ज्योतिष का उपहास उड़ाने के बजाय शोध की जरूरत
साइंस के सोचने की क्षमता जहां खत्म होती है वहंी से ज्योतिष सोचना शुरू करती है। इसका उपहास उड़ाने की बजाय इस पर शोध की जरूरत है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : साइंस के सोचने की क्षमता जहां खत्म होती है वहंी से ज्योतिष सोचना शुरू करती है। यह विज्ञान की सीमा के बाद सोचती है इसलिए इसका सोचना वैज्ञानिक तर्को से परे हो जाता है। इसकी वजह से इसका उपहास होता है। इसकी गहराई पर प्रश्न चिह्न उठता है। इन सब के बजाय इस पर शोध की आवश्यकता है। ये बातें इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस न्यायमूर्ति केएन वाजपेयी ने इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेस की ओर से रागेंद्र स्वरूप सभागार सिविल लाइंस में आयोजित अखिल भारतीय ज्योतिष सम्मेलन में कही।
उन्होंने कहा कि ज्योतिष का संरक्षण करने की जरूरत है। शोध के लिए क्रांतिकारी कदम उठाया जाना चाहिए। ज्योतिष में समस्याओं का समाधान है। इसलिए अपनी प्राचीन विद्या को बचाने की जरूरत है नहीं तो यह लुप्त हो जाएगी। साइंसेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश चिंतक ने कहा कि ज्योतिष को विज्ञान की कसौटी पर कसा जाता है जबकि विज्ञान की खोज भी अंतिम नहीं होती है। ज्योतिष को लेकर जो लोग अवैज्ञानिक तरीके से बातें करते हैं उन्हें इसे वैज्ञानिक तरीके से पढ़ना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस न्यायाधीश एसएन कपूर ने कहा कि आनलाइन कुंडली मिलान में तमाम तरह की चूक हो रही है हमें कुंडली मिलान में भौतिक चकाचौंध ज्योतिष में नहीं जोड़ना चाहिए। इस अवसर पर
प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास अनुराग श्रीवास्तव, साइंसेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भोलानाथ शुक्ला, अर्य भूषण शुक्ल, गायत्री वासुदेव , सतीश शर्मा , जयराम, अनिल कौशल, राष्ट्रीय सचिव डा. वी गोपाल कृष्ण, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष वी राजेंद्र , कानपुर चैप्टर के उपाध्यक्ष कमलेश गुप्त व सिया शरण मिश्र, सचिव नीरज जोशी, संयुक्त सचिव शशिशेखर त्रिपाठी एवं डॉ. वीके कटियार ने च्योतिषियों को सम्मानित किया।
आज आएंगे राज्यपाल
राज्यपाल रामनाईक रविवार को साइंसेस के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगे। वह तीन बजे सभागार में पहुंचेंगे और ज्योतिष के छात्रों को सम्मानित करेंगे।