'सिग्नेचर फ्रेंगरेंस' से फैलेगी कारोबार की खुशबू
एफएफडीसी उद्यमियों को खास सुगंध विकसित करने का कोर्स कराएगा। अब ब्रांडेड कंपनियों की तरह स्थानीय उत्पादों की भी अलग फ्रेगरेंस होगी।
जागरण संवाददाता, कानपुर : ब्रांडेड कंपनियों की तरह स्थानीय उत्पादों को सुगंध की खास पहचान दिलाने के लिए सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) द्वारा अहम कदम उठाया जा रहा है। महक संबंधी उत्पादों के लिए अब 'सिग्नेचर फ्रेगरेंस' तैयार किए जाएंगे। यहां शुरू होने जा रहे पाठ्यक्रमों से उद्यमी या औद्योगिक इकाइयों से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
विदेशों में सिग्नेचर फ्रेगरेंस का काफी चलन है। किसी भी व्यक्ति की शख्सियत और रुचि के हिसाब से उसके लिए इत्र या परफ्यूम की अलग खुशबू ईजाद की जाती है। भारत में इसका प्रचलन इतना नहीं है। हालांकि ब्रांडेड कंपनियां अपने उत्पाद के लिए सिग्नेचर फ्रेगरेंस जरूर लेती हैं। एफएफडीसी इस विधा पर काम करता है। अब वह इसे स्थानीय उद्योगों के लिए बढ़ावा देने जा रहा है। सहायक निदेशक भक्ति विजय शुक्ला ने बताया कि कन्नौज में जो सुगंध तैयार हो रही है, उसका इस्तेमाल अगरबत्ती, साबुन, फिनायल, पान मसाला आदि उत्पादों में किया जाता है। मगर, यह स्थानीय कंपनियां अलग से सुगंध नहीं बनवातीं।
अब एफएफडीसी में सिग्नेचर फ्रेगरेंस के कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। कानपुर के संबंधित उद्यमी उनमें प्रवेश लेकर यह विधि सीख सकेंगे। फिर वह चाहें तो खुद सिग्नेचर फ्रेगरेंस तैयार करें या इत्र बनाने वाली इकाइयों में बनवाएं। फिर उनके उत्पाद की अपनी अलग खुशबू से पहचान होगी।
वसुंधरा राजे के लिए बना था 'वसुंधरा फ्रेगरेंस'
वर्तमान में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया जब केंद्र में एमएसएमई मंत्री थीं, तब 1999 में एफएफडीसी कानपुर ने उनके लिए वसुंधरा नाम से सिग्नेचर फ्रेगरेंस तैयार किया था। इसे किसी व्यक्ति की डिमांड पर तैयार किया जाता है। उसमें इस्तेमाल होने वाले तत्वों के आधार पर पैसा देना होता है, जो 20-22 हजार से 50-60 हजार रुपये तक हो सकती है।