भाजपा-कांग्रेस का दांव देख सपा चलेगी चाल, जातीय समीकरण में खरा उतरने वाला होगा प्रत्याशी
लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने टटोला कानपुर के नेताओं का मन।
कानपुर, जेएनएन। वीआइपी दर्जे की हो चुकी कानपुर लोकसभा सीट पर सपा भी कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। अब तक भले ही यहां से सपा ने कभी जीत का स्वाद नहीं चखा लेकिन इस दफा सपा मुखिया अखिलेश यादव को भरोसा है कि गठबंधन ने परिस्थितियों को अनुकूल कर दिया है। लिहाजा दावेदारों व नेताओं के बीच उन्होंने इशारा कर दिया है कि संभवत: भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही सपा अपना पत्ता खोलेगी।
लोकसभा प्रत्याशी पर पार्टीजनों से विचार विमर्श के सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को लखनऊ में कानपुर के पदाधिकारी और दावेदारों को बुलाया। संगठन सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश ने बारी बारी से दावेदारों, विधायकों, शहर अध्यक्ष, पूर्व अध्यक्ष आदि को अकेले में बुलाकर मन टटोला। पूछा कि कानपुर में क्या परिस्थिति बन रही है और कौन प्रत्याशी बेहतर हो सकता है। सभी ने अपने अपने हिसाब से समीकरण समझाए। हां, इस बात पर सभी ने राय दी कि प्रत्याशी होना संगठन से ही चाहिए। व्यक्तिगत मुलाकात के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सार्वजनिक रूप से कहा कि आप लोग चुनाव की तैयारी में जुटे रहें। प्रत्याशी वही होगा, जो पूरी तरह जातीय समीकरणों के हिसाब से जिताऊ होगा। उन्होंने ये भी इशारा किया कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित होने के बाद हम समीकरणों पर और विचार कर सकते हैं।
ब्राह्मण या वैश्य हो सकता है प्रत्याशी
अखिलेश से मुलाकात करने वाले दावेदारों में वरिष्ठ नेता केके शुक्ला, पूर्व विधायक महेश वाल्मीकि, रतन गुप्ता, कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला की भाभी मधु शुक्ला और युवा नेता अभिमन्यु गुप्ता थे। सूत्रों के मुताबिक इनमें मधु शुक्ला और अभिमन्यु का नाम बाद में शामिल कराया गया। पहले यह दावेदारों में नहीं थे। गौर करने लायक है कि गठबंधन के समीकरण में सपा से अब तक कोई भी मुस्लिम दावेदार सामने नहीं आया है। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा ब्राह्मण या वैश्य पर दांव लगा सकती है।