कोहरे और धूल आगे पस्त हुआ दूसरे विश्वयुद्ध का हीरो 'स्पिटफायर', ये है इस विमान की खासियत
जरूरी दृश्यता न होने पर कोलकाता से नहीं भरी उड़ान 30 देशों के भ्रमण पर ब्रिटेन से पांच अगस्त को चला है सुपरमरीन स्पिटफायर एयरक्राफ्ट।
कानपुर, [जमीर सिद्दीकी]। द्वितीय विश्वयुद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले 'स्पिट फायर' एयरक्राफ्ट की रफ्तार कानपुर की धूल और कोहरे ने थाम दी। लैंडिंग के लिए आवश्यक दृश्यता न हो पाने से इस विमान ने कोलकाता से उड़ान नहीं भरी। अब यह विमान सोमवार को एयरफोर्स के रनवे पर उतरकर ईंधन लेगा और ङ्क्षहडन एयरफोर्स स्टेशन के लिए उड़ान भरेगा। ब्रिटिश 'सुपरमरीन स्पिट फायर' विमान पांच अगस्त 2019 को ब्रिटेन से चला है और द्वितीय विश्वयुद्ध से संबंधित 30 देशों के भ्रमण के दौरान 27,000 किमी का सफर तय करेगा। विमान अब तक 15 देशों में जा चुका है और भारत 16 वां देश है ।
स्पिटफायर को कानपुर में रविवार दोपहर एक बजे लैंड करना था। इस सिंगल सीटर एयरक्राफ्ट की लैंडिंग के लिए न्यूनतम 1500 मीटर की दृश्यता चाहिए, लेकिन धूल और कोहरे के कारण एयरफोर्स रनवे पर दृश्यता करीब 800 मीटर रही। ऐसे में विमान ने कोलकाता से उड़ान नहीं भरी। दोपहर करीब तीन बजे दृश्यता 1500 मीटर से अधिक हुई लेकिन समय अधिक हो जाने के कारण उïसे रवाना नहीं किया गया। अब यह विमान सोमवार को उड़ान भरेगा। विमान के पायलट कैप्टन मैट जान्स और कैप्टन स्टीव ब्रुक्स हैं।
सिविल एयरपोर्ट का विश्वयुद्ध से नाता
अंग्रेजों ने कानपुर सिविल एयरपोर्ट का निर्माण 1920 में किया था। विश्वयुद्ध के दौरान यह लड़ाकू विमानों का हब था। रनवे किनारे के जंगलों में युद्धक विमान छिपाकर रखे जाते थे। जापान जाने वाले विमानों की मरम्मत भी यहीं होती थी।
विमान की खास बातें
- आठ फ्यूल टैंक, 1700 हार्स पावर यानी रेल इंजन से शक्तिशाली इंजन लगा है
- यूके की सुपरमरीन कंपनी ने 1928 में बनाया था सिंगल सीटर विमान
- 300 मील प्रतिघंटा की रफ्तार और 10000 फीट की ऊंचाई पर भरता था उड़ान
- ऑक्सीजन की कमी के कारण ऑक्सीजन टैंक लेकर 3000-4000 फीट की ऊंचाई पर भर रहा उड़ान
इनका ये है कहना
द्वितीय विश्वयुद्ध में अहम भूमिका निभाने वाला स्पिटफायर विमान कानपुर में कम दृश्यता के कारण रविवार को कोलकाता से नहीं उड़ा। यह विमान सोमवार को कानपुर के लिए उड़ान भरेगा।
- बीके झा, डायरेक्टर, अहिरवां एयरपोर्ट