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Kanpur: सेंट्रल बैंक के गायब लाकर प्रकरण में एक और राज आया बाहर, अब लंबित मामलों की जांच करेगी एसआइटी

कानपुर की सेंट्रल बैंक बैंक आफ बड़ोदा और पीएनबी में लाकर से चोरी में लंबित मामले की जांच अब एसआइटी करेगी। मंगलवार को तीनों पीड़ित पुलिस आयुक्त से मिले और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। जिसके बाद यह कदम उठाया गया है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Tue, 16 Aug 2022 09:51 PM (IST)Updated: Tue, 16 Aug 2022 09:51 PM (IST)
Kanpur: सेंट्रल बैंक के गायब लाकर प्रकरण में एक और राज आया बाहर, अब लंबित मामलों की जांच करेगी एसआइटी
कानपुर में लाकर से चोरी के लंबित मामले की जांच एसआइटी करेगी।

कानपुर, जागरण संवाददाता। बैंक लाकर से जेवर गायब होने के तीन लंबित मामलों में भी जांच के लिए एसआइटी (विशेष जांच दल) का गठन कर दिया गया है। मंगलवार को यह आश्वासन पुलिस आयुक्त बीपी जोगदण्ड ने पीड़ितों से मुलाकात के बाद दिया।

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उत्तर प्रदेश प्रांतीय व्यापार मंडल व न्याय संघर्ष समिति मंगलवार को सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, कराचीखाना में लाकर गायब होने के पीड़ित रमेश खन्ना, बैंक आफ बड़ौदा की किदवई नगर शाखा से लाकर से जेवर चोरी पीड़ित अजय गुप्ता व उनकी पत्नी और पीएनबी निराला नगर में लाकर से जेवर चोरी होने के पीड़ित राजेश मिश्रा व उनके पत्नी पुलिस आयुक्त बीपी जोगदण्ड से मिले। 

उनके साथ व्यापारी नेता अभिमन्यु गुप्ता व पवन गुप्ता भी थे। सभी ने आरोप लगाया कि तीनों मामलों में पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही। बैंक ने भी पीड़ितों को अपमानित करके भगा दिया। इसकी वजह से सभी पीड़ित मानसिक पीड़ित हो रहे हैं। पीड़ित राजेश मिश्रा व उनकी पत्नी ने कहा की लाकर में उनके दिवंगत बेटे की आखरी निशानी थी। 

अजय गुप्ता ने कहा कि उनके साथ ही छोटे भाई की नवविवाहित की पत्नी के जेवर भी गायब हो गए। व्यापारी नेता ने बताया कि उनके अनुरोध पर पुलिस आयुक्त ने मामलों की जांच के लिए एसआइटी गठन का आदेश दिया है। 

सेंट्रल बैंक के गायब लाकर प्रकरण में बड़ा पर्दाफाश, बैंक खाता भी गायब

सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की कराचीखाना शाखा से लाकर गायब होने वाले मामले में एक और राज सामने आया है। फीलखाना थाना प्रभारी अमित भड़ना ने बताया कि  इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। सामने आया कि रमेश ने वर्ष 1974 में इस बैंक में खाता खुलवाया था। 

इस संबंध में जब खाता धारक रमेश खन्ना से बात की गई तो कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं। मसलन, जब खाता धारक से पूछा गया कि  वह लाकर सिक्योरिटी मनी जमा करते हैं तो उसका डिटेल दें। इस पर उन्होंने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। 

जब खाता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने चार नंबर का एक खाता नंबर बताया, जबकि दस साल पहले सभी खाता नंबर दस या उससे अधिक डिजिट में हो चुके हैं। यह भी सामने आया कि करीब पंद्रह सालों से रमेश खन्ना ने अपना बैंक खाता आपरेट नहीं किया है। 

वहीं इस खाते से संबंधित तमाम अन्य जानकारियां भी सामने आई हैं। पुलिस को बैंक की ओर से वर्ष 1982 का एक दस्तावेज मिला है, जिसमें खुद रमेश खन्ना ने इस लाकर की चाभी खो जाने की वजह से उसे उनके सिवा और किसी को लाकर आपरेट न करने को कहा है। 

इसके अलावा एक अन्य दस्तावेज में यह लिखा मिला है कि इस लाकर को आयकर विभाग की अनुमति से ही खोला जाए। यानी इस प्रकरण में आयकर विभाग भी शामिल है। पुलिस अब इस मामले की जांच पड़ताल भी कर रही है।


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