं अथवा ऊतकों की मृत्यु होने को नेक्रोसिस कहते हैं। ऐसी स्थिति में प्रभावित अंग को काटने की नौबत आ जाती है।

सांप काटने के बाद मरीज को न चलाएं

अगर हाथ-पैर या किसी दूसरे अंग पर सांप काट लेता है। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को प्रभावित अंग को भूल कर भी हिलाने-डुलाने कतई न दें। ऐसा करने से सांप का जहर शरीर में तेजी से फैलने लगता है। इसलिए पीड़ित को न ही चलाएं और न ही उसे अधिक हिलने-डुलने और बोलने दें। उसे तत्काल दो पहिया या चार पहिया वाहन से तत्काल अस्पताल पहुंचाएं।

यहां कोबरा व करैत ज्यादा, तेजी से फैलता जहर का असर

डा. विनय सचान का कहना है कि जहरीले सांपों में वाइपर, कोबरा और करैत हैं। कानपुर में कोबरा और करैत सांप अधिक हैं। अगर किसी को जहरीला सांप काटता है तो 90 प्रतिशत संभावना कोबरा और करैत सांप के काटने की रहती है। ये काफी जहरीले होते हैं। बड़ों की अपेक्षा बच्चों पर उनका जहर तेजी से असर करता है।

न्यूरो टाक्सिक होता है करैत व कोबरा का जहर

करैत और कोबरा का जहर न्यूरो टाक्सिक होता है, जिससे तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं होती हैं। सांप के काटने पर आंखों की पलकें गिरने लगती हैं। पीड़ित को दो-दो व्यक्ति दिखाई पड़ने लगते हैं। आवाज भी लड़खड़ाने लगती है।

व्यक्ति चिल्लाता है लेकिन उसकी आवाज बहुत ही धीमी सुनाई पड़ती है। इसके बाद श्वसन मार्ग की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। धीरे-धीरे हाथ-पैर काम करना बंद कर देते हैं। अंत में पीड़ित दम तोड़ देता है।

वाइपर का जहर वैस्कुलो टाक्सिक

वाइपर का जहर वैस्कुलो टाक्सिस होता है, जिससे खून में थक्का बनाने की प्रवृत्ति वाले तत्व नष्ट होने लगते हैं। हाथ-पैर में सूजन आने लगती है। इसके बाद फफोले बनने लगते हैं। जगह-जगह से खून का रिसाव होने लगता है।

कानपुर में 15 दिन की स्थिति

  • 150 सांप काटने के कुल मरीज अस्पताल आए।
  • 40 सांप काटने के बाद गंभीर स्थिति में आए।
  • 38 गंभीर मरीजों की अब तक बचाई गई जान।
  • 02 पीड़ितों की अब तक अस्पताल में हुई मौत।

सांप काटने के अंग पर निर्भर गंभीरता : अगर सांप पैर के अंगूठे या पंजे पर काटता है तो जहर धीरे-धीरे फैलता है। सीने या सिर पर काटता है तो जहर तेजी से असर करेगा। बड़ों की अपेक्षा छोटे बच्चों पर जहर तेजी से फैलता है।


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