चैन से सोने नहीं दे रहा मोबाइल का अधिक इस्तेमाल kanpur news
मोबाइल के अधिक इस्तेमाल ने नींद उचट रही है। इससे मास्तिष्क में हार्मोंस का असंतुलन हो रहा है।
कानपुर, जेएनएन : मोबाइल का अत्याधिक इस्तेमाल नींद में खलल डालने लगा है। इसकी वजह से मस्तिष्क में हार्मोंस असंतुलन हो रहा है, जिससे दिनचर्या प्रभावित हो रही है। यह अहम जानकारी गुजरात के बड़ौदा से आए वेलनेस कंसलटेंट हिमाद्री सिन्हा ने दी। वह छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में शनिवार को दूसरे दिन आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेलनेस सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि मोबाइल का अत्याधिक इस्तेमाल घातक हो रहा है। विभिन्न शोधों में इसके प्रमाण भी मिले हैं। इसलिए जरूरत के हिसाब से ही इस्तेमाल करें। इसकी लत (एडिक्शन) नुकसानदेह है। खासकर रात के समय मोबाइल फोन को अपने पास न रखें। उन्होंने कहाकि रात में जग-जग कर मोबाइल चेक करना एक तरह की बीमारी है। इससे मस्तिष्क के थेलमस की पीलियन ग्रंथि की कार्य क्षमता प्रभावित होती है। इससे मलोटोनिन हार्मोंस निकलता है जो सोने और जागने के चक्र को नियंत्रित करता है। मोबाइल के अधिक उपयोग से इस हार्मोंस का स्राव प्रभावित होता है, जिससे सोने-जागने का चक्र बिगड़ जाता है। इससे समय प्रबंधन बिगडऩे लगता है, जो सेहत के लिए ठीक नहीं है। कार्यक्रम में प्रो. सैद एल शलभी ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार और व्यायाम की महत्ता बताई। भोजन से मिलने वाली कैलोरी को बर्न करने के लिए व्यायाम जरूरी है। उन्होंने कहाकि हर्बल और औषधीय पौधों से भी खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अवध दुबे ने कहा कि सामाजिक दायित्वों का निर्वहन कर बेहतर समाज की स्थापना की जा सकती है। कांफ्रेंस में प्रो. अंजुली अग्रवाल ने 'रोल ऑफ फ्रेगरेंसेस एंड कलर्स इन फील गुड फैक्टरÓ और प्रो. सुनील प्रकाश त्रिवेदी ने 'रोल ऑफ मॉलीक्युलर मारकर्स इन असेसमेंट ऑफ जेनोटॉक्सिसिटी इन पॉल्युटेड एक्वेटिक हेबिटेट्सÓ पर विस्तार से चर्चा की। देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इस दौरान प्रो. अशोक कुमार, प्रो. दिनेश सक्सेना, डॉ. प्रवीण कटियार, प्रो. संदीप मल्होत्रा, डॉ. वीके गौतम आदि मौजूद रहे।