कबाड़ में बिकने लायक ही बचीं बसें
सिटी बसें दौड़ने की स्थिति में थीं लेकिन अफसरों की नियत नहीं थी उन्हें चलाने की।
जागरण संवाददाता, कानपुर : सिटी बसें दौड़ने की स्थिति में थीं लेकिन अफसरों की नियत नहीं थी उन्हें चलाने की। बसों के एक-एक पुर्जे निकालकर दूसरी बसों में लगाते गए और अच्छी भली बसों को फजलगंज नगर बस डिपो और विकास नगर डिपो में डंप करते गए। कुल मिलाकर डंप 150 में से करीब 60 बसें धूप, बारिश झेलकर जंग से इतनी जर्जर हो चुकी हैं कि सिर्फ कबाड़ में बिकने लायक ही बची हैं।
फजलगंज नगर बस डिपो का आलम ये रहा कि रात में बस मार्ग से वापस आई और सुबह बस के नये टायर गायब और उसके स्थान पर पुराने टायर लगे मिले। इसी तरह बसों की बैट्री ही निकाल ले गए। फजलगंज डिपो में 30 से अधिक ऐसी सिटी बसें हैं जिनका जर्जर ढांचा ही बचा है क्योंकि पुर्जे निकालकर दूसरी बसों में लगा दिए गए।
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बसों के एसी और कैमरे भी गायब
विकास नगर डिपो में खड़ी दस लो फ्लोर एसी बसों में से अधिकांश बसों के एसी, कैमरे, इलेक्ट्रॉनिक्स डिस्प्ले गायब हो गए है। इनमें कई लो फ्लोर बसें कबाड़ हो गई और उनके पुर्जे निकाल लिए गए। यहां भी करीब 30 बसों की बॉडी तक गल गई है।
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शेड में होतीं तो शायद बच जातीं
बसें अगर शेड के नीचे खड़ी होतीं तो शायद इनकी इतनी दुर्दशा नहीं होती। अभी खुले में तो बसें सीधे बारिश और धूप लगने से ज्यादा खराब हो रही हैं।
लेखा-जोखा आग के हवाले
सिटी बसों के कितने टायर रिकार्ड में हैं, कितने खराब है, कितने अच्छे है, इसका रिकार्ड मिटाने के लिये कुछ माह पूर्व फजलगंज नगर बस डिपो के टायर गोदाम को आग के हवाले कर दिया गया।
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''सिटी बसों को चलाने के लिए सरकार ने करीब तीन करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। बसों को सुचारू रूप से चलाने की तैयारी हो चुकी है। जो बसें चलने लायक हैं, उनकी मरम्मत कराकर उन्हें सड़क पर उतारा जाएगा। अगले माह तक 200 सिटी बसें मार्ग पर चलने लगेंगी। - अजीत सिंह, ज्वाइंट डायरेक्टर, नगर विकास