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Sanjeet Case Kanpur: जांच में दोषी मिले तत्कालीन थाना प्रभारी, दो दारोगा और सिपाहियों पर कार्रवाई की तैयारी

कानपुर के चर्चित संजीत अपहरण एवं हत्याकांड में पुलिस की लापरवाही सामने आई है। जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने पर डीआइजी ने तत्कालीन थाना प्रभारी दो दारोगा और सिपाहियों से स्पष्टीकरण मांगा है। इससे जल्द कार्रवाई होने की उम्मीद है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 06:52 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 06:52 AM (IST)
Sanjeet Case Kanpur: जांच में दोषी मिले तत्कालीन थाना प्रभारी, दो दारोगा और सिपाहियों पर कार्रवाई की तैयारी
कानपुर पुलिस की लापरवाही सामने आई है ।

कानपुर, जेएनएन। बर्रा छह निवासी पैथोलॉजी कर्मी संजीत यादव के अपहरण व हत्या के मामले में पुलिस ने लापरवाही बरती थी। घटना के तुरंत बाद ही पुलिस सक्रिय हो जाती और सर्विलांस की मदद से लोकेशन ट्रेस करती तो शायद संजीत की जान बच सकती थी। यही नहीं, पुलिस वालों का बर्ताव भी पीडि़त परिवार के साथ ठीक नहीं था। अधिकारियों की जांच में निलंबित पुलिस कर्मियों पर लगे लापरवाही के आरोप सही साबित हुए हैं। रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी गई है।

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क्या है मामला

22 जून को संजीत यादव का पैथोलॉजी से लौटते समय अपहरण कर लिया गया था। इसके बाद से लगातार संजीत के पिता चमन सिंह के पास फिरौती के लिए फोन आने लगे। 13 जुलाई को अपहरणकर्ताओं ने दबौली नहर पुल से 30 लाख रुपये से भरा बैग रेलवे लाइन पर गिरवाया और बैग लेकर फरार हो गए थे। इसके बाद स्वजन ने धरना-प्रदर्शन शुरू किया तो राजनीतिक दलों के लोग भी पीडि़त परिवार के साथ एकजुट हुए।

पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा तो अधिकारियों ने तत्कालीन थाना प्रभारी रणजीत राय, चौकी प्रभारी राजेश कुमार, दारोगा योगेंद्र प्रताप, सिपाही अवधेश, दिशु भारती, विनोद कुमार, सौरभ पांडेय, मनीष और शिवप्रताप को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू कराई थी। बाद में शासन ने एसपी साउथ और सीओ को भी निलंबित किया था।

इस तरह हुआ घटना का राजफाश

पुलिस ने घटना का पर्दाफाश किया तो पता लगा कि 26 जून को ही संजीत की हत्या करके शव पांडु नदी में फेंक दिया गया था। पुलिस ने शव की तलाश शुरू कराई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। रणजीत राय के खिलाफ जांच सीओ बाबूपुरवा आलोक कुमार और बाकी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच एसपी पूर्वी राजकुमार अग्रवाल को सौंपी गई थी। सूत्रों के मुताबिक रणजीत राय, दोनों दारोगा और सिपाहियों को दोषी पाया गया है। डीआइजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद पुलिसकर्मियों को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस दिया गया है। जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।


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