आइसीयू में चेस्ट हॉस्पिटल,आक्सीजन की दरकार
फेफड़े एवं सांस के मरीजों का इलाज करते-करते डॉ. मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल कुद बीमार हो गया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : फेफड़े एवं सांस के मरीजों का इलाज करते-करते जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) का डॉ. मुरारी लाल चेस्ट हास्पिटल खुद टीबी की चपेट में आ गया। यहां का आक्सीजन प्लांट व लिफ्ट खराब है। कुल मिलाकर यह कहना उचित होगा कि यहां सुविधाएं हांफ रहीं हैं। संसाधन एवं सुविधाओं के बगैर अस्पताल दम फूल रहा है। ऐसे में अस्पताल 'आइसीयू' में है और उसे शासन से 'आक्सीजन' की दरकार है। स्वतंत्रता सेनानी डॉ. मुरारीलाल गुप्ता की स्मृति में चेस्ट हास्पिटल की स्थापना 24 अक्टूबर 1969 में हुई थी। 123 बेड की क्षमता वाले अस्पताल में छह वार्ड हैं। इसके अलावा 4 बेड का आइसीयू भी है।
तीन वार्डो में भर्ती हो रहे मरीज
अस्पताल के तीन वार्ड बंद हैं, जबकि तीन वार्डो में मरीजों को भर्ती किया जाता है। इसमें टीबी, एमडीआर टीबी एवं सांस के मरीज एक साथ भर्ती किए जाते हैं। दुर्गध भरे कमरों में मरीजों का इलाज हो रहा है।
एक सिलेंडर पांच कनेक्शन
चेस्ट हास्पिटल के वार्डो में एक सिलेंडर से पांच-पांच मरीजों को आक्सीजन दी जाती है। भर्ती मरीजों में से किसी को स्टेज-1 की टीबी तो किसी को स्टेज-2 की तो किसी को एमडीआर टीबी है। ऐसी स्थिति में एक दूसरे के संक्रमित होने का खतरा है।
आक्सीजन प्लांट खराब
चेस्ट हास्पिटल के आइसीयू में आक्सीजन की आपूर्ति के लिए आक्सीजन प्लांट है, लेकिन खराब पड़ा है। वार्डो में आक्सीजन सप्लाई के लिए पाइप लाइन लगी है, लेकिन वह भी खराब पड़ी है। इसकी सही ढंग से मरम्मत नहीं होने से सिलेंडर देकर काम चलाया जा रहा है।
खराब पड़ी है लिफ्ट
लिफ्ट भी खराब पड़ी है। अस्पताल के तीनों वार्ड व आइसीयू पहले तल पर हैं। भर्ती होने वाले टीबी एवं सांस के मरीज चलने फिरने में लाचार होते हैं। बावजूद इसके लिफ्ट ठीक नहीं कराई जा रही है। मरीजों को उनके परिजन गोद में उठाकर वार्डो तक ले जाते हैं।
रेडियोलाजिस्ट व पैथालाजिस्ट नहीं
कहने के लिए अस्पताल में एक्सरे एवं पैथालाजी की सुविधा है। बड़ी संख्या में सांस के मरीजों के एक्सरे एवं अन्य प्रोसिजर की जरूरत होती है। रेडियोलाजिस्ट का पद स्वीकृत होने के बाद भी तैनाती नहीं है, ऐसे में एक्सरे टेक्नीशियन के भरोसे जांच है। वहीं पैथालाजी भी भगवान भरोसे है। पैथालाजिस्ट की तैनाती न होने से लैब टेक्नीशियन भी मनमानी करते हैं। मरीजों को घंटों जांच के लिए इंतजार करना पड़ता है।
कर्मचारियों की कमी से दिक्कत
अस्पताल में स्टॉफ नर्स के स्वीकृत पद 13 हैं जिसकी जगह सिर्फ 9 नर्से हैं। वार्ड ब्वाय-वार्ड आया के 11 पदों पर 6 की तैनाती है। सफाई कर्मचारियों के 13 पद हैं तैनात 12 हैं।
कबाड़ बना 50 बेड का आइसीयू
अस्पताल में 50 बेड के आइसीयू का निर्माण कराया जा रहा था, लेकिन लापरवाही की वजह से कबाड़ बन गया है। उसे बनवाने के लिए किसी ने पहल नहीं की। ऐसे में आइसीयू के लिए खरीदे गए महंगे उपकरण बेकार पड़े हैं। बाहर पड़े जंग खा रहे हैं।
अव्यवस्था व अतिक्रमण
मुरारीलाल चेस्ट हास्पिटल के गेट पर अतिक्रमणकारी काबिज हैं। अस्पताल परिसर में नालियां बजबजा रही हैं, वार्डो की नालियां ध्वस्त हैं। पहली मंजिल का गंदा पानी बरामदे में टपकता है। सफाई की व्यवस्था नहीं है। शौचालय बंद हैं। ऐसे में भला चंगा आदमी बीमार पड़ जाए।
एलएलआर अस्पताल के प्रमख अधीक्षक डॉ. आरसी गुप्ता ने कहा कि मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल की समस्याएं दूर करने का प्रयास करेंगे। कर्मचारियों की कमी से साफ-सफाई में दिक्कत होती है। सीएमएस से बात करके समस्याएं दूर कराने का प्रयास करेंगे। आधा-अधूरा निर्माण कार्य होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। इसके लिए ठेकेदार से बात करेंगे।
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जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में टीबी व चेस्ट विभाग अध्यक्ष डॉ. आनंद कुमार ने कहा कि अस्पताल में कर्मचारियों की कमी है। इससे कई बार प्रमुख अधीक्षक एवं प्राचार्य को अवगत करा चुके हैं। निर्माण कार्य चलने से बेड क्षमता कम हो गई है।