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सेवा और सुरक्षा की परिभाषा है आरपीएफ, जानें-कब और क्यों पड़ी स्थापना की जरूरत

पिछले साल कुंभ मेला में पूरी जिम्मेदारी काम निभाने और बेहतर कार्य के लिए मिला रेल मंत्री अवार्ड से नवाजा गया था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 09:10 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 09:10 AM (IST)
सेवा और सुरक्षा की परिभाषा है आरपीएफ, जानें-कब और क्यों पड़ी स्थापना की जरूरत
सेवा और सुरक्षा की परिभाषा है आरपीएफ, जानें-कब और क्यों पड़ी स्थापना की जरूरत

कानपुर, जेएनएन। भारतीय रेल जितनी विस्तृत है, उसकी सुरक्षा का दायरा भी उतना ही बड़ा है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) इस काम को बड़ी मुस्तैदी से करता है। रेल और यात्रियों की सुरक्षा ही नहीं बल्कि आरपीएफ के जवान सेवा के लिए भी पुरस्कृत होते हैं। बीते वर्ष प्रयाग में हुए अद्र्ध कुंभ व लॉकडाउन में श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने का काम भी आरपीएफ ने पूरी जिम्मेदारी से निभाया।

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ब्रिटिश सरकार में रेलवे आवागमन का बड़ा माध्यम था। इसके साथ ही अंग्रेज माल ढुलाई में रेल का अधिकाधिक प्रयोग करते थे। वक्त के साथ रेलवे संपत्ति की चोरी और यात्री सुरक्षा के लिए सुरक्षा बल की जरूरत हुई। भारत सरकार ने 20 सितंबर 1985 को कानून बनाकर आरपीएफ की स्थापना की। हालांकि, माल ढुलाई और यात्रियों की सुरक्षा के लिए जवानों की तैनाती इसके एक साल पहले जुलाई से ही शुरू हो गई थी।

रेलवे का आदर्श वाक्य सेवा और निष्ठा है। पिछले वर्ष प्रयागराज में हुए अद्र्ध कुंभ में आरपीएफ ने इस आदर्श वाक्य की गरिमा को चरितार्थ किया। मकर संक्रांति से शिवरात्रि तक आरपीएफ जवानों ने दिन-रात ड्यूटी की। रेल से आने वाले भक्तों की सुरक्षा और 48 दिनों के सेवाकार्य के लिए आरपीएफ टीम को रेल मंत्री अवार्ड से नवाजा गया। टीम की ओर से इंस्पेक्टर प्रद्युम्न कुमार ओझा को यह पुरस्कार मिला।

श्रमिकों को पहुंचाया खाना

लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं। सेंट्रल स्टेशन से हर दिन सौ से ज्यादा ट्रेनें गुजरीं। कई ट्रेनों के यात्रियों को सेंट्रल पर ही खाना और पानी मुहैया कराया गया। इसमें आरपीएफ ने महत्वूपर्ण भूमिका निभाई।

यह है जिम्मेदारी

रेलवे संपत्ति की सुरक्षा, यात्रियों की सुरक्षा, टिकट दलालों की धरपकड़, चेन पुलिंग, रेल से हुई दुर्घटना समेत अन्य जिम्मेदारियां रेलवे सुरक्षा बल निभाती है। इस कार्य में आरपीएफ के 136 जवान मुस्तैद हैं, जिनमें आठ महिला सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। वर्तमान में 80 ट्रेनों में एक एसआइ समेत पांच जवानों की गारद यात्रियों की सुरक्षा के लिए लगायी जाती है।

  • आरपीएफ पूरी निष्ठा और सेवा भाव से अपना कार्य कर रही है। स्थापना दिवस पर प्रतिवर्ष रक्तदान शिविर, पौधरोपण और परेड का आयोजन होता है। कोविड प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष आयोजन किया जाएगा। -एके रॉय, सहायक सुरक्षा आयुक्त आरपीएफ

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