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नींद का महत्व समझें, गंभीर बीमारियों से बचना चाहते हैं तो भरपूर सोएं

जागरण प्रश्न प्रहर में आए डॉ. राजीव कक्कड़ ने दिए पाठकों के सवालों के जवाब बोले सर्वे में सामने आया है कि अधिकतर लोग नहीं जानते नींद का महत्व।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 02:41 PM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 11:47 AM (IST)
नींद का महत्व समझें, गंभीर बीमारियों से बचना चाहते हैं तो भरपूर सोएं
नींद का महत्व समझें, गंभीर बीमारियों से बचना चाहते हैं तो भरपूर सोएं
कानपुर, जागरण संवाददाता। नींद की बीमारी आदि काल से चली आ रही है। मोटापे-खर्राटे की बीमारी का उदाहरण कुंभकर्ण है। नींद की महत्ता व उसकी वजह से होने वाली बीमारियों को लेकर देश में हुए सर्वे में सामने आया कि अधिकतर लोग नींद की महत्ता नहीं जानते हैं। चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम में भी नींद का बहुत कम उल्लेख है। गंभीर बीमारियों से बचना है तो भरपूर नींद लें। यह बातें वरिष्ठ चेस्ट, एलर्जी एवं स्लीप एक्सपर्ट डॉ. राजीव कक्कड़ ने वर्ड स्लीप डे पर दैनिक जागरण के प्रश्न प्रहर में पाठकों के सवालों के जवाब देते हुए कहीं। पेश हैं उसके अंश।
0 एलर्जी, अस्थमा व खर्राटे की समस्या है। भारती खरे, बर्रा-3
-सोते समय सांस नली में अवरोध से खर्राटे आते हैं। ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से दिमाग फौरन सोते से उठकर सांस नली खोलता है। इससे नींद पूरी नहीं होती है। इस वजह से 70 फीसद बीमारियां होती हैं।
0 सोते समय सपने आते हैं। अशोक दीक्षित, यशोदा नगर
- नींद पूरी नहीं होती है। इसके लिए नींद का टेस्ट कराएं।
0 मौसम बदलने में दिक्कत होती है। रीता कटियार, बर्रा विश्व बैंक
- मौसम बदलने और जगह विशेष पर जाने पर सांस फूलना व एलर्जी जैसी समस्या हो जाती है। वजह जानने को कुछ विशेष जांच कराएं। एलर्जी टेस्ट खून से नहीं, प्रिक टेस्ट से कराएं। इम्यूनोथेरेपी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाती है।
0 नाक बंद रहती है। साधन लाल गुप्ता, बर्रा विश्व बैंक।
- एलर्जी राइनाइटिस है। एलर्जी और कुछ जांचों के बाद पूर्ण इलाज संभव है।
0 सोते समय खर्राटे आते हैं। आरपी शरद, बर्रा-6
- सिर्फ खर्राटे हैं तो घबराएं नहीं। फिर भी स्लीप स्टडी करा सकते हैं।
0 पत्नी को नींद में खर्राटे आते हैं। अमित त्रिपाठी, रावतपुर
- उम्र के साथ शरीर में बदलाव होते हैं। गले के आसपास चर्बी जमा होने से सोते समय सांस नली अवरुद्ध होती है, जिससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है। शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। स्लीप टेस्ट (पॉलीसोमनोग्राफी) कराएं
0 ठीक से नींद नहीं आती, सीओपीडी भी है। आरएस अय्यर, रामादेवी
- एक साथ दो बीमारियों को ओवर लैप सिंड्रोम कहते हैं। इसका इलाज संभव है। चेस्ट रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
0 नींद पूरी नहीं होने पर क्या करें। जय प्रकाश साहू, आजाद नगर।
- रात को पर्याप्त नींद नहीं लेने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। स्मरण शक्ति पर भी असर पड़ता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। देर रात पढ़ाई करने का लाभ नहीं मिलता है।
0 खर्राटों की शुरूआत कैसे होती है। इंदरजीत सिंह, गुमटी नंबर-5
- अगर मोटापा और शरीर का वजन अधिक है। गर्दन चौड़ी है तो सांस नली में दबाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में शुरूआती अवस्था में खर्राटे आने लगते हैं।
0 28 वर्ष की उम्र और 75 किलो वजन है। खर्राटे बहुत आते हैं। मो. यासिन, ग्वालटोली।
- उम्र कम है पर वजन अधिक है। बीमारियां होने से पहले उन वजहों का पता लगाकर रोकथाम के उपाए किए जाएंगे।
0 गहरी नींद नहीं आती है। प्रभाकर त्रिपाठी, गांधी नगर (पीरोड)
- मस्तिष्क को ऑक्सीजन कम मिलने से दिमाग थका रहता है, जिससे एंजाइटी और डिप्रेशन होता है। नींद पूरी नहीं होने से ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है।
0 पति को खर्राटे आते हैं, बीपी व डायबिटीज भी है। अलका द्विवेदी, पी रोड
- खर्राटे आने से नींद पूरी नहीं होती है। पैनक्रियाजा को ऑक्सीजन कम मिलता है। कार्य क्षमता प्रभावित होती है। इंसुलिन कम बनने से रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। स्लीप टेस्ट कराएं।
0 सांस फूलने से फेफड़े और दिल में दर्द होता है। त्रिलोकी प्रसाद पाल पतरसा (कल्याणपुर)।
- सांस फूलने की वजह सिर्फ फेफड़े ही नहीं है। हार्ट, किडनी, लिवर, खून की कमी व इंफेक्शन भी हो सकता है। सस्ते और बेसिक टेस्ट कराकर बीमारी के अनुसार विशेषज्ञ से संपर्क करें।
नींद आने पर ही बिस्तर पर जाएं
अच्छी नींद के लिए कुछ चीजें जरूरी हैं। रात में एक बार में ही 7-7.30 घंटे की पूरी नींद लें। सोने और जागने का समय निर्धारित रखें। बिस्तर पर तभी जाएं जब नींद आए। बेडरूम का तापमान अधिक या बहुत कम न हो। वहां टीवी नहीं लगाएं। बेड से मोबाइल और लैपटॉप दूर रखें।
रात में हल्का भोजन करें
सोने से पहले खानपान में एहतियात बरतें। हल्का भोजन करें, इसमें घी-तेल और मिर्च-मसाले कम होने चाहिए। सोने से पहले चाय, काफी, अल्कोहल और धूमपान कतई न करें। नींद की दवा का सेवन न करें। अगर कोई और कष्ट है तो उसे दूर करें।
नींद की स्टेज पूरी होना जरूरी
नींद की अपनी अलग-अलग स्टेज होती हैं, जिसे मेडिकल टर्म में स्लीप आर्किटेक कहते हैं। नींद पूरी न होने से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। इससे तरह-तरह की बीमारियां होती हैं।
कम नींद का पड़ता दुष्प्रभाव
पर्याप्त नींद न लेने से शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। दिनभर थकान महसूस होती है। वाहन चलाते समय झपकी आना, बैठे-बैठे नींद आना भी बीमारी है। इसकी वजह से काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।
खर्राटे की वजह से यह समस्या
मुंह सूखना, थायराइड, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिनभर थकान, याददाश्त में कमी, मोटापा, ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट, किडनी से संबंधित बीमारियां, जोड़ों में दर्द, नपुंसकता, नींद की वजह से सड़क हादसे होना।
बच्चों के लिए भी परेशानी
बच्चे मुंह खोलकर सोते हैं और उन्हें खर्राटे आते हैं। शरीर में ऑक्सीजन कम होने से स्कूल में उनका प्रदर्शन खराब होता है। वह जिद्दी और चिड़चिड़े हो जाते हैं। उनका वजन बढऩे लगता है और पढ़ाई में मन नहीं लगता है। उनका स्लीप टेस्ट कराएं।
खर्राटे से गर्भस्थ शिशु को जटिलता
गर्भवती को खर्राटे आने से नींद पूरी नहीं होती है। इससे गर्भस्थ शिशु को जटिलता हो सकती है। गर्भवती को ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व हाथ-पैर में सूजन हो जाती है। इसे गर्भावस्था का स्लीप एप्निया कहते हैं। इसका प्रभाव मां एवं शिशु पर पड़ता है।  

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