Positive India : मलिन से मुस्लिम बस्तियों तक भूख मिटा रहा आरएसएस, घर-घर स्वयंसेवक पहुंचा रहे खाना
शहर की 548 बस्तियों और कानपुर प्रांत में ही 45 हजार लोगों तक भोजन पहुंचाया जा रहा है।
कानपुर, [श्रीनारायण मिश्र]। ‘संघ किरण घर-घर देने को अगणित नंदादीप जलें, मौन तपस्वी साधक बनकर हिमगिरि सा दिनरात गलें।’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शाखा गीत के ये शब्द स्वयंसेवकों पर अक्षरश: खरे उतरते हैं। आपदा की जिस घड़ी में लोग अपने घरों से निकलना सुरक्षित नहीं मानते। वहां हजारों स्वयंसेवक अपनी परवाह किए बगैर गरीबों और जरूरतमंदों की भूख मिटाने में जुटे हैं। बिना प्रचार-प्रसार के उनकी मौन साधना सुबह चाय वितरण से देर रात भोजन बांटने तक चलती है। केवल कानपुर प्रांत में ही 45 हजार लोगों की भूख मिटाने का काम संघ की ओर से किया जा रहा है।
सामान्य दिनों में शाखा के जरिए समाज को मानसिक और वैचारिक रूप से स्वस्थ बनाने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इस आपदाकाल में सबसे बड़ी चुनौती का बीड़ा उठाए हुए है। यह कार्य है लॉकडाउन के कारण घरों में बंद हुए लोगों तक भोजन पहुंचाने का। लॉकडाउन में कानपुर प्रांत प्रचारक श्रीराम, प्रांत पदाधिकारी अनुपम, कुलदीप और कानपुर विभाग कार्यवाह भवानीभीख ने इसके लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई है।
इसके तहत स्वयंसेवकों ने घर-घर तक पका हुआ भोजन से लेकर कच्च राशन पहुंचाना शुरू कर दिया। यह सेवा कार्य समान रूप से चल रहा है, चाहे वह हिंदू बाहुल्य इलाका को या फिर मुस्लिम बाहुल्य कैंट क्षेत्र की मजदूर व मुस्लिम बस्तियों में भोजन पहुंचाने का दायित्व संभाल रहे संदीप कहते हैं कि सेवा कार्य में भेदभाव कैसा? संघ सबको समान मानता है। सुबह से लेकर देर रात तक सारे प्रबंध देखने वाले कानपुर पश्चिम के जिला प्रचारक प्रवीण थक जाते होंगे? इस सवाल पर वे कहते हैं कि दूसरों की सेवा से जो आनंद मिलता है, वह थकावट आने ही नहीं देता। स्वयंसेवक तो अर्हिनश काम करता है।
यों बनी है जिलों में संरचना
कानपुर प्रांत में 13 प्रशासनिक जिले कानपुर नगर, ललितपुर, झांसी, उरई, चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, फतेहपुर, इटावा, औरैया, फरुखाबाद और कन्नौज जिले आते हैं। जिसे संघ ने 21 सांगठनिक जिलों में बांट रखा है। हर जिले में पांच से सात प्रमुख स्वयंसेवकों की टोली है, जो राशन जुटाने से वितरण का काम देखते हैं। क्षेत्र संघचालक वीरेंद्र पराक्रमादित्य बताते हैं स्वयंसेवक दैनिक शाखा में जो सेवा करता है, जो सेवा संस्कार प्राप्त करता है। संकटकाल में उन्हीं संस्कारों का विस्तार होता है। समान भाव से यही कार्य स्वयंसेवक कर रहे हैं।