यूपी-उत्तराखंड में भी एक तिहाई रह गई करदाताओं की स्क्रूटनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पारदर्शी कराधान ईमानदार को सम्मान का प्लेटफार्म लांच किया। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि करदाताओं को सुविधा देने के लिए स्क्रूटनी की संख्या में लगातार कमी करते हुए इसे 0.92 से 0.26 फीसद तक लाया गया है। प्रधानमंत्री ने जो बात कही उसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड भी पीछे नहीं हैं।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 07:35 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 07:35 PM (IST)
जागरण संवाददाता, कानपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पारदर्शी कराधान, ईमानदार को सम्मान का प्लेटफार्म लांच किया। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि करदाताओं को सुविधा देने के लिए स्क्रूटनी की संख्या में लगातार कमी करते हुए इसे 0.92 से 0.26 फीसद तक लाया गया है। प्रधानमंत्री ने जो बात कही, उसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड भी पीछे नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश में कर निर्धारण वर्ष 2015-16 में स्क्रूटनी के कुल केस 0.44 फीसद थे। अगले वर्ष यह 0.24 फीसद रह गए, लेकिन वर्ष 2017-18 में आयकर अधिकारियों ने स्क्रूटनी के केस की संख्या बढ़ा दी। इसकी वजह से यह संख्या 0.45 फीसद पर पहुंच गई। हालांकि आयकर विभाग ने इसके बाद अगले वर्ष स्क्रूटनी के मामलों में बहुत कमी की। एक वर्ष पहले के मुकाबले यह संख्या मात्र 30 फीसद से कम रह गई। चौथे वर्ष यह संख्या 0.13 फीसद ही रही।
उत्तराखंड की स्थिति भी कुछ-कुछ ऐसी ही रही। यहां कर निर्धारण वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा 0.35 फीसद रहा। अगले वर्ष यह संख्या कम हुई, लेकिन 2017-18 में यह आंकड़ा 37 फीसद पर आ गया। करदाताओं को दी जा रही सहूलियतों को देखते हुए कर निर्धारण वर्ष में यह संख्या मात्र 0.11 फीसद पर आ गई। इस तरह स्क्रूटनी के केस एक तिहाई से भी कम रह गए।
उत्तर प्रदेश में स्क्रूटनी की स्थिति
कर निर्धारण वर्ष रिटर्न फाइल स्क्रूटनी फीसद में
2015-16 35,90,824 0.44
2016-17 43,71,002 0.24
2017-18 45,35,720 0.45
2018-19 54,94,824 0.13
उत्तराखंड में स्थिति
कर निर्धारण वर्ष रिटर्न फाइल स्क्रूटनी फीसद में
2015-16 4,57,005 0.35
2016-17 5,44,097 0.25
2017-18 5,68,600 0.37
2018-19 6,91,954 0.11
विभाग करदाताओं पर ज्यादा विश्वास कर रहा है। इसीलिए स्क्रूटनी के केस लगातार कम हो रहे हैं। विभाग का ज्यादा जोर अब उन लोगों पर है जिनकी आय कर योग्य होती है, लेकिन वे रिटर्न फाइल नहीं करते। राष्ट्र की प्रगति में योगदान करने के लिए सही आयकर रिटर्न फाइल करें।
- अजय दास मेहरोत्रा, प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें