कानपुर जेल से छूटे आइएसआइ एजेंट वकास को डिटेंशन सेल भेजने की प्रक्रिया शुरू
वर्ष 2009 में एटीएस ने मंधना में एक कैफे से गिरफ्तार किया था। उच्चाधिकारियों के आदेश का इंतजार कर रही बिठूर पुलिस व खुफिया टीम।
By AbhishekEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 04:02 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 12:08 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। दस साल की सजा पूरी होने पर पाकिस्तान के लाहौर के रावी रोड निवासी आइएसआइ एजेंट वकास अहमद उर्फ इब्राहिम खान को मंगलवार दोपहर जेल से रिहा कर दिया गया, उसे डिटेंशन सेल भेजा जाएगा। विशेष सचिव वीजा की तरफ से कानूनी प्रक्रिया के तहत गृहमंत्रालय को सूचना दी गई है। फिलहाल वकास को बिठूर थाने में सुरक्षा घेरे में रखा गया है।
वर्ष 2005 में भारत-पाकिस्तान का मैच देखने भारत आया वकास अहमद पाकिस्तान नहीं लौटा। इस दौरान उसने शहर में शादी भी की। मई 2009 में एटीएस व पुलिस ने मंधना में एक कैफे से गिरफ्तार किया। उसके पास से देश व शहर के महत्वपूर्ण स्थानों के नक्शे, फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचानपत्र व मोबाइल मिले थे। सेना की गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान को दे रहा था। अप्रैल 2017 में कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई थी। यह सजा मंगलवार को पूरी हो गई और उसे जेल से रिहा किया गया।
इसके बाद बिठूर पुलिस उसे अपने साथ थाने ले गई, जहां उससे लंबी पूछताछ हुई। वकास के मुताबिक उसके मुताबिक एक होटल में रुकने के दौरान उसका पासपोर्ट खो गया था, इसके बाद वह वापस नहीं लौटा। दिल्ली से वह मुंबई चला गया और वहीं पर औरैया के एक मीट कारोबारी से दोस्ती कर उसकी बहन से शादी कर ली थी। इसके बाद वह औरैया आकर महिला सितारा बेगम के मकान में किराये पर रहकर नौकरी करने लगा। मई वर्ष 2009 में वह पत्नी के साथ कल्याणपुर केशवपुरम में आकर रहने लगा। जहां से पुलिस ने गिरफ्तार किया।
जेल से हंसते हुए निकला
आइएसआइ एजेंट वकास अहमद जेल से छूटा तो वह हंसते हुए निकला। ऊपर सिर उठाकर चारों ओर देखा। सीओ कल्याणपुर अजय कुमार ने बताया कि वकास को कहां भेजा जाना है, इस बाबत न्यायालय व उच्चाधिकारियों के आदेश का इंतजार किया जा रहा है। वह मूलरूप से लाहौर का रहने वाला है। जब तक आदेश नहीं आ जाता, वह पुलिस की निगरानी में थाने में ही रहेगा।
वाहन चोरी, अवैध हथियार मामले में भी जा चुका जेल
आइएसआइ एजेंट वकास उर्फ जाहिद उर्फ इब्राहिम उर्फ राजेश कुमार उर्फ विक्की 2006 में पुलिस ने अवैध शस्त्र रखने के मामले में जेल गया। उसके बाद औरैया के दिबियापुर निवासी अजेंद्र के साथ काकादेव पुलिस ने 17 जुलाई 2008 को बाइक चोरी में गिरफ्तार किया था। वकास ने खुद को बर्रा, सेक्टर-चार एमआइजी 20 निवासी नफीस खां का पुत्र जाहिद बताया था। उसे 18 जुलाई 2008 को जेल भेजा गया, जहां 74 दिन उसने बैरक संख्या-10 में गुजारे।
सूत्रों के मुताबिक उस वक्त बजरिया थाने से राष्ट्रद्रोह के मुकदमे में आरोपी हिजबुल के आतंकी और कश्मीर निवासी गुलाम अहमद बानी व गुलजार अहमद भी जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद थे। जेल में रहने के दौरान आते-जाते इन आतंकियों से भी वकास की मुलाकात हुई। चर्चा है वकास फतेहगढ़ जेल में बंद आइएसआइ एजेंट इकरामुद्दीन और जफर से मिलने भी जाता था।
जेल में पोस्टग्रेजुएट हुआ वकास
जिला कारागार में रहने के दौरान वकास ने पोस्ट ग्र्रेजुएशन किया। उसने बताया कि इंदिरा गांधी नेशनल ओपेन यूनिवर्सिटी से उसने ऑनलाइन पढ़ाई की थी। पाकिस्तान जाकर वह कोई रोजगार शुरू करेगा।
पत्नी से हो चुका तलाक, बच्चे को नहीं देखा
वकास ने औरैया की एक युवती से शादी की थी और करीब साल भर ही उसके साथ रह पाया। इसके बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था। जेल जाने के बाद पत्नी से तलाक हो गया। इसी बीच पता लगा कि उसका एक बेटा हुआ है लेकिन कभी बेटे को नहीं देखा।
लाहौर में है पिता का कारोबार
वकास ने बताया कि उसके पिता महमूद अहमद का लाहौर में बिजनेस है। परिवार में मां, एक भाई और बहन भी है। उसने कहा कि पकड़े जाने के बाद कभी घरवालों से बात नहीं हो सकी।
शादी होने से बन गया वोटर आईडी
वकास ने पुलिस को बताया कि औरैया में शादी होने से उसका मतदाता पहचान पत्र व अन्य दस्तावेज बन गए थे। वर्ष 2009 में उसने लोकसभा चुनाव में मतदान भी किया था।
वर्ष 2005 में भारत-पाकिस्तान का मैच देखने भारत आया वकास अहमद पाकिस्तान नहीं लौटा। इस दौरान उसने शहर में शादी भी की। मई 2009 में एटीएस व पुलिस ने मंधना में एक कैफे से गिरफ्तार किया। उसके पास से देश व शहर के महत्वपूर्ण स्थानों के नक्शे, फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचानपत्र व मोबाइल मिले थे। सेना की गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान को दे रहा था। अप्रैल 2017 में कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई थी। यह सजा मंगलवार को पूरी हो गई और उसे जेल से रिहा किया गया।
इसके बाद बिठूर पुलिस उसे अपने साथ थाने ले गई, जहां उससे लंबी पूछताछ हुई। वकास के मुताबिक उसके मुताबिक एक होटल में रुकने के दौरान उसका पासपोर्ट खो गया था, इसके बाद वह वापस नहीं लौटा। दिल्ली से वह मुंबई चला गया और वहीं पर औरैया के एक मीट कारोबारी से दोस्ती कर उसकी बहन से शादी कर ली थी। इसके बाद वह औरैया आकर महिला सितारा बेगम के मकान में किराये पर रहकर नौकरी करने लगा। मई वर्ष 2009 में वह पत्नी के साथ कल्याणपुर केशवपुरम में आकर रहने लगा। जहां से पुलिस ने गिरफ्तार किया।
जेल से हंसते हुए निकला
आइएसआइ एजेंट वकास अहमद जेल से छूटा तो वह हंसते हुए निकला। ऊपर सिर उठाकर चारों ओर देखा। सीओ कल्याणपुर अजय कुमार ने बताया कि वकास को कहां भेजा जाना है, इस बाबत न्यायालय व उच्चाधिकारियों के आदेश का इंतजार किया जा रहा है। वह मूलरूप से लाहौर का रहने वाला है। जब तक आदेश नहीं आ जाता, वह पुलिस की निगरानी में थाने में ही रहेगा।
वाहन चोरी, अवैध हथियार मामले में भी जा चुका जेल
आइएसआइ एजेंट वकास उर्फ जाहिद उर्फ इब्राहिम उर्फ राजेश कुमार उर्फ विक्की 2006 में पुलिस ने अवैध शस्त्र रखने के मामले में जेल गया। उसके बाद औरैया के दिबियापुर निवासी अजेंद्र के साथ काकादेव पुलिस ने 17 जुलाई 2008 को बाइक चोरी में गिरफ्तार किया था। वकास ने खुद को बर्रा, सेक्टर-चार एमआइजी 20 निवासी नफीस खां का पुत्र जाहिद बताया था। उसे 18 जुलाई 2008 को जेल भेजा गया, जहां 74 दिन उसने बैरक संख्या-10 में गुजारे।
सूत्रों के मुताबिक उस वक्त बजरिया थाने से राष्ट्रद्रोह के मुकदमे में आरोपी हिजबुल के आतंकी और कश्मीर निवासी गुलाम अहमद बानी व गुलजार अहमद भी जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद थे। जेल में रहने के दौरान आते-जाते इन आतंकियों से भी वकास की मुलाकात हुई। चर्चा है वकास फतेहगढ़ जेल में बंद आइएसआइ एजेंट इकरामुद्दीन और जफर से मिलने भी जाता था।
जेल में पोस्टग्रेजुएट हुआ वकास
जिला कारागार में रहने के दौरान वकास ने पोस्ट ग्र्रेजुएशन किया। उसने बताया कि इंदिरा गांधी नेशनल ओपेन यूनिवर्सिटी से उसने ऑनलाइन पढ़ाई की थी। पाकिस्तान जाकर वह कोई रोजगार शुरू करेगा।
पत्नी से हो चुका तलाक, बच्चे को नहीं देखा
वकास ने औरैया की एक युवती से शादी की थी और करीब साल भर ही उसके साथ रह पाया। इसके बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था। जेल जाने के बाद पत्नी से तलाक हो गया। इसी बीच पता लगा कि उसका एक बेटा हुआ है लेकिन कभी बेटे को नहीं देखा।
लाहौर में है पिता का कारोबार
वकास ने बताया कि उसके पिता महमूद अहमद का लाहौर में बिजनेस है। परिवार में मां, एक भाई और बहन भी है। उसने कहा कि पकड़े जाने के बाद कभी घरवालों से बात नहीं हो सकी।
शादी होने से बन गया वोटर आईडी
वकास ने पुलिस को बताया कि औरैया में शादी होने से उसका मतदाता पहचान पत्र व अन्य दस्तावेज बन गए थे। वर्ष 2009 में उसने लोकसभा चुनाव में मतदान भी किया था।
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