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शहर में पुरुषों को मात दे रही रोशनी हैं महिला सशक्तीकरण की मिसाल

पिता का साया सिर से उठने के बाद हौसला मजबूत कर संभाली जिम्मेदारी, कहा- समय और परिस्थिति को देखना चाहिए, काम करना कभी बुरा नहीं होता

By Edited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 02:27 AM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 10:24 AM (IST)
शहर में पुरुषों को मात दे रही रोशनी हैं महिला सशक्तीकरण की मिसाल
शहर में पुरुषों को मात दे रही रोशनी हैं महिला सशक्तीकरण की मिसाल
जागरण संवाददाता, कानपुर: सुबह-सवेरे अगर आप घर की छत पर या बालकनी में खड़े होंगे तो सामने निकलते हुए अधिकतर जो लोग दिखेंगे, उनमें कर्मयोगी ही होंगे। वह बड़ी फुर्ती के साथ घरों में अखबार पहुंचाने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हैं। इसमें अधिकांश पुरुष होते हैं, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले सात सालों से यह काम चुन्नीगंज निवासी रोशनी शुक्ला कर रही हैं।
ग्वालटोली, खलासी लाइन समेत अन्य क्षेत्रों के 150 से अधिक घरों में वह अखबार वितरित करने का काम करती हैं, वह भी बिना थके। रोशनी बताती हैं कि पिता का साया सिर से उठने के बाद उन्होंने मजबूत हौसले के साथ इस काम को संभाला। कभी हिम्मत नहीं हारी और रोज अपने काम को समय से पूरा करने की ठान ली, जो आज भी निरंतर जारी है।  
पढ़ाई के साथ घर भी संभालती
वीएसएसडी कॉलेज से एमए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही रोशनी बताती हैं कि हमेशा सभी को समय और परिस्थिति को देखना चाहिए। उसी के मुताबिक आपकी जीवनशैली हो तो कभी कोई समस्या नहीं होगी। काम कैसा भी हो, अगर आपके अंदर उस करने की क्षमता, लगन और उसके प्रति निष्ठा है तो हमेशा सफलता मिलेगी।  
घर के काम में देती हैं मां का साथ
रोशनी सुबह अखबार देने के साथ-साथ जहां अपनी पढ़ाई करती हैं। वहीं, दिनभर में वह घर के कामों में मां का साथ भी देती हैं। घर पर रोशनी के साथ उनकी मां रश्मि शुक्ला, भाई जतिन शुक्ला रहते हैं।

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