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जय के जो मामले पुलिस ने 'निपटाए' उनमें दोबारा जांच

आधा दर्जन मामले किए गए चिह्नित विवेचक भी आएंगे जाच के दायरे में नियमों को ताख पर रखकर लगाई

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 07:54 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 07:54 AM (IST)
जय के जो मामले पुलिस ने  'निपटाए' उनमें दोबारा जांच
जय के जो मामले पुलिस ने 'निपटाए' उनमें दोबारा जांच

जागरण संवाददाता, कानपुर : हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी ने जिन मुकदमों में पुलिस से मिलीभगत कर फाइनल रिपोर्ट लगवा ली थी, उनमें दोबारा जाच शुरू हो गई है। आइजी के आदेश पर एसएसपी ने जय से जुड़े मामलों में दोबारा जाच के आदेश दिए हैं। फिलहाल आधा दर्जन मामले चिह्नित किए गए हैं।

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जय, उसके परिवार व गुर्गो के खिलाफ सबसे बड़ा साक्ष्य कन्नौज के तत्कालीन एएसपी केसी गोस्वामी की रिपोर्ट है। एएसपी ने जाच रिपोर्ट में कई मुकदमों पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने बजरिया और नजीराबाद थाने में दर्ज मुकदमों में जाच किसी अन्य थाने से कराने की संस्तुति की थी।

इन मामलों में फिर होगी जांच

(थाना बजरिया)

मुकदमा संख्या 184/2010 : पीड़ित रोहित पांडेय ने बजरिया थाने में जय व स्वजन पर डकैती का मुकदमा कराया था लेकिन पुलिस ने एफआर लगी) मुकदमा संख्या 10/2016 : संतलाल कुरील ने हत्या के प्रयास व एससीएसटी एक्ट का मामला दर्ज कराया था। (थाना नजीराबाद)

मुकदमा संख्या 69/2017, 70/2017 और 71/2017 : फर्जी गनर को लेकर दर्ज तीन मुकदमों का था, जिसमें दो मामलों में फर्जी गनर महेंद्र व एक मामले में जय के सहयोगी राजकुमार प्रजापति को आरोपित किया गया था लेकिन जय के भाई रजय पर कार्रवाई नहीं की गई जबकि फर्जी गनर लेकर चलने का आरोप उसी पर था। पुलिस ने होमगार्ड महेंद्र के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया, जबकि राजकुमार की फाइनल रिपोर्ट लगा दी। राजकुमार पर दर्ज मुकदमे की फाइनल रिपोर्ट में विवेचक ने रिवाल्वर बरामद न होने का हवाला दिया था, जबकि जाच में स्पष्ट था कि विवेचना के दौरान उसकी रिवाल्वर थाने में जमा हुई थी। मुकदमा संख्या 223/2017 : 20 मई 2017 को केडीए के मुख्य अभियंता ने सील तोड़कर अवैध रूप से मकान बनाने के मामले में जय पर मुकदमा कराया। पुलिस ने न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया, लेकिन अवैध निर्माण रोकने में कोई मदद नहीं की। जय का चार मंजिला अवैध मकान केडीए अफसरों को चिढ़ा रहा है। एएसपी की रिपोर्ट में इस मामले के विवेचक पर भी सवाल उठे थे। इन मुकदमों पर भी सवाल

इसके अलावा नजीराबाद थाने में दर्ज मुकदमा संख्या 49/2018, 50/2018 और 51/2018 भी सवालों के घेरे में है। यह मुकदमे जय और उसके विरोधी सौरभ भदौरिया पक्षों के आपस में पथराव को लेकर दर्ज हुए थे। पहला मुकदमा सौरभ के पक्ष से विशाल कुरील ने दर्ज कराया, जबकि दूसरी क्रास एफआइआर जय पक्ष से प्रिंस सोनकर ने दर्ज कराई थी, जबकि तीसरा मुकदमा पुलिस ने दर्ज किया। इन मुकदमों की जाच में जय के पक्ष को लाभ दिया गया। इसे लेकर सौरभ ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।

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इन मामलों में रिपोर्ट तक दर्ज नहीं

1. 30 अक्टूबर 2017 को जय व उनके भाइयों ने पड़ोसी सौरभ भदौरिया के घर पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने का विरोध किया। मारपीट हुई, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।

2. सोशल मीडिया पर जय व उसके भाइयों के एक रेस्टोरेंट में मारपीट का वीडियो वायरल हुआ,पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। बताते हैं कि पुलिस के दबाव में रेस्टोरेंट संचालक ने समझौता कर लिया था।

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जय व उससे जुड़े जिन मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई थी, उनमें दोबारा जाच के आदेश दिए हैं। जाच अधिकारी को गड़बड़ी मिली तो ऐसे मामले कोर्ट के संज्ञान में लाकर दोबारा जाच कराएंगे।

डॉ. प्रीतिंदर सिंह, एसएसपी


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