सीएसए के शोध सहायकों से होगी रिकवरी
जागरण संवाददाता, कानपुर : चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में शोध सहा
जागरण संवाददाता, कानपुर : चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में शोध सहायकों की नियुक्ति मानकों को ताक पर रखकर की गई। सहायक निदेशक स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग की ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कार्रवाई की संस्तुति की गई है। रिपोर्ट में कुछ शोध सहायकों की अगस्त 1999 के पहले की सेवा अवधि को शून्य माना गया है। करीब 47 शोध सहायकों से वसूली होनी है। प्रत्येक शोध सहायक से करीब 15 लाख रुपये की रिकवरी होगी।
इसके अलावा कुछ शोध सहायकों को दिया गया एकेडमिक ग्रेड पे (एजीपी) सात हजार, आठ हजार, नौ हजार रुपये अनियमित था। सहायक प्राध्यापक के पद का चयन वेतनमान 37 हजार 400 से 67 हजार रुपये दिया जा रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिव्यू याचिका के अंतिम निर्णय के बिना एक जनवरी 2006 से लागू किए गए इसे पुनरीक्षित वेतनमान की वापसी अपेक्षित है।
----
पूर्व शिक्षक ने जताई थी आपत्ति
विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक डा. महेश सिंह ने इन नियुक्तियों पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री को वर्ष 2015 में पत्र लिखा था। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल को भी इससे अवगत कराया। रविवार को प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि इन सभी शोध सहायकों से रिकवरी किए जाने के लिए आडिट रिपोर्ट विश्वविद्यालय के अर्थ नियंत्रक को दी है। रिपोर्ट में लिखा है कि अप्रैल 1987 से अगस्त 1999 तक के कार्यकाल में शोध सहायकों को किए गए भुगतान अनियमित थे, उनकी रिकवरी होनी चाहिए।
खाली पद पर शोध सहायक के रूप में कर रहे थे काम :
तत्कालीन कुलपति ने पद खाली होने की सूरत में शोध सहायक के रूप में लोगों का रखा था। बाद में शोध सहायक के पद निकाले गए जिनमें करीब 70 को नियमित कर दिया गया जबकि कुछ खाली पदों पर काम करते रहे। इन सभी का चयन बिना किसी चयन समिति के सीधे किया गया था। कई वर्ष तक काम करने के बाद इन सभी ने प्रोन्नति की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने उन्हें सहायक प्रोफेसर का वेतनमान दिए जाने के आदेश जारी किए थे।
--------------------------
'आडिट रिपोर्ट संज्ञान में है। रिपोर्ट में संपरीक्षा आपत्तियों का विवरण है, लेकिन अभी रिपोर्ट उनके पास नहीं आई है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। नियुक्तियां नियम से हुई हैं कि नहीं, यह भी देखा जाएगा। इसके लिए विधिक राय भी ली जाएगी।'
प्रो. मुनीश कुमार गंगवार, डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन एंड मानीट¨रग