ग्रीनपार्क की सूखी घास पर गई नजर तो साहब के सामने रख दी ये मांग Kanpur News
क्रिकेट व अन्य खेलों को लेकर चल रही रस्साकसी को उजागर करती खबर।
कानपुर, जेएनएन। खेल जगत में भी अंदरखाने कुछ न कुछ पकता ही रहता है। कहीं अफसरों के बीच तनातनी सामने आती है तो कहीं खेलों को लेकर उठापटक होती रहती है। रियल जर्नलिज्म के तहत कॉलम पवेलियन से कुछ ऐसे ही मामलों को सामने ला रहे हैं अंकुश शुक्ल।
ग्रीनपार्क आते ही बहने लगती है वादों की गंगा
खेल विभाग के बड़े साहब जब-जब ग्र्रीनपार्क आते हैं तो यहां वादों की गंगा बहने लगती है। पिछले दिनों निरीक्षण पर आए तो फिर पुराने वादे-इरादे जताने लगे। ग्र्रीनपार्क की शान में कसीदे काढ़ते हुए बोले, इस स्टेडियम की सुंदरता की बात ही अलग है, यहां सभी खेलों का उत्थान करो। छोटे साहब ने कुछ मांग की तो बड़े साहब ने फिर उनके सपनों में रंग भरने का सब्जबाग दिखा दिया। कहा, स्टेडियम जल्द विश्वस्तरीय सुविधाओं से गुलजार होगा, तभी उनकी नजर बदहाल फुटबॉल मैदान में पड़ी। कम घास देखकर बोले, पानी नहीं दे रहे हो क्या। मंझले साहब ने गुगली फेंकी बोले, सर स्प्रिंकलर लग जाता तो पूरे मैदान में पानी मिलता। बड़े साहब ने कहा कमियों की सूची बनाकर दो, विभाग से बजट देंगे। साहब चले गए और वादे यहीं रह गए। ग्र्रीनपार्क से जुड़े लोग तो कहने लगे हैं कि पता नहीं वादों की गंगा कब बहेगी।
सबके चहेते कोच दे रहे प्रशासनिक अधिकारियों को फिटनेस का मंत्र
ग्रीनपार्क स्टेडियम में इन दिनों खेल की गतिविधियों से ज्यादा कोच व विभाग के सर्वेसर्वा के बीच पक रही खिचड़ी चर्चा का विषय बनी हुई है। स्टेडियम में बास्केटबॉल का प्रशिक्षण देने वाले कोच बेहतर फील्डिंग सजा कर इन दिनों साहब के सबसे ज्यादा चहेते बन गए हैं। कोच ने बेहतर फिटनेस व जिम की बारीकियों की जानकारी का हवाला देकर इस श्रेणी में आने वाले कई कोच व विभाग के पदाधिकारियों को धूल चटा दी। साहब की जी-हुजूरी के कारण कोच ने सबकी नजर से बचते बचाते अत्याधुनिक सुविधाओं वाले जिम पर ही कब्जा कर लिया। अब वह जिम में डीएम से लेकर खेल निदेशक व प्रशासन के आला अधिकारियों को फिटनेस का गुरुमंत्र दे रहे हैं। कोच साहब के ऑलराउंडर प्रदर्शन का झुकाव इस वक्त जिम की ओर ही ज्यादा है। ऐसे में अब खिलाड़ी इंतजार में बैठे हैं कि कब कोच साहब अपने पुराने रंग में लौटेंगे।
क्यूरेटर के बाउंसर से बंद हो गई साहब की बोलती
राजस्थान व उत्तर प्रदेश के बीच ग्रीनपार्क स्टेडियम में चल रहे कर्नल सीके नायडू मुकाबले में क्यूरेटर ने नियमों का पाठ पढ़ाने वाले मंझले साहब को खूब खरी-खोटी सुनाई। मैच में उत्तर प्रदेश की जीत से ज्यादा इन दिनों क्रिकेट प्रेमियों के बीच क्यूरेटर के बाउंसर के चर्चे रहे। मैच के दौरान साहब की स्टेडियम के उत्थान व नियमों की पाठशाला से तंग आकर उल्टे उन्हें ही आड़े हाथों लिया। उन्होंने वर्षो के अनुभव की पोथी साहब के सामने खोल दी। उनकी पोथी को देख मंझले साहब के तोते उड़ गए। इसके बाद खिलाडिय़ों के लिए पिच बनाने वाले क्यूरेटर ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए मंझले साहब की मौजूद पदाधिकारियों के सामने ही बोलती बंद कर दी। आमतौर पर द्रविड़ की तरह शांत रहने वाले क्यूरेटर का अफरीदी रूप देख सब दंग रह गए। क्यूरेटर का यह रूप देख एसोसिएशन के पदाधिकारी और खुद मंझले साहब सतर्क हो गए हैं।
कागज पर हो रही कुश्ती, परिणाम निकलने का इंतजार
इन दिनों विश्वविद्यालय में क्रीड़ा अधिकारी व ग्रेपलिंग खेल के कोच के बीच कागजों पर नूरा-कुश्ती चल रही है। कोच साहब विश्वविद्यालय में होने वाली अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में इस खेल को शामिल कराने के लिए जी-जान लगाए हैं, वही दूसरी ओर विश्वविद्यालय के क्रीड़ा अधिकारी ने उनके सारे किए कराए पर कागजी कार्रवाई से पानी फेर दिया। अधिकारी के मुताबिक इस खेल में विश्वविद्यालय का कोई खिलाड़ी रुचि ही नहीं दिखाता तो प्रतियोगिता कराने का सवाल ही नहीं उठता। इससे परेशान होकर कोच ने कागजी कबड्डी खेलने का निर्णय लेते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति से लिखित शिकायत की। कोई फर्क नहीं पडऩे से उन्होंने मोर्चा खोलकर खेल मंत्री तक जाने की बात कही। कोच साहब बोले, कि अधिकारी के कारण खिलाडिय़ों का भविष्य चौपट नहीं होने देंगे। वे अधिकारी के खिलाफ मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक के पास गुहार लगाएंगे, फिलहाल भिड़ंत जारी है, देखते हैं क्या परिणाम निकलता है।